Makar lagna kundali vishleshan
आसमान के 270 डिग्री से 300 डिग्री तक के भाग का नामकरण मकर राशि के रूप में किया गया है। जिस बच्चे के जन्म के समय यह भाग आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित होता दिखाई देता है , उस बच्चे का लग्न मकर माना जाता है। मकर लग्न की कुंडली के अनुसार मन का स्वामी चंद्र सप्तम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के घर गृहस्थी का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मकर लग्न के जातकों के मन को पूर्ण तौर पर संतुष्ट करने वाले संदर्भ घर गृहस्थी ही होते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में चंद्र के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों की घर गृहस्थी का माहौल सुखद होता है।जबकि विपरीत स्थिति हो तो घर गृहस्थी का माहौल कष्टकर बना होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' चन्द्रमा की शक्ति का निर्णय इसके आकार के आधार पर करता है। अमावस के चन्द्रमा को शुन्य, दोनों अष्टमी के चन्द्रमा को 50 और पूर्णिमा के चन्द्रमा को 100 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है।
Makar lagna analysis
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार समस्त जगत में चमक बिखेरने वाला सूर्य अष्टम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के रूटीन और जीवनशैली का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए अपने नाम यश को फैलाने के लिए मकर लग्न के जातक जीवनशैली को मजबूत बनाए रखने में रूचि लेते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के मजबूत रहने से इनकी जीवनशैली बहुत ही उत्तम कोटि की और अनुकरणीय होती है , जबकि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के कमजोर रहने इन्हें अपनी जीवनशैली से कष्टकर समझौता करने को बाध्य होना पडता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' में सूर्य को हर वक्त 50 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है, पर यह जिस ग्रह की राशि में होता है, उससे इन्हे गत्यात्मक शक्ति प्रभावित होकर थोड़ी धनात्मक या ऋणात्मक हो जाती है।
Makar lagna me mangal
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी होता है और यह जातक के मातृ पक्ष , हर प्रकार की संपत्ति , स्थायित्व और लाभ का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के लाभ में मातृ पक्ष , किसी प्रकार की संपत्ति या स्थायित्व का सहसंबंध बना होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के मजबूत रहने पर माता से इनके संबंध अच्छे बने होते हैं , ये हर प्रकार की संपत्ति और स्थायित्व का सुख प्राप्त करते हैं। विपरीत स्थिति में यानि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के कमजोर रहने पर मातृ पक्ष से संबंधित समस्याएं बनी होती हैं , हर प्रकार की संपत्ति कष्ट का कारण बनती हैं और स्थायित्व कमजोर बने होने से लाभ में बाधाएं आती हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' मंगल की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में मंगल सूर्य के निकट हो तो मंगल को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और मंगल आमने सामने हो तो मंगल काफी कमजोर होता है।
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makar lagna me shukra
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी है और यह जातक के बुद्धि , ज्ञान , संतान , पिता और सामाजिक राजनीतिक स्थिति आदि का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मकर लग्नवालों के प्रतिष्ठा पक्ष को मजबूती देने में अपने बुद्धि , ज्ञान या संतान की बडी भूमिका होती है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के मजबूत रहने पर मकर लग्नवाले अपने बुद्धि ज्ञान से कैरियर को मजबूती देते हैं । इनके सामाजिक राजनीतिक महत्व को बढाने में संतान भी सहयोगी सिद्ध होते हैं , पर जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र कमजोर हो तो बुद्धि ज्ञान की कमी से अपना कैरियर तो बाधित होता ही है , संतान पक्ष के काम भी मनोनुकूल ढंग से नहीं हो पाते। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शुक्र की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो शुक्र को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही शुक्र वक्री होता है तेजी से घटती हुई गत्यात्मक शक्ति शुन्य हो जाती है।
Makar lagna kundali in hindi
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार बुध षष्ठ और नवम भाव का स्वामी है और यह जातक के भाग्य और झंझट का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के झंझट को दूर करने में भाग्य की बडी भूमिका होती है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों के झंझटों को हल करने में भाग्य बहुत बडी भूमिका निभाता है , किसी संयोग से उनके काम बन जाते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के कमजोर रहने पर दुर्भाग्य की भूमिका होने से मकर लग्नवालों के झंझट में बडी बडी समस्याएं आती हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' बुध की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, बुध की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो बुध को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही बुध वक्री होता है तेजी से घटती हुई इसकी गत्यात्मक शक्ति शून्य हो जाती है।
Makar lagna kundali
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार बृहस्पति तृतीय और द्वादश भाव का स्वामी होता है और यह जातक के भाई , बहन , बंधु , बांधव , खर्च और बाहरी संदर्भों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मकर लग्न के जातकों के खर्च के साथ भाई बहन , बंधु बांधवों का संबंध बना होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के मजबूत होने पर मकर लग्न के जातकों की खर्च शक्ति मजबूत होती है , जिसका फायदा इनके भाई , बहन , बंधु बांधव उठाते हैं। इन्हें देशाटन का भी बडा शौक होता है। इसके विपरीत , जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के कमजोर होने पर मकर लग्नवाले जातकों की खर्च शक्ति कमजोर होती है , जिसके कारण उन्हें भाई , बहन , बंधु बांधवों का सहयोग लेने की आवश्यकता होती है। इनका बाहरी संदर्भ भी बहुत कमजोर होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' गुरु की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में गुरु सूर्य के निकट हो तो गुरु को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और गुरु आमने सामने हो तो गुरु काफी कमजोर होता है।
Makar lagna me shani
मकर लग्न की कुंडली के अनुसार शनि प्रथम और द्वितीय भाव का स्वामी होता है यानि यह जातक के शरीर , व्यक्तित्व , धन , कोष आदि मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्नवाले जातकों के आत्मविश्वास को बढाने या घटाने में धन की बडी भूमिका होती है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है , धन का अनायास आगम होता रहता है , जिससे आत्मविश्वास में बढोत्तरी होती है। पर जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के कमजोर रहने पर मकर लग्नवालों के स्वास्थ्य में कमजोरी बनी रहती है , धन की कमी होती है , जिससे आत्मविश्वास कमजोर होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शनि की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में शनि सूर्य के निकट हो तो शनि को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और शनि आमने सामने हो तो शनि काफी कमजोर होता है।
ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं। लेकिन ग्रह कमजोर है या मजबूत, इसका पता आंशिक तौर पर हमारे योगकारक ग्रहों का प्रभाव लेख से मालूम हो सकता है, पर ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति की जानकारी के लिए हमारे केंद्र से जन्मकुंडली बनवाना आवश्यक है!