गिरीश बिल्लौरे 'मुकुल' जी के द्वारा लिए गए अपने साक्षात्कार में मैने बताया था कि ग्रहों के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए अधिक माथापच्ची करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हमारे यहां एक सत्यनारायण स्वामी की कथा भी करवा ली जाए , तो उससे ही सभी ग्रहों की बाधाएं को दूर किए जाने के प्रयास होते हैं। हर क्षेत्र में मेरे वैज्ञानिक दृष्टिकोण को देखने के बाद हमारे विद्वान पाठकों को इससे कुछ अचरज हुआ होगा , क्यूंकि सत्य नारायण स्वामी जी की पूजा करने के समय जो कथा पढी जाती है , उससे वैज्ञानिक वर्ग सहमत नहीं हो सकते।
इस पोस्ट के द्वारा मैं यही बताना चाहती हूं कि मैं भी इस कथा से सहमत नहीं। ईश्वर सबके माता पिता है , पूजा करने या नकरने से उनको कोई प्रभाव नहीं पडता । चूंकि पूजा को हर वक्त कथा ही कहा जाता है , इसलिए मेरे मुंह से कथा वाली बात ही निकल गयी। इस कथा के द्वारा लोगों के दिमाग में भय उत्पन्न करने का अनावश्यक प्रयास किया गया है , हो सकता है कि इसका कारण यह हो कि बिना भय के इस प्रकार के कर्मकांड को लोगों को मानने को मजबूर नहीं किया जा सका हो।
पर इस कर्मकांड में कोई गडबडी है , इसे मैं नहीं मानती। अब ये सत्यनारायण स्वामी भगवान विष्णु के रूप हों या किसी अन्य के , इससे मेरा खास मतलब नहीं। मैं एक ईश्वर को मानती हूं , जो प्रकृति भी हो सकता है। वैसे ये मेरा व्यक्तिगत विचार है और इसे मानने को मैं सबको मजबूर नहीं कर सकती , इसके बारे में कोई प्रमाण भी नहीं दे सकती .
पर मैं यही मानती हूं कि इस पूजा की सारी विधि प्रामाणिक है , यज्ञ प्रामाणिक है और पूर्णत: अपने को समर्पित करने के बाद इससे मानसिक शांति प्राप्त करने के साथ ही साथ घर परिवार और वातावरण तक को निर्मल बनाया जा सकता है। हो सकता है समाज के कई वर्गों को महत्व देने के ख्याल से इसमें कुछ अतिरिक्त तत्व जोडे गए हों , पर उससे क्या फर्क पडता है। इसमें पढे जाने वाले विभिन्न प्रकार के मंत्र , हवन का तरीका आदि पर मुझे पूरा विश्वास है और मैं बचपन से ही इससे फायदा पाती आ रही हूं !