नगों वाला सेट ...(कहानी)

hamari kahani बाजार जाने के लिए ज्‍योंहि मैं तैयार होकर बाहर निकली, बारिश शुरू हो चुकी थी। लौटकर बरामदे में एक कुर्सी डालकर एक पत्रिका हाथ में लेकर बारिश थमने का इंतजार करने लगी। बाजार के कई काम थे, बैंक से पैसे निकालने थे, …

नसीब अपना अपना .......

समाज की विसंगतियों पर आधारित यह पोस्‍ट पूर्व में नुक्‍कड मे भी प्रकाशित हो चुकी है .. पर अपनी रचनाओं को एक स्‍थान पर रखने के क्रम में इसे पुन: यहां प्रकाशित कर रही हूं .... प्रथम दृश्‍य ‘अब तबियत कैसी है तुम्‍हारी’ आफिस से लौटते…

अतिवृद्धों की स्थिति बिगडेगी

‘खगोल शास्‍त्र’ के अंतर्गत ग्रहों के अध्‍ययन में हमेशा ही कुछ दिक्‍कतें आती रही हैं। कुछ गणनाओ के आधार पर यूरेनस औरनेप्च्यून की गति में हमेशा एक विचलन का कारण ढूंढते हुए वैज्ञानिकों ने एक ‘क्ष’ ग्रह (Planet X) की भविष्यवाणी की , …

फिलहाल ज्‍योतिष का अध्‍ययन छोडने का मेरा कोई इरादा नहीं !!

कुछ दिन पूर्व यह समाचार मिलते ही  कि हिंदी साहित्‍य निकेतन अपनी पचासवीं सालगिरह पर एक कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.जिसमें परिकल्‍पना डॉट कॉम द्वारा पिछले वर्ष घोषित किए गए 51 ब्‍लॉगरों और  नुक्‍कड़ डॉट कॉम के द्वारा निर्वाचित हिंदी…

परिकल्‍पना समूह का बहुत बहुत आभार !!

३० अप्रैल को हिंदी भवन, विष्णु दिगंबर मार्ग, नयी दिल्ली में हिंदी ब्लॉग जगत के बहु प्रतीक्षित परिकल्पना सम्मान-२०१० में भाग लेकर बहुत सारे ब्‍लॉगर बंधुओं से मिलना जुलना हुआ। इस सफल आयोजन के लिए रविन्‍द्र प्रभात जी और …

जिनका सबकुछ उजड गया

दो महीने हिंदी ब्‍लॉग जगत से दूर रहने के बाद आज आपलोगों से मुखातिब होने का मौका मिला है। इस दौरान सारे ब्‍लॉगों पर मेरा क्रियाकलाप बंद ही रहा। समाचार के माध्‍यम से देश दुनिया की हर खबर तो मिलती रही , पर अपने ब्‍लॉग के माध्‍यम से …

ईश्‍वर से प्रार्थना है ,... सबकुछ शांतिपूर्वक संपन्‍न हो जाए !!!

एक महीने से नेट से दूर हूं , पंद्रह दिनों तक भतीजे के ब्‍याह की व्‍यस्‍तता बनी रही , उसके बाद खुद के अपने क्‍वार्टर में शिफ्ट होने की तैयारी में व्‍यस्‍त हूं। इस दौरान होली की शुभकामना भरा  एक पोस्ट प्रकाशित ही नहीं हुआ . पिछले…

सरस्‍वती पूजा पर आज तो बस पुरानी यादें ही साथ हैं !!

सरस्‍वती पूजा को लेकर सबसे पहली याद मेरी तब की है , जब मैं मुश्किल से पांच या छह वर्ष की रही होऊंगी और सरस्‍वती पूजा के उपलक्ष्‍य में शाम को स्‍टेज में हो रहे कार्यक्रम में बोलने के लिए मुझे यह कविता रटायी गयी थी ... शाला से जब श…

मिथ्‍या भ्रम (कहानी) ... संगीता पुरी

hamari kahani ‘क्‍या हुआ, ट्रेन क्‍यूं रूक गयी ?’ रानी ने उनींदी आंखों को खोलते हुए पूछा। ’अरे, तुम सो गयी क्‍या ? देखती नहीं , बोकारो आ गया।‘ बोकारो का नाम सुनते ही वह चौंककर उठी। तीन दिनों तक बैठे बैठे कमर में दर्द सा हो रह…

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