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अबतक की प्रचलित दशा पद्धति , चाहे कितनी भी लोकप्रिय क्यूं न हो , लेकिन अबतक ज्योतिषियों के सरदर्द का सबसे बडा कारण दशाकाल का निर्णय यानि ग्रहों के प्रभावी वर्ष का निर्णय ही रहा है। भले ही उसकी गणना का आधार स्थूल नक्षत्र प्रणाल…
परसों शाम जैसे ही ब्लॉगर का डैशबोर्ड रिफ्रेश किया , अलबेला खत्री जी की एक पोस्ट के शीर्षक पर नजर गयी। भगवान करे यह सच न हो , झूठ हो , डॉ अमर कुमार जी जीवित ही हों , पढने के बाद इसे खोलने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी। कांपते …
काफी दिनों से ब्लॉग लेखन में अनियिमितता बनी हुई है , कई तरह के पूर्वानुमान मन में ही रह जाते हैं , जिसके कारण पाठक जानकारी से वंचित रह रहे हैं। पहले मैं मौसम के क्षेत्र की भवष्यिवाणियां हमेशा किया करती थी , जिससे आम जन को मौस…
मेहंदी लिथेसिई कुल का काँटेदार आठ दस फुट तक ऊंचा झाडीनुमा पौधा होता है , जिसका वैज्ञानिक नाम लॉसोनिया इनर्मिस है। इसे त्वचा, बाल, नाखून, चमड़ा और ऊन रंगने के काम में प्रयोग किया जाता है। जंगली रूप से यह ताल तलैयों के किनारे उगता …
हमने तो बहुत दिनों तक अपने हाथो से भाइयों को राखी बांधी , आजकल की बहनें तो शुरू से ही पोस्ट से राखी भेजने या ग्रीटींग्स कार्ड के द्वारा राखी मनाने को मजबूर हैं, भाई साथ रहते ही कितने दिन हैं ?? बहनों के लिए वो दिन तो अब लौट न…
अखबार में अपना भी नाम आए , इसकी इच्छा भला किसे न होगी ?? जनसामान्य की इस मानसिकता को लेखक यशपाल जी ने अच्छे से समझा था और एक सफल कहानी 'अखबार में नाम' लिख डाला था। इस कहानी के नायक गुरदास को बचपन से ही अखबार में अपन…