धनु लग्न कुंडली विश्लेषण

 

Dhanu Lagna me

आसमान के 240 डिग्री से 270 डिग्री तक के भाग का नामकरण धनु राशि  के रूप में किया गया है। जिस बच्‍चे के जन्‍म के समय यह भाग आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित होता दिखाई देता है , उस बच्‍चे का लग्‍न धनु माना जाता है। धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार मन का स्‍वामी चंद्र अष्‍टम भाव का स्‍वामी होता है और यह जातक के रूटीन और जीवनशैली का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए धनु लग्‍न के जातकों के मन को पूर्ण तौर पर संतुष्‍ट करने वाले संदर्भ ये ही होते हैं। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में चंद्र के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों की जीवनशैली सुखद होती है , रूटीन सुव्‍यवस्थित होता है । जबकि विपरीत स्थिति हो तो रूटीन अस्‍तव्‍यस्‍त और जीवनशैली कष्‍टकर होती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' चन्द्रमा की शक्ति का निर्णय इसके आकार के आधार पर करता है। अमावस के चन्द्रमा को शुन्य, दोनों अष्टमी के चन्द्रमा को 50 और पूर्णिमा के चन्द्रमा को 100 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है। 

Dhanu Lagna me shani


Dhanu lagna me surya 

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार समस्‍त जगत में चमक बिखेरने वाला सूर्य नवम् भाव का स्‍वामी होता है और यह जातक के भाग्‍य और धर्म का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए अपने नाम यश को फैलाने के लिए धनु लग्‍न के जातक भाग्‍य के रूप में प्रकृति के नियमों को समझने और धर्म का प्रचार प्रसार करने में रूचि लेते हैं। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के मजबूत रहने से ये भाग्‍य का सहयोग प्राप्‍त करते हैं , धर्म और भाग्‍य से संबंधित बातों में इनका सकारात्‍मक चिंतन बना रहता है , जबकि जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के कमजोर रहने ये भाग्‍य की कमजोरी झेलने को बाध्‍य होते हैं और अंधविश्‍वासी होते चले जाते हैं।  'गत्यात्मक ज्योतिष' में सूर्य को हर वक्त 50 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है, पर यह जिस ग्रह की राशि में होता है, उससे इन्हे गत्यात्मक शक्ति प्रभावित होकर थोड़ी धनात्मक या ऋणात्मक हो जाती  है। 

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Dhanu lagna me mangal 

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार मंगल पंचम और द्वादश भाव का स्‍वामी होता है और यह जातक के बुद्धि , ज्ञान , संतान , खर्च और बाहरी संदर्भों का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए इस लग्‍न के जातकों के अपनी या संतान पक्ष के बौद्धिक विकास में खर्च और बाहरी स्‍थान का सहसंबंध बना होता है। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के मजबूत रहने पर ये और इनकी संतान बुद्धि के तीक्ष्‍ण होते हैं , खर्च की मजबूती रखते है और देशाटन वगैरह में रूचि भी। विपरीत स्थिति में यानि जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के कमजोर रहने पर ये और इनके संतान सामान्‍य दिमाग के होते हैं , खर्च शक्ति की कमी से बौद्धिक विकास में बाधाएं आती हैं और बाहरी संदर्भों को कमजोर पाते हैं।  'गत्यात्मक ज्योतिष' मंगल की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में मंगल सूर्य के निकट हो तो मंगल को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और मंगल आमने सामने हो तो मंगल काफी कमजोर होता है। 

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Dhanu lagna me shukra

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार शुक्र षष्‍ठ और एकादश भाव का स्‍वामी है और यह जातक के लाभ , प्रभाव और रोग , ऋण शत्रु जैसे झंझट आदि का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए इनके लाभ के वातावरण में बहुत झंझट होते हैं। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के मजबूत रहने पर धनु लग्‍नवाले प्रभाव की मजबूती से झंझटों को हल करते हुए लाभ प्राप्ति का माहौल बनाते हैं। पर जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के कमजोर रहने पर प्रभाव की कमजोरी से झंझटों को न हल कर पाने के कारण धनु लग्‍नवालों के लाभ में कमजोरी आती है।  'गत्यात्मक ज्योतिष' शुक्र की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो शुक्र को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती  है, जैसे ही शुक्र वक्री होता है तेजी से घटती हुई गत्यात्मक शक्ति शुन्य हो जाती है। 

Dhanu Lagna me budh

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार बुध सप्‍तम और दशम भाव का स्‍वामी है और यह जातक के पिता पक्ष , घर गृहस्‍थी के माहौल और पद प्रतिष्‍ठा का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए इस लग्‍न के जातकों की घर गृहस्‍थी का प्रतिष्‍ठा से संबंध बना होता है । जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों का प्रतिष्ठित परिवार में जन्‍म होता है , ससुराल पक्ष भी बहुत ही मनोनुकूल होता है और घर गृहस्‍थी के वातावरण भी प्रतिष्‍ठा में वृद्धि करनेवाला होता है। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के कमजोर रहने पर धनु लग्‍नवाले पिता से संबंधित मामलों का कष्‍ट प्राप्‍त करते हैं , ससुराल पक्ष का वातावरण इनके मनोनुकूल नहीं होता , घर गृहस्‍थी में भी तनाव आता है और कभी कभी बात कानून तक भी पहुंच जाती है।  'गत्यात्मक ज्योतिष' बुध की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, बुध की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो बुध को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती  है, जैसे ही बुध वक्री होता है तेजी से घटती हुई इसकी गत्यात्मक शक्ति शून्य हो जाती है। 

Dhanu lagna me brihaspati

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार बृहस्‍पति लग्‍न और चतुर्थ भाव का स्‍वामी होता है और यह जातक के शरीर , व्‍यक्तित्‍व , हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति  और स्‍थायित्‍व का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए धनु लग्‍न के जातकों के आत्‍मविश्‍वास को बढाने में उनकी स्‍थायित्‍व की मजबूत स्थिति और हर प्रकार की संपत्ति का बउा महत्‍व होता है। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्‍पति के मजबूत होने पर धनु लग्‍न के जातकों का स्‍वास्‍थ्‍य अच्‍छा रहता है , हर प्रकार की संपत्ति का सुख मिलता है , जिससे आत्‍मविश्‍वास की बढोत्‍तरी होती है। इसके विपरीत , जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्‍पति के कमजोर होने पर धनु लग्‍नवाले जातकों के स्‍वास्‍थ्‍य में समस्‍याएं आती है , हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति कष्‍ट देनेवाली बनती हैं और आत्‍मविश्‍वास में कमी आती है।  'गत्यात्मक ज्योतिष' गुरु की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में गुरु सूर्य के निकट हो तो गुरु को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और गुरु आमने सामने हो तो गुरु काफी कमजोर होता है। 

Dhanu Lagna me Shani

धनु लग्‍न की कुंडली के अनुसार शनि द्वितीय और तृतीय भाव का स्‍वामी होता है यानि यह जातक के धन , कोष , भाई , बहन , बंधु बांधवों का प्रतिनिधित्‍व करता है। इसलिए इस लग्‍नवाले जातकों के भाई , बंधुओं के धन कोष की स्थिति से संबंध बने रहने की संभावना होती है। जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के मजबूत रहने पर ऐसे जातकों को भाई बंधु बांधव से संबंध अच्‍छा बना होता है , धन का लाभ भी प्राप्‍त होता है। पर जन्‍मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के कमजोर रहने पर धनु लग्‍नवालों के धन कोष की स्थिति कमजोर होती है , भाई बहनों से भी संबंध में खराबी होने से धन की स्थिति पर प्रतिकूल प्रभाव पडता है।  'गत्यात्मक ज्योतिष' शनि की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में शनि सूर्य के निकट हो तो  शनि को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और  शनि आमने सामने हो तो शनि काफी कमजोर होता है। 


ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए  यहाँ क्लिक कर सकते हैं। लेकिन ग्रह कमजोर है या मजबूत, इसका पता आंशिक तौर पर हमारे योगकारक ग्रहों का प्रभाव  लेख से मालूम हो सकता है, पर ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति की जानकारी के लिए हमारे केंद्र से जन्मकुंडली बनवाना आवश्यक है!


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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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