एक लेख में मैंने बताया है कि किस तरह आध्यात्म , धर्म , अंधविश्वास और जादू टोना एक दूसरे से अलग हैं। युग के परिवर्तन के साथ ही साथ धर्म की परिभाषा बदलने लगती है। आज के विकसित समाज में भी परिवार में हर सुख या दुख के मौके की वर्षगांठ मनायी जाती है , इसके माध्यम से हम खुशी या दुखी होकर आपनी भावनाओं का इजहार कर पाते हैं , जिन माध्यमों से हमे या हमारे परिवार को सुख या दुख मिल रहा हो , उसे याद कर पाते हैं , उनके प्रति नतमस्तक हो पाते हैं।
एक पूरे समाज में मनाए जानेवाले किसी त्यौहार का ही संकुचित रूप है ये , पर जब किसी की उपस्थिति और अनुपस्थिति पूरे समाज पर प्रभाव डाल रही हो , तो वैसे महान व्यक्ति का जन्मदिन या पुण्य तिथि पूरा समाज एक साथ मनाता है। यह हमारा कर्तब्य है , हमें मनाना चाहिए , पर इसे मनाने न मनाने से उन महान आत्माओं के धर्म में कोई परिवर्तन नहीं होगा। उनका काम कल्याण करना है , तो वे अपने धर्म के अनुरूप कल्याण ही करते रहेंगे। पर उन्हें याद कर हमें उनके गुणों से सीख लेने की प्रेरणा अवश्य मिल जाती है।
प्राचीन काल के संदर्भ में हम इसी बात को देखे तो आग , जल , वायु , सूर्य से लेकर प्रकृति की अन्य वस्तुओं में एक मनुष्य की तुलना में कितनी गुणी अधिक शक्ति है , इसकी कल्पना करना भी नामुमकिन है। आग हमें जला भी सकती है , पर ऐसा विरले करती , वह हमें गर्म रखने से लेकर हमारे लिए स्वादिष्ट खाना बनाने की शक्ति रखती है। जल हमें अपने आगोश में ले सकते हैं , पर वे ऐसा नहीं करते और हमारे जीवन यापन के हर पल में सहयोग करते हैं।
वायु हमें कहां से उडाकर कहां तक ले जा सकती है , पर वो ऐसा नहीं करती , हमारे प्राण को बचाए रखने के लिए ऑक्सीजन का इंतजाम करती है। सूर्य हमें जलाकर खाक कर सकता है , पर हमारी दिनचर्या को बनाए रखने के लिए प्रतिदिन उदय और अस्त होता है। ये सब इसलिए होता है , क्यूंकि कल्याण करना उनका स्वभाव है।
हम प्रकृति की वस्तुओं के इसी स्वरूप की पूजा करते हैं । पूजा करने के क्रम में हम इनको सम्मान तो देते ही हैं , उनसे सीख भी लेते हैं कि हम अपने गुणों से संसार का कल्याण करेंगे। प्रकृति के एक एक कण में कुछ न कुछ खास विशेषताएं हैं , जो हमारी सेवा में तत्पर रहती हैं। यदि हम ढंग से प्रयोग करें , तो फूल से लेकर कांटे तक और अमृत से लेकर विष तक , सबमें किसी न किसी प्रकार का फायदा है।
हर वर्ष का एक एक दिन हमने इनकी पूजा के लिए निर्धारित किया है , ताकि हम इनके गुणों को याद कर सके और इनसे सीख ले सकें। इसलिए इसे हमारे धर्म से जोडा गया है। यदि इस ढंग से सोंचा जाए कि हम इनकी पूजा नहीं करेंगे यानि इसका दुरूपयोग करेंगे , तो इनके सारे गुण अवगुण में बदल जाएंगे यानि तरह तरह की प्राकृतिक आपदाएं आएंगी , तो यह अंधविश्वास नहीं हकीकत ही है।