हमारे देश में तरह तरह के अंधविश्वास फैले हुए हैं , ताज्जुब है कि अंधविश्वासों के चक्कर में सिर्फ अनपढ , गरीब निम्न स्तरीय जीवन जीनेवाले ही नहीं हैं , बल्कि पढे लिखे और अमीर लोगों का तबका भी अंधविश्वासों से बाहर नहीं है। इसके चक्कर में कभी नवजात की बलि चढ़ जाती है , कभी बेबस स्त्री डायन बन जाती है , तो कभी सामान्य पुरूष महापुरूष। अक्सर पत्र पत्रिकाओं में हम इनके विरोध में खबरें प्रकाशित होती हैं , सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा विज्ञान के प्रचार प्रसार के कार्यक्रम चलते रहते हैं , पर सुधार की गति बहुत धीमी है। अर्थप्रधान युग में भविष्य के प्रति आशंका से अंधविश्वास और बढता जा रहा है। अंधविश्वास का मूल कारण अज्ञानता है , आग , वर्षा, बाढ , बिजली, रोग, भूकंप, चंद्रग्रहण , सूर्यग्रहण आदि घटनाओं के बारे में पर्याप्त जानकारी न होने से आदिम मानव के मध्य इन्हें लेकर अंधविश्वास था। पर जैसे जैसे रहस्यों का पर्दाफाश होता गया , अंधविश्वास समाप्त होता गया। देवी-देवता और आस्था से जुड़े कर्मकाण्डों मे भागीदारी गलत नहीं , पर समाज का अंध्विश्वासी होना इसके विकास में एक रूकावट है।
प्रकृति के सभी प्राणियों की तुलना में व्यक्ति की बनावट अलग होती है , इसलिए उसे जरूरत, सुरक्षा और सुविधा के लिए परिवार और समाज की जरूरत होती है , समाज को शक्ति देने के लिए समय समय पर उपलब्ध जानकारियों और तजुर्बों के आधार पर कुछ नियम बनाए जाते हैं। सामाजिक आचार संहिता व्यक्ति के स्वार्थ में कमी लाती है और व्यक्ति को संस्कारित करने में मदद करती है। पर ऐसा नहीं है कि इन संस्कारों को अपरिवर्तनशील मान लिया जाए। समाज में हो रहे परिवर्तनों के साथ पुराने नियम प्रासंगिक न होकर विकृतियाँ फैलाने वाले हो जाते हैं , ये नियम व्यक्ति को अंधविश्वासी बनाते हैं। तर्कशीलता का कवच पहनकर नए नियमों को समाविष्ट करके ही परम्परा को जीवंत रखा जा सकता है। नए विचार को प्रारम्भ में कड़ी भर्त्सना की जाती है , पर गहरे तर्क वितर्क के बाद इसे सार्वभौम सत्य समझ लिया जाता है और यह अंधविश्वास के खात्में की राह प्रशस्त करता है।
प्रकृति के रहस्यों की जानकारी के बाद बहुत सारे अंधविश्वास समाप्त होते चले गए , यदि आज समाज में कुछ अंधविश्वास प्रचलित हैं , तो इसकी वजह कुछ ऐसे रहस्य हैं , जिनका पता विज्ञान नहीं लगा सका है। बीमारी का इलाज भले ही मेडिकल साइंस के पास हैं , पर वह यह नहीं बता सकता कि कोई व्यक्ति बीमारी से ग्रस्त या अस्वस्थ क्यों है ? अधिकांश परिवार को परिवार नियोजन के कार्यक्रम का सहारा लेना पडता है , वहीं कुछ दंपत्ति डॉक्टरों के निरंतर इलाज के बावजूद बच्चे को जन्म देने में बाधाएं उपस्थित पा रहे हैं। कुछ आर्थिक मामले में स्वतंत्र हैं तो कुछ को जीवन में कठिन परीक्षा से गुजरना पड रहा है। किसी के बच्चे पढाई लिखाई में माता पिता का नाम रोशन कर रहे हैं , तो कुछ उनके लिए बोझ बने हुए हैं। सामान्य विद्यार्थी कैरियर में हर तरह से सफल हैं, तो मेधावी और सफल रहे विद्यार्थी दर दर की ठोकर खाने को मजबूर। इसी प्रकार कभी अच्छा भला चल रहा व्यवसाय अचानक दम तोडने लगता है , तो कभी साधारण व्यवसाय अचानक पनप जाता है। कभी अच्छे भले बच्चे आत्म हत्या को मजबूर हो जाते हैं , अच्छी भली बच्चियां दहेज लोभियों के चंगुल में फंस जाती है। भले ही विज्ञान इसके पीछे किसी नियम के होने की वास्तविकता से इंकार करे , पर 1981 से अबतक पच्चीस तीस हजार जन्मकुंडलियों के विश्लेषण के बाद ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ का दावा है कि समय समय पर आनेवाली मनुष्य की हर अच्छी भली परिस्थिति के पीछे उसके जन्मकालीन और गोचर के ग्रहों का हाथ होता है और इसे समझा और समझाया जा सकता है।
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प्राचीन काल से ही फलित ज्योतिष को काल गणना का विज्ञान माना जाता रहा है। काफी ठोस नियमों के नहीं होने के बावजूद भी समाज में इसे कभी अंधविश्वास नहीं माना गया , क्योंकि इसका आधार ग्रहों नक्षत्रों के गणित पर आधारित है। पर इसमें कुछ कमजोरियां थी , जिसका निदान करने के बाद मनुष्य के जीवन में आनेवाली परिस्स्थितियों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ के सारे सिद्धांतों की चर्चा एक बार में संभव नहीं है , पर इसके कुछ फार्मूले को डालकर मैने एक सॉफ्टवेयर विकसित किया है जिससे इस तरह के दो तरह के ग्राफ निकलते हैं ,
पहला ग्राफ आपके जीवन के उतार चढाव को समझाने में समर्थ है , ग्राफ काफी ऊपर हो तो मनमौजी वातावरण , मध्य में हो तो काम करने का वातावरण तथा नीचे हो तो निराशाजनक वातावरण देता है। हरा ग्राफ आपके परिस्थितियों की सूचना देता है , लाल यदि हरे से ऊपर हो तो परिस्थितियों आपके नियंत्रण में होंगी , विपरीत स्थिति में आपको परिस्थितियों के हिसाब से चलना होता है।
दूसरा ग्राफ आपके जीवन के विभिन्न संदर्भों के बारे में प्रकृति से मिलनेवाले सहयोग की सूचना देता है। जिन संदर्भों का प्रतिशत बीस प्रतिशत के आसपास होगा , उससे संबंधित सुख प्राप्त करेंगे , दस प्रतिशत के आसपास होगा , तो उन संदर्भों में महत्वाकांक्षी होंगे , दो तीन प्रतिशत के आसपास होगा तो किसी न किसी कारण से उन संदर्भों से कष्ट प्राप्त करेंगे। इसके अलावे इस ग्राफ से विभिन्न संदर्भों से संतुष्टि और असंतुष्टि की जानकारी भी आपको मिल सकती है।
इसके अलावे छोटी छोटी अवधि में आने वाली खुशियों और कष्ट का आकलन भी गोचर के ग्रहों द्वारा संभव है , पर उसका प्रोग्रामिंग नहीं हो पाने से उसके आकलन में समय लगता है। सॉफ्टवेयर में अभी कुछ दिनों तक नियमित तौर पर काम चलता रहेगा और इस वर्ष के अंत तक हम बहुत हद तक अभी तक प्राप्त जानकारी को समाहित करने में कामयाब हो जाएंगे , पर अभी सिर्फ इन्हीं दो ग्राफों से किसी को भी उनकी प्रकृति और जीवनयात्रा के बारे में जानकारी दी जा सकती है, जो उन्हें खुद को समझने और अंधविश्वास से बचाने में मदद कर सकती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' भी समाज से अंधविश्वास को दूर करने के लिए पिछले चालीस वर्षों से सक्रिय है , विवाह के लिए जन्मकुंडली मिलाना आवश्यक नहीं , सूर्य और चंद्रग्रहण के प्रभाव का क्या है सच ? , मुहूर्त्त को लेकर लोगों के भ्रम जैसी पोसट इसका प्रमाण हैं।