google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 मेरी समझ से इस देश में छूआछूत की भावना इस तरह फैली होगी ??

मेरी समझ से इस देश में छूआछूत की भावना इस तरह फैली होगी ??

आज भारत के परंपरागत नियमों को संदेहास्‍पद दृष्टि से देखने वाले अक्‍सर जाति प्रथा के विरोध में या खासकर छूआछूत के विरोध में हल्‍ला किया करते हैं। पर लोगों ने कभी चिंतन मनन करने की कोशिश नहीं की कि छूआछूत की भावना अपने देश में क्‍यूं आयी होगी। मैं स्‍पष्‍टत: कहना चाहूंगी कि मेरे गांव में हर जाति , हर धर्म के लोग बडे प्रेम से रहते हैं । 

छोटी से छोटी जाति भी एकजुट होकर किसी बात के विरोध में अनशन कर सकती है कि वो किसी कर्मकांड में इस जाति के लोगों का काम नहीं करेगी , तो बडी बडी जाति के लोगों के पसीने छूट जाते हैं। यदि ये मान्‍यता कहीं पर मुझे नहीं मिलती है , तो इसका जबाबदेह मैं विदेशी आक्रमण के दौरान हमारी सामाजिक स्थिति को छिनन भिन्‍न करने  की उनकी कोशिश को ही मानती हूं। 

स्‍वस्‍थ ग्रामीण पृष्‍ठभूमि में अपने जीवन का अधिकांश समय व्‍यतीत करने के कारण मैने स्‍पष्‍टत: परंपरागत नियमों के गुण दोषों पर ध्‍यान दिया है। समय समय पर आनेवाले हमारे हर पर्व त्‍यौहार मे अपने शरीर की क्‍या , घर द्वार, आंगन गोशाले से लेकर सारे बरतनों तक की विशेष तौर पर सफाई के नियम से यह स्‍पष्‍ट हो जाता है कि हमारे पूर्वज सफाई पसंद थे। उन्‍हें अच्‍छी तरह मालूम था कि अच्‍छे स्‍वास्‍थ्‍य और सुखी होने के लिए स्‍वच्‍छता पहली शर्त है।

प्रतिदिन के रूटीन में भी साफ सफाई का विशेष ध्‍यान था , प्रतिदिन अपने घर, द्वार , आंगन , गोशाले की सफाई जहां अपने पर्यावरण को स्‍वस्‍थ जीवन जीने के लायक बनाती थी , वहीं सुबह सवेरे  शौच ,  दतुअन , स्‍नान किया जाना और बिना नहाए धोए न तो रसोई बनाना और न खाना भी स्‍वस्‍थ परंपरा ही थी। किसी किटाणु के संक्रमण का भय प्राचीन काल में इतना था कि लोग रसोई में जूत्‍ते पहनकर नहीं जाया करते थे। यहां तक कि शौच से आने के बाद कपडे बदलकर रसोई में जाया जाता था। 

काफी समय तक किसी गंभीर बीमारी का अचूक इलाज विकसित नहीं किया गया होगा , जिसके कारण वैसे बीमारी से ग्रस्‍त रोगियों को भी अपने परिवार से अलग रखा जाता था , यहां तक कि कुत्‍ते के काटने पर भी उसे काफी दिनों तक अलग रखा जाता था , यहां तक कि कई रोगियों के लिए अलग बरतनों का प्रयोग होता था, जो कि अनेक स्‍थानों पर अभी भी चलता है। चेचक निकलने की स्थिति में भी रोगी को एक अलग कमरे में रखकर उसकी भरपूर सेवा सुश्रुसा की जाती थी। ये सब नियम रोगों को फैलने से बचाने के लिए थे।

आज मेडिकल साइंस के विकसित होने पर पढे लिखे लोगों को इन नियमों की कोई आवश्‍यकता नहीं दिखती , पर मुझे ऐसा नहीं लगता , क्‍यूंकि भारत की बहुत बडी आबादी अभी भी एलोपैथी के इलाज में असमर्थ है और वैसी जगहों पर साफ सफाई बनाए रखकर बहुत सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। जो एलोपैथी के हर संभव इलाज की सामर्थ्‍य रखते हैं , उनके लिए भी इन नियमों के पालन की आवश्‍यकता है , क्‍यूंकि एलोपैथी की दवाओं का अधिक प्रयोग जहां एक बीमारी को ठीक करता है , वहीं कई नई बीमारियां जन्‍म लेती है, जो पूर्ण तौर पर लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य का नुकसान करने में समर्थ है।

 आखिर बीमारियों को फैलने से बचाने के लिए ही तो बाजार में विभिन्‍न प्रकार के मास्‍क बिक रहे हैं , जो आज के पेशेवरों द्वारा इस्‍तेमाल किए जाते हैं। जहां ये इस्‍तेमाल नहीं किए जाते हैं , वहां कई क्षेत्र में काम कर रहे लोगों को किसी खास प्रकार के बीमारी से ग्रस्‍त देखा जाता है।

लेकिन पुराने किसी भी पेशे में लगे व्‍यक्ति के लिए किसी प्रकार की ऐसी सुविधा नहीं रही होगी। ऐसे लोग खुद भी काम करने के बाद साफ सुथरे होकर ही परिवार के सम्‍मुख आते रहे होंगे , ताकि परिवार में भी बीमारी न फैले। हमारे यहां बच्‍चों को जन्‍म देने के समय मदद के लिए जो दाइयां आती थी , वो न सिर्फ उसमें मदद करती थी , प्रसवोपरांत शरीर को पुन: पुरानी स्थिति में लाने के लिए भी उसके पास कई उपाय थे , उसके द्वारा की जाने वाली शरीर की मालिश और अन्‍य उपायों से महिलाएं काफी राहत महसूस करती थी। 

जब तक महिलाएं सौर गृह में होती , उनसे आराम से सेवा सुश्रुसा करवाती, पर सौर गृह से निकलने के बाद स्‍नान से पहले ही इन दाइयों से तेल लगवाना होता था । ऐसा इसलिए क्‍यूंकि वे कई घरों में इस प्रकार का काम करती थी , जिसके कारण प्रसूता को इन्‍फेक्‍शन का भय बना रहता था।  पर जब धीरे धीरे जाति के आधार पर पूरे परिवार के लिए वो काम निश्चित हुआ होगा, जिसके कारण लोग उनसे परहेज बनाने लगे होंगे , जो धीरे धीरे छूआछूत जैसी सामाजिक रूढि में बदल गया होगा।

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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