कई दिन पूर्व राजकुमार ग्वालानी जी के एक पोस्टपर नजर गयी थी जिसमें लिखा गया था “ सितंबर का माह भी
एक अनोखी सौगात लेकर आया है। इस माह में ट्रिपल नाइन का संयोग पडऩे वाला है। वैसे देखा जाए तो आप एक नहीं बल्कि दो-दो ट्रिपल नाइन का मजा ले सकते हैं।“ मैने उसे पढा भी और अपनी टिप्पणी भी दर्ज कर दी थी “अंको के अनोखे संयोग हो रहे हैं इस वर्ष !! ” उसमें इस योग का ज्योतिष के हिसाब से भी चर्चा की गयी थी “इस श्रेष्ठ दिन के कारण ही पितृ पक्ष होने के बाद भी 9 सितंबर को खरीददारी के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
वैसे पितृ पक्ष में खरीददारी नहीं की जाती है, पर इस बार ट्रिपल नाइन से इस पक्ष में भी सराफा बाजार में रौनक की रहने खबरें आ रही हैं।” मेरी अपनी जानकारी के अनुसार ज्योतिष के हिसाब से तो इसका कोई प्रभाव नहीं पडना चाहिए , पर पूरे पितृपक्ष के शोक के पंद्रह दिनों में से कोई ज्योतिषी एक दिन को शुभ ही बता रहा हो , तो इस खुशी से जनता को क्यूं वंचित किया जाए , यह सोंचकर मैने उसपर कोई टिप्पणी नहीं की।
पर कल के इस योग की भयावहता को लेकर भी समाचार पत्रों में कुछ चर्चा की गयी है , जिससे लोगों में इस योग के ज्योतिषीय प्रभाव को लेकर जिज्ञासा बन गयी है , इस कारण इस पोस्ट को लिखने की आवश्यकता पड गयी है। जहां तक पहले ट्रिपल नाइन का सवाल है , यह कोई योग ही नहीं , क्यूंकि हर तेरह महीने से एक दिन पश्चात् किसी न किसी रूप में यह योग आता है। पिछले वर्ष 08-08-08 , उससे पहले 07-07-07 और उससे पहले 06-06-06 , इसलिए इस पहले ट्रिपल नाइन का बनना कोई अहमियत नहीं रखता।
अब यदि दूसरे ट्रिपल 9 यानि 09-09-09 के योगफल से जो 27 बनते हैं उनके योग को देखते हुए 9 का बनना , वह अंक ज्योतिषियो के लिए महतवपूर्ण हो सकते थे , पर यह तिथि वास्तव में 09-09-2009 है , जिसका योगफल 29 यानि 11 यानि 2 होते हैं , इसलिए उनके लिए भी यह योग महत्वपूर्ण नहीं। यानि जो दूसरा 9 बनाया गया है , वह एक प्रकार से जबरदस्ती योग पैदा कर देना है। इस प्रकार दोनो योगों के आधार पर किसी प्रकार की भविष्यवाणी उचित नहीं ।
जहां तक ज्योतिषीय भविष्यवाणी की बात है , वह आसमान में ग्रहों की खास स्थिति के ही पृथ्वी पर खास प्रभाव की चर्चा करता है। हिन्दी के पंचांग के अनुसार किसी तिथि से दो ग्रहों सूरज और चंद्र की स्थिति का पता चलता है , इसलिए उसके आधार पर आंशिक ही सही , कोई भविष्यवाणी उचित हो भी सकती है , जैसे शिवरात्रि के दिन बारिश , आंधी , पानी , तूफान का आना या अन्य त्यौहारों के दिन किसी खास प्रकार के माहौल का उपस्थित होना हमेशा तो नहीं , पर काफी मामलों में सही माना जा सकता है , पर अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार किसी तिथि से पृथ्वी की अपने परिभ्रमण पथ पर खास जगह पर स्थिति का ही बोध होता है , आसमान के किसी ग्रह की स्थिति का नहीं । इसलिए अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार दो तीन अंको के संयोग को किसी प्रकार का योग बना देना और इस आधार पर किसी प्रकार की भविष्यवाणी का कोई औचित्य नहीं।