google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 क्‍या आपके शहर में भी एक गैस कनेक्‍शन लेने का यही हाल है ??

क्‍या आपके शहर में भी एक गैस कनेक्‍शन लेने का यही हाल है ??

पिछले पोस्‍टों में आप पढ ही चुके हैं ... बच्‍चों के एडमिशन के बाद हमलोगों को बिना किसी तैयारी के ही एक महीने के अंदर बोकारो में शिफ्ट करना पड गया था। शहर के कई कॉलोनी में दौडते भागते अंत में सेक्‍टर 4 में एक क्‍वार्टर मिलने के बाद हमलोग निश्चिंत हो गए थे। इसके साथ ही स्‍थायित्‍व के लिए आवश्‍यक अन्‍य सुविधाओं पर हमारा ध्‍यान चला गया था।  दो तीन महीने किरासन तेल के स्‍टोव पर खाना बनाते हुए हमने काट दिए थे , इस तरह के स्‍टोव का उपयोग मैं जीवन में पहली बार कर रही थी , इसलिए मुझे किन समस्‍याओं का सामना करना पडा होगा , आप पाठक जन उम्‍मीद कर सकते हैं। इस स्‍टोव की तुलना में खाना बनाने के लिए लकडी या कोयले के चूल्‍हे का उपयोग मेरे लिए अधिक आसान था , पर दोमंजिले के छोटे से क्‍वार्टर में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता था , इसलिए  एक गैस कनेक्‍शन तो हमारे लिए बहुत आवश्‍यक था ।

बोकारो के विभिन्‍न सेक्‍टरों में इंडियन ऑयल गैस की जितनी भी एजेंसियां थी , हमलोग सबमें भटकते रहे , पर सबने हमें एक कनेक्‍शन देने से इंकार कर दिया था। उन दिनों गैस कनेक्‍शन की मांग की तुलना में पूर्ति का कम होना एक मुख्‍य वजह हो सकती है , पर हमारे पास बोकारो में कनेक्‍शन लेने के लिए आवश्‍यक कागजात भी नहीं थे कि हम वहां नंबर भी लगा सकते। वैसे आवश्‍यक कागजातों के बाद भी सरकारी दर से किसी को गैस नहीं मिला करता था। एक कनेक्‍शन के लिए दुगुने तीगुने पैसे देने होते। पडोस में पूछती , तो मालूम होता कि उन्‍होने गैस का कनेक्‍शन भी नहीं लिया है। बाजार से ही एक चूल्‍हा , कहीं से एक सिलिंडर और रेगुलेटर और पाइप का इंतजाम करते और ब्‍लैक से सिलिंडर चेंज करते। बिजली की सुविधा मुफ्त थी , इसलिए अधिकांश लोग हीटर का भी उपयोग करते।

प्राइवेट मकानों में तो इसकी सुविधा नहीं थी , पर सरकारी क्‍वार्टर में आने के बाद हमलोगों ने भी एक हीटर रख लिया था , पर हीटर और स्‍टोव में खाना बनाने में समय काफी जाया होता।  हमारी इच्‍छा इंडियन ऑयल के गैस के कनेक्‍शन लेने की थी  , लेकिन बोकारो मे कोई व्‍यवस्‍था नहीं हो रही थी। मरता क्‍या न करता , आखिरकार हमें हार मानकर यहां से 30 किमी दूर के एक शहर फुसरो से एक एच पी का गैस कनेक्‍शन लेना पडा । वो भी आसानी से नहीं , हमें उन्‍हें कमीशन देने के लिए एक गैस चूल्‍हा भी साथ खरीदना पडा , डबल सिलिंडर का कनेक्‍शन और उन्‍हें मनमाने पैसे , तब यानि 1998 में सरकार के द्वारा तय किए गए मात्र 1800 रूपए खर्च करने की जगह हमें 5500 रूपए खर्च करने पडे थे। फिर जबतक उस कनेक्‍शन का बोकारो ट्रांसफर नहीं हुआ , हमें ब्‍लैक में ही गैस भरवाने यानि हर महीने 100 रूपए अधिक देने को बाध्‍य होना पडा। इस मामले में काफी दिनों बाद हम निश्चिंत हो सके थे । आज घर घर तक गैस के पहुंचने के बाद भी यह समस्‍या वैसे ही बनी हुई है , बोकारो में इंडियन ऑयल या एच पी का कनेक्‍शन लेना आज भी मुश्किल कार्य है। क्‍या आपके शहर में भी एक गैस कनेक्‍शन लेने में इतनी समस्‍याओं का सामना करना पडता है ??
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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