समस्या का समाधान कैसे करें ? -3

 

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फिर हमारे पूर्वजों की नजरें आसमान तक भी पहुंच ही गयी। अगणित तारें, चंद्रमा, सूर्य , राशि ,नक्षत्र ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,भला इनके शोध क्षेत्र में कैसे शामिल न होते। ब्रह्मांड के रहस्यों का खुलासा करने में मानव को असाधारण सफलता भी मिली और इन प्राकृतिक नियमों के अनुसार उन्होने अपने कार्यक्रमों को निर्धारित भी किया। पृथ्वी अपनी घूर्णन 24 घंटे में पूरी करती है इस कारण 24 घंटे की घड़ी बनायी गयी। चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने में 28 दिन लगते हैं इसलिए चंद्रमास 28 दिनों का निश्चित किया गया। 365 दिनों में पृथ्वी अपने परिभ्रमण-पथ पर पूरी घूम जाती है , इसलिए 365 दिनों के एक वर्ष का कैलेण्डर बनाया गया। 6 घंटे के अंतर को हर चौथे वर्ष लीप ईयर मनाकर समायोजित किया गया। 

दिन और रात , पूर्णिमा और अमावस्या , मौसम परिवर्तन ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,सब प्रकृति के नियमों के अनुसार होते हैं इसकी जानकारी से न सिर्फ समय पर फसलों के उत्‍पादन में ही , वरन् हमें अपना बचाव करने में भी काफी सुविधा होती है। अधिक गर्मी पड़नेवाले स्थानों में ग्रीष्‍मऋतु में प्रात: विद्यालय चलाकर या गर्मियों की लम्बी छुटि्टयॉ देकर चिलचिलाती लू से बच्चों का बचाव किया जाता है। बरसात के दिनों में बाढ की वजह से रास्ता बंद हो जानेवाले स्थानों में बरसात में छुटि्टयॉ दे दी जाती हैं ।

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ग्रह-नक्षत्रों की किसी खास स्थिति में पृथ्वी के जड़-चेतनों पर पड़नेवाले खास प्रभाव को महसूस करने के बाद ही `फलित ज्योतिष´ जैसे विषय का विकास किया गया होगा। परंतु शायद कुछ प्रामाणिक नियमों के न बन पाने से , भविष्‍यवाणियों के सटीक न हो पाने से या वैज्ञानिक सोंच रखनेवालों का ज्योतिष के प्रति दुराग्रह के कारण ही आधुनिक वैज्ञानिक युग में ज्योतिष का अच्छा विकास नहीं हो पाया। किन्तु वर्षों की साधना के बाद हम `गत्यात्मक ज्योतिष´ द्वारा सटीक भविष्‍यवाणियॉ करने में सफल हो रहे हैं। हमने पाया है कि विभिन्न जंतुओं और पेड़-पौधों में यह बात होती है कि उनके बीज से ही उन्हीं के गुण और स्वभाव वाले पेड़-पौधे और जीव-जंतुओं का जन्म होता है , पर मनुष्‍य के बच्चे शारीरिक और आंतरिक संरचना में भले ही अपने माता-पिता से मिलते जुलते हों , परंतु उनकी मन और बुद्धि के काम करने के ढंग में विभिन्नता होती है। 

जन्म के समय ही हर बच्चे में समानता नहीं देखी जाती है। कोई शरीर से मजबूत होता है , तो कोई कमजोर। किसी में रोग-प्रतिरोधक-क्षमता की प्रचुरता होती है , तो किसी में इसकी अल्पता। कोई दिमाग से तेज होते हैं , तो कोई कमजोर। पालन-पोषण के समय में भी बच्चे का वातावरण भिन्न-भिन्न होता है। बहुत बच्चों को भरपूर प्यार मिल पाता है ,जिससे उनका मनोवैज्ञानिक विकास अच्छी तरह हो पाता है। पूरे जीवन वे मनमौजी और चंचल हो जाते है , अपनी इच्छा पूरी करने में बेसब्री का परिचय देते है। अपनी बातें बेबाक ढंग से रख पाने में सफल होते है। 

बहुत बच्चे प्यार की कमी महसूस करते हैं , जिससे इनका मनोवैज्ञानिक विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है। पूरी जिंदगी वे अपनी इच्छाओं को दबाने की प्रवृत्ति रखते हैं। उनके जन्मकालीन ग्रहों के प्रभाव से ही पूरी जिंदगी उनके सामने अलग-अलग तरह की परिस्थितियॉ आती हैं। जन्मकालीन ग्रहों के प्रभाव से ही किसी की रुचि व्यवसाय में , किसी की पढ़ाई में , किसी की कला में और किसी की राजनीति में होती है। किसी का ध्यान अपने शरीर को मजबूती प्रदान करने का होता है , तो किसी का कोष को बढ़ाने का , किसी का ध्यान संपत्ति की स्थिति को मजबूत बनाने का होता है , तो किसी का ध्यान अपनी घर गृहस्थी और संतान को मजबूती देने का।

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ग्रहों के कारण आनेवाली कई समस्‍याओं के निराकरण कर पाने की दिशा में भी हमने काफी प्रयास किया है , हालॉकि विपरीत परिस्थितियों को पूर्ण रुप से सुधार न पाने का हमें अफसोस भी बना रहता है। लेकिन हम यह सोंचकर संतुष्‍ट हो जाते हैं कि प्रकृति के नियमों को बदल पाना इतना आसान नहीं । हो सकता है कुछ वर्षों में प्रकृति के किसी अन्य रहस्य को समझने के बाद हम बुरे ग्रहों के प्रभाव से पूर्णतया मुक्त हो सकें। पर अभी भी इस रहस्य का खुलासा कि अमुक ग्रह स्थिति में जन्म लेनेवालों की जीवन-यात्रा अमुक ढंग की होगी , निस्संदेह आज की बहुत बड़ी वैज्ञानिक उपलब्धि है। 

जिन्होनें भी इस धरती पर जन्म ले लिया है या लेनेवाले हैं ,उन्हें तो गत्यात्मक ज्योतिष के अनुसार उपस्थित होनेवाली परिस्थितियों के अनुसार जीवन जीना ही होगा ,परंतु यदि उन्हें अपने जीवन में आनेवाले सुखों और दुखों का पहले से ही अनुमान हो जाए तो वे तदनुरुप अपने कार्यक्रम बना सकते हैं । आनेवाले हर वर्ष या महीने के ग्रह स्थिति को जानकर अपने कार्य को अंजाम दे सकते हैं। यदि ग्रहो की स्थिति उनके पक्ष में हो तो वे हर प्रकार के कार्य को अंजाम देंगे।

यदि ग्रहों की स्थिति उनके पक्ष में नहीं हो तो वे किसी प्रकार का रिस्क नहीं लेंगे। इस प्रकार वे अपने जीवनग्राफ के अच्छे समय के समुचित उपयोग द्वारा विशेष सफलता हासिल कर सकते हैं , जबकि बुरे समय में वे प्रतिरोधात्मक ढंग से जीवन व्यतीत कर सकते हैं । भविष्‍य में उत्पन्न होनेवाले बच्चों के लिए गत्यात्मक ज्योतिष वरदान हो सकता है। क्‍यूंकि विशेष मुहूर्तों में बच्चे को जन्म देकर उसकी जीवन-यात्रा को काफी महत्वपूर्ण तो बनाया ही जा सकता है। अगले लेख में इसके आगे का भाग पढें !!

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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