आदरणीय संगीता जी,
'गत्यात्मक ज्योतिष' की दृष्टि से मनुष्य के मन को विकास देने में जन्मकालीन चंद्रमा की भूमिका होती है। इसके कारण जन्मकुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत हो , तो बच्चे की देख रेख बहुत ही अच्छे तरीके से होती है, विपरीत स्थिति में बच्चे के देखरेख में कुछ कमी आती है।
एक प्रयोग कीजिये कभी, अगस्त-सितम्बर-अक्टूबर यानी बेबी-बूम के महीनों में ऐसा वक्त छांट लीजिये जब आकाश में चंद्रमा की स्थिति मौजूद हो...इस दौरान सरकारी अस्पताल में हुऐ किसी गरीब-भिखारी के बच्चों और प्राईवेट महंगे अस्पताल में पैदा हुऐ उच्चवर्ग के बच्चों को फालो करें...आपको खुद ही समय आ जायेगा कि आपके निष्कर्ष कितने गलत हैं।
एक काम और कर सकती है २४ साल पहले का सबसे कमजोर ग्रहयोग निकालिये... ब्लॉग पर भी पूछिये इस दौरान पैदा बच्चों के जीवन के बारे में... और पता कीजिये अपने शहर के सबसे पॉश अस्पताल में जाकर कि उस दौरान वहां पैदा हुऐ बच्चों क्या बने जीवन में...आपकी धारणाये बदल जायेंगी, यह निश्चित है।
प्रवीण शाह जी को दिया गया मेरा जबाब .....
मुझे अपनी धारणाओं पर पूरा विश्वास है .. क्यूंकि मैं चालीस वर्षों से इसे सटीक होता देख रही हूं। वैसे मैं अभी भी प्रयोग करने में पीछे नहीं हटती, मैंने ये आलेख अपने नियमों की सच्चाई को जानने के लिए ही लिखा था .....
http://sangeetapuri.blogspot.com/2009/07/5-6.html
http://sangeetapuri.blogspot.com/2009/01/blog-post.html
http://sangeetapuri.blogspot.com/2009/01/blog-post_14.html
http://sangeetapuri.blogspot.com/2009/01/blog-post_19.html
पर कितने जबाब आए , वो आप भी देख सकते हैं , यदि हम भारतवासी एक दूसरे के विचारों को गंभीरता से लेते , तो भारत न तो इतने दिनों तक गुलाम होता और न ही स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और संघर्ष के बावजूद मात्र 50 वर्षों की आजादी के बाद एक बार फिर से हम गुलामी की तरफ कदम बढा रहे होते। हमें तो हर शोध के लिए विदेशों के मुंह तकने की आदत पडी हुई है।
जब भी मैं सुख या दुख की चर्चा कर रही होती हूं , आपलोग आर्थिक स्तर पर क्यूं आ जाते हैं , जिसका आंतरिक सुख और दुख से कोई संबंध ही नहीं। भला बच्चों को प्यार प्राप्त करने के लिए और उनके मनोवैज्ञानिक विकास के लिए धन की क्या आवश्यकता ? गरीबों के घर में भी मजबूत चांद में जन्म लेनेवाले बच्चे भी शरीर से मजबूत हो सकते हैं, परिवारवालों का भरपूर प्यार प्राप्त कर सकते हैं , जबकि कमजोर चंद में जन्म लेनेवाले अमीर घरों के बच्चे भी स्वास्थ्य की कमजोरी के कारण परेशानी महसूस कर सकते हैं , नौकरों चाकरों के भरोसे पलते हुए मां बाप के प्यार के लिए तरस सकते हैं।
वैसे एक प्रयोग आप भी कर सकते हैं , गरीब परिवार के पूर्णिमा के दिन जन्म लेनेवाले पांच वर्ष की उम्र के पांच बच्चों और अमीर परिवार के अमावस्या के दिन जन्म लेनेवाले पांच वर्ष की उम्र के पांच बच्चों को नहला धुलाकर नए कपडे पहनाकर उन्हें कुछ खिलौने और खाने पीने की वस्तुएं देकर एक स्थान पर दो घंटे रखकर उनके क्रियाकलापों को छंपकर देखें और परिणाम ब्लॉग पर पोस्ट करें !!
प्रवीण शाह जी,