jyotish vidya kya hai
फलित ज्योतिष ग्रहों का मानवजीवन पर पड़नेवाले प्रभाव का अध्ययन करता है। भारत ऋषियों, मुनियों, विचारकों, गणितज्ञों और वैज्ञानिकों का देश रहा है। ज्योतिष विद्या के साथ ही साथ यहां अनेक विद्याओं का जन्म हुआ। उसके बाद पूरे विश्व में इसका प्रचार और प्रसार हुआ। पाश्चात्य देश अभी भी कई प्रकार की विद्या का जनक भारत को ही मानते हैं। ज्योतिष और गणित के क्षेत्र में विश्व को भारत का बड़ा योगदान मिला है। प्राचीन भारत में जब हर प्रकार के वैज्ञानिक साधनों का अभाव था , ज्योतिष विद्या का जितना भी विकास हुआ , हम भारतवासियों के लिए गर्व की बात है।
Sidddhant jyotish vidya in Hindi
गणित के क्षेत्र में ब्रह्मांड का 12 भागों में विभाजन, सभी राशियों का नामकरण, नवों ग्रहों का अधिकार क्षेत्र के साथ ही साथ सौर वर्ष , चंद्रवर्ष , सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण जैसी घटनाओं का घटीपल तक ज्ञात कर लेना निस्संदेह उस युग के लिए बहुत बड़ी बात थी। फलित ज्योतिष के क्षेत्र में जन्मपत्री का निर्माण तथा अन्य ज्योतिषीय भविष्यवाणियां होती थी , जिसमें शतप्रतिशत न सही , लेकिन कुछ हद तक सत्यता अवश्य होती थी, यही कारण था कि प्राचीन राजा महाराजाओं के पास एक ज्योतिषी अवश्य रखे जाते थे , जो राजघराने में उत्पन्न बच्चों की जन्मपत्रियों का निर्माण ,अन्य भविष्यवाणियों की गणना तथा अनेक राजकार्यों के लिए मुहूर्त्त का निर्धारण करते थे।
Falit jyotish vidya in Hindi
भारतवर्ष में आज भी कुंडली बनाने , मुहूर्त्त निकालने तथा वरवधू की कुंडली मिलाने के लिए ज्योतिषियों की जरूरत पड़ती है , लेकिन आज यह विडम्बना ही है कि ज्योतिष विद्या महलों से निकलकर सड़कों पर आ पड़ा है। आज अनेक ज्योतिषियों को सड़कों पर कुछ ज्योतिषीय पुस्तकों के साथ देखा जा सकता है , जो उसी के सहारे आतेजाते राहगीरों का कुछ पैसे ऐंठ लेते हैं।
यही कारण है कि इतने वर्षों बाद भी इस क्षेत्र में कोई विकास नहीं हुआ। फलित ज्योतिष जैसे विषय से आज जनता का विश्वास ही उठ गया है। इसका मुख्य कारण ज्योतिष विद्या का परंपरागत व्यवसाय के रूप में सिमटकर रह जाना है। वे लम्बेलम्बे खर्चवाले अनुष्ठानों और पूजापाठ के द्वारा बिगड़े ग्रहों को तो शांत करने में असफल रहते हैं, पर इससे परेशान लोग और परेशान होते हैं।ज्योतिषी ज्योतिष की आड़ में अपने पैसे की हवस को पूरा करना चाहते हैं , इस कारण समझदार लोग अपने को ज्योतिषियों के चंगुल में फंसने से बचाना चाहते हैं.
life cycle in Hindi according to Jyotish vidhya
मनुष्य का जीवन दुख और सुख से मिलकर बना है। प्राचीनकाल की अनेक कहानियों और आधुनिक जीवन के अनेक उदाहरणों से स्पष्ट है कि मनुष्य का जीवन सुख और दुख दोनों का अनुभव करने के लिए है। इसमें ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है। हमने अपने अध्ययन में पाया है कि ग्रहों के अनुसार ही मनुष्य के सामने विशेष काल में विशेष परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं , जिसका सामना उसे करना पड़ता है। किन्तु यह नहीं कहा जा सकता कि मनुष्य की मेहनत का कोई मूल्य नहीं है। ग्रह वास्तव में मनुष्य के स्वभाव , बनावट और परिस्थितियों को नियंत्रित करता है , पर वह व्यक्ति की मेहनत , बदलते युग , बढ़ते स्तर और माहौल को नहीं नियंत्रित कर सकता , उसमें भले ही कमी और बेशी ले आवे।
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ज्योतिष विद्या का ज्ञान
विश्व में प्रति सेकण्ड एक बच्चा जन्म लेता है , इस प्रकार प्रति मिनट 60 , प्रति घंटे 3600 और एक दिन में 86400 बच्चे जन्म लेते हैं। इनमें से 7200 बच्चों की कुंडली बिल्कुल एक जैसी होती है , लेकिन उनमें से सभी बच्चे एक सी उंचाई हासिल नहीं करते। उंचाई हासिल करने के लिए मेहनत और परिस्थिति दोनो ही बड़ी चीज होती है। बहुत से ज्योतिषी किसी जन्मकुंडली में गौतम बुद्ध , राजा रामचंद्र , कृष्णजी , इंदिरा गांधी और महात्मा गांधी या किसी अन्य महान पुरूष का कोई एक योग देखकर ही कह उठते हैं-----.'अरे , तुम्हें तो राजा बनना है' या 'तुम्हारी तो 50 लाख की लाटरी लगनेवाली है' इस प्रकार की भविष्यवाणी ग्राहकों को खुश करनेवाली एक चाल है। एक योग में पैदा होनेवाले सभी बच्चों में कोई मजदूर , तो कोई कलर्क , कोई आफिसर तो कोई व्यवसायी और कोई मंत्री के घर जन्म लेता है। किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण में आर्थिक , शैक्षणिक और अन्य वातावरण ग्रह से अधिक महत्वपूर्ण होते हैं।
ज्योतिष विद्या कैसे सीखे ?
बदलते युग के साथ भी ग्रहों के प्रभाव में परिवर्तन होता है। यदि किसी जन्मकुंडली में मजबूत संतान पक्ष है , तो वह मातृप्रधान युग में सामान्य व्यक्ति के लिए या किसी भी युग में एक वेश्या के लिए लड़की की अधिकता का संकेत देती है , पर पितृप्रधान युग में वही योग लड़के की अधिकता देगी। यदि किसी जन्मकुंडली में मजबूत वाहन का योग है , तो वह प्राचीनकाल में घोड़े , हाथी आदि का संकेतक था , पर आज स्कूटर मोटरसाइकिल और कार का संकेत देता है। किसी जन्मकुंडली मे असाध्य रोग से ग्रसित होने का योग हो तो वह किसी युग में व्यक्ति को टीबी का मरीज बनाती थी , उसके बाद कैंसर का और अभी वही योग उसे एड्स का मरीज बना देती है। यदि किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में उत्तम विद्या का योग है , तो वह प्राचीनकाल मे किसी प्रकार के विद्या की जानकारी देता था , बाद में बी ए ,एम ए की और अब वह विद्यार्थियों को प्रोफेशनल कोर्स करवा रहा है।
Forecast in different environment with jyotish vidya
वातावरण में परिवर्तन भी ग्रह के प्रभाव को परिवर्तित करता है। किसी किसान या व्यवसायी का उत्तम संतान पक्ष लड़के की संख्या में बढ़ोत्तरी कर सकता है, ताकि बड़े होकर वे परिवार की आमदनी बढ़ाएं। किन्तु एक आफिसर के लिए उत्तम संतान का योग संतान के गुणात्मक पहलू की बढ़ोत्तरी करेगा। किसी जन्मपत्री में कमजोर संतान का योग एक किसान के लिए आलसी , बड़े व्यवसायी के लिए ऐय्याश और एक आफिसर के बेटे के लिए बेरोजगार बेटे का कारण बनेगा।
किसी किसान के पुत्र की जन्मकुंडली में उत्तम विद्या का योग होने से वह ग्रेज्युएट हो सकता है , पर एक आफिसर के पुत्र का वही उत्तम योग उसे आई ए एस बना सकता है। किसी किसान के लिए उत्तम मकान का योग उसे पक्के का दो मंजिला मकान ही दे सकता है , पर एक बड़े व्यवसायी का वही योग उसे एक शानदार बंगला देगा। किसी कुंडली में बाहरी स्थान से संपर्क का योग किसी ग्रामीण को शहरी क्षेत्र का , शहरी व्यक्ति के लिए महानगर का , तथा महानगर के व्यक्ति के लिए विदेश का भ्रमण करवा सकता है। किसी कुंडली में ऋणग्रस्तता का योग एक साधारण व्यक्ति को 500-1000 का तथा बड़े व्यवसायी को करोड़ो का ऋणी बना सकता है।
ज्योतिष विद्या अनुसार ग्रहों के प्रभाव
अलग अलग देश और प्रदेश के अनुसार भी ग्रहों के प्रभाव में परिवर्तन आता है। किसी विकसित देश में किसी महिला का प्रतिष्ठा का योग उसे प्रतिष्ठित नौकरी देगा , किन्तु भारत में वही योग उस महिला को अच्छा घर वर ही प्रदान कर सकता है। इसी प्रकार किसी महिला की जन्मकुंडली में दृष्ट हल्का कमजोर पति पक्ष भारत में सिर्फ परेशानी उपस्थित करेगा , जबकि अमेरिका जैसे देश में वह तलाक देने या दिलानेवाला होगा।
इसके अतिरिक्त ग्रह मौसम से संबंधित वातावरण को भी प्रभावित करते हैं। बादल , वर्षा , बाढ़ ,तूफान या भूकम्प का आना भी ग्रह के अनुसार ही होता है। किसी दो ग्रह के विशेष संबंध के अनुसार ही किसी प्रकार के मौसमीय परिवर्तन की संभावना बनती है। ग्रह बाजार और अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करता है। कीमतों में वृद्धि तथा मुद्रास्फिति पर भी ग्रहो का पूरा प्रभाव पड़ता है।
इस प्रकार देखा जाए , तो ग्रह सभी क्षेत्रो में अपना प्रभाव डालते हैं।आज भले ही हम अपने को विज्ञान के युग का समझकर ज्यैतिष पर हंसे या उसे नकारें , पर सत्य तो यह है कि यह पूर्ण तौर पर एक सांकेतिक विज्ञान है और यह मनुष्य के स्वभाव , बनावट और परिस्थितियों तक को बताता है।यहां तक कि ग्रह मानव मन और मस्तिष्क तक का नियंत्रक है। यह मानव मस्तिष्क को वैसा व्यवसाय , वैसी नौकरी या वैसा ही घर वर चुनने को प्ररित करता है , जैसा उसे अपनी जन्मपत्री के अनुसार मिलना चाहिए।
ज्योतिष विद्या अनुसार ग्रहों के प्रभाव का अध्ययन
लेकिन ज्योतिष विद्या 90 प्रतिशत परंपरागत और अवैज्ञानिक सिद्धांतों के जाल में फंसा हुआ है। ज्योतिषी पुराने पुराने नियमो के अनुसार ही अभी भी चल रहे हैं। उनके पास कोई नया खोज नहीं है , इसलिए इतने वर्षों बाद भी इसमें कोई नयापन नहीं आ सका है। वे एक नियम की स्थापना कर भी लें , तो उसमें अपवाद पर अपवाद जोड़ते चले जाते हैं। यह सत्य है कि ज्योतिष विद्या का विकास अभी पूर्ण तौर पर नही हुआ है , इसमें शत.प्रतिशत भविष्यवाणी करना असंभव है , पर 90 प्रतिशत तो सही भविष्यवाणी की ही जा सकती है। लेकिन यह दुर्भाग्य ही है कि हम अपने को फलित ज्योतिष का जानकार बताने में शर्म का अनुभव करते हैं , क्योंकि समाज के विद्वान वर्ग इसे हेय दृष्टि से देखते है।
आज इस क्षेत्र में भी नए नए रिसर्च की आवश्यकता है। इस क्षेत्र का विकास तब ही होगा , जब पढ़े लिखे लोगों का ध्यान इस क्षेत्र में आएगा तथा वे अपना कुछ समय इस प्राचीन गौरवपूर्ण विज्ञान को समर्पित कर पाएंगे। विश्वविद्यालय को भी इस क्षेत्र में शोधकार्य करनेवालों को सम्मानित करना होगा , जिस दिन ऐसा हुआ, ज्योतिष विज्ञान की दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति शुरू हो जाएगी। गत्यात्मक ज्योतिष ने इस दिशा में बड़ी शुरुआत की है, भविष्यवाणी करने का एक बड़ा आधार दिया है। इस आधार पर ज्योतिष आगे बढ़े तो बड़े-बड़े कदम माप सकता है।