Indian religion facts
विश्वभर में सभी धर्म की स्थापना लोगों में उदारता विकसित करने के लिए ही हुई है। दुनिया के सभी धर्मों का उदय पशु को मनुष्य बनाने के लिए हुआ है , इसलिए उसमें जीवन जीने से संबंधित एक एक बात की चर्चा है , पर वही धर्म आज मनुष्य को पशु बनाने के लिए उद्दत है। धर्म को लचीला होना चाहिए , ताकि युग के साथ साथ नियमों में परिवर्तन किया जा सके। हमारे कुछ महापुरूषों ने कई पंथ चलाकर इस दिशा में प्रयास भी शुरू किया , पर हर वर्ग का सहयोग न मिल पाने से उनका प्रयास अधूरा ही रह गया।
जहां परंपरागत ज्योतिष ग्रहों की किसी भाव में उपस्थिति और दृष्टि के हिसाब से ग्रहों की शक्ति का आकलन करता है , वहीं 'गत्यात्मक ज्योतिष' में ग्रहों के शक्ति के निर्धारण के लिए सूर्य से उनकी कोणात्मक दूरी और ग्रहों की गति का ध्यान रखा जाता है। वर्तमान में 'गत्यात्मक ज्योतिष' दृष्टि से धार्मिक क्रियाकलापों के लिए जिम्मेदार ग्रह बृहस्पति बहुत ही कमजोर स्थिति में है , क्यूंकि वह सूर्य के आमने सामने और अपेक्षाकृत कम शक्ति में है। धर्म और भाग्य का स्वामी ग्रह बृहस्पति जब भी आसमान में मजबूत होता है , वह धर्म का सकारात्मक पक्षों को दर्शाता है , जबकि आसमान में उसकी स्थिति कमजोर होती है तो उसकी कमजोरियों को झेलने को हमें बाध्य होना पडता है।
बृहस्पति तो अभी कमजोर है ही , उसके साथ चंद्रमा की युति को भी 23 और 24 सितंबर को लगभग 5 बजे से 7 बजे तक पूर्वी क्षितिज पर आसमान में उदित होते देखा जा सकता है। 25 सितंबर के बाद बृहस्पति से चंद्र की दूरी के बढते जाने के साथ ही साथ बृहस्पति के प्रभाव का खात्मा होना चाहिए। आसमान में बृहस्पति की यही स्थिति इतनी बारिश के लिए भी जिम्मेदार है , जिसने कई प्रदेशों में लोगों का जीना मुहाल कर रखा है। इसलिए मैने तीन चार दिन पूर्व के आलेख में ही लिखा था कि कॉमनवेल्थ गेम को भीषण बारिश का सामना नहीं करना पडेगा। पर इस योग के ठीक पहले आनेवाला बाबरी मस्जिद और रामजन्मभूमि के मामले का निर्णय धर्म के मामलों में कट्टर तौर पर जुडे लोगों को तनाव देनेवाला ही होगा।
ईश्वर एक है , चाहे उसे राम कहा जाए रहीम , अल्लाह या गॉड ... ये तो कहनेवाले पर निर्भर है। आस्था आस्था की बात है , आज के युग में भी बडे रूप में मौजूद समस्याओं को समाप्त करनेवाले को हम भगवान या महात्मा ही मानते हैं , मानते ही रहेंगे। पर उनके नाम से अधिक महत्व उनके विचारों को दिया जाना चाहिए , तभी हम उनके सच्चे पुजारी माने जा सकते हैं। इस ख्याल से चाहे हम किसी भी धर्म के हों , बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि के मामले का न्यायालय का विवेकपूर्ण निर्णय को स्वीकारने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। हमें यह समझना चाहिए कि कोई भी धर्म देश , समाज या मानवता से ऊपर नहीं होता , हम भारत के नागरिक हैं और भारत की रक्षा के लिए हमें एकजुट रहना चाहिए। आइए अपने धर्म को भूलकर हम शपथ लें कि हम ऐसा कोई काम नहीं करेंगे , जिससे देश को थोडा भी नुकसान पहुंचे !