Vikram samvat kab prarambh hua
नए विक्रमी संवत् की ढेर सारी शुभकामनाएं !
आज अंग्रेजी कैलेण्डर के अनुसार काम करने की हमारी आदत हो गयी है। हिंदी तिथियों और महीनों का नाम भी हममे से बहुत लोग जानते नहीं होंगे। हमारे हिंदी कैलेण्डर का वर्ष संवत्सर कहलाता है। संवत्सर का अर्थ होता है .. 12 महीनों का समूह। इस संवत्सर के अनुसार ही हमारी काल गणना होती है। विक्रमी संवत के अनुसार, नव वर्ष की शुरुआत चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की पहली तारीख से होती है ।
धार्मिक अनुष्ठानों, मांगलिक कार्यो आदि में तिथियों का निर्धारण विक्रम संवत के अनुसार होता है। जहां अंग्रेजी कैलेण्डर में किसी तारीख से सिर्फ सूर्य की स्थिति का पता चलता है , हमारा अपना कैलेण्डर इसके साथ चंद्रमा की भी जानकारी देता है। हम किसी भी अंग्रेजी तिथि से दिन के माहौल का अंदाजा लगा सकते हैं , उस वक्त ठंढ का दिन रहा होगा, बारिश का मौसम या फिर गर्मी। लेकिन किसी भी हिंदी तिथि से दिन के साथ साथ रात का अनुमान लगाने में भी मदद मिलती है कि उस दिन चांदनी रात रही होगी या अमावस्या का घनघोर अँधेरा छाया होगा। इस तरह विक्रमी संवत अधिक वैज्ञानिक है। कहा जाता है कि विदेशियों के शासनकाल में इसे समाप्त कर दिया गया था , फिर से विक्रम संवत की शुरुआत महाराजा विक्रमादित्य ने की थी।
ब्रह्म पुराण के अनुसार, चैत्र शुक्ल की प्रतिपदा तारीख से ही सृष्टि का आरंभ हुआ है। शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही चंद्र की कला का प्रथम दिवस है। अतः इसे छोड़कर किसी अन्य दिवस को वर्षारंभ मानना उचित नहीं है।संवत्सर शुक्ल से ही आरंभ माना जाता है क्योंकि कृष्ण के आरंभ में मलमास आने की संभावना रहती है जबकि शुक्ल में नहीं। विक्रम संवत की चैत्र शुक्ल की पहली तिथि से न केवल नवरात्रि में दुर्गा व्रत-पूजन का आरंभ होता है, बल्कि राजा रामचंद्र का राज्याभिषेक, युधिष्ठिर का राज्याभिषेक, सिख परंपरा के द्वितीय गुरु अंगद देव का जन्म, आर्य समाज की स्थापना, महान नेता डॉ. केशव बलिरामका जन्म भी इसी दिन हुआ था।
2 अप्रैल 2022 को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के आरंभ के साथ ही विक्रम संवत् 2079 का आरंभ होगा। कई प्रदेशों में इस दिन का स्वागत कड़वे घूँट से किया जाता है। सबसे पहले नीम का रस पिया जाता है। इस मौसम में नीम में फूल भी आते है और कोमल पत्ते भी आते है। कुछ लोग इसके कोमल पत्ते चबाते भी है। यह तो सभी जानते है कि नीम एक अच्छी औषधि है। नीम की पत्तियों और फूलों का रस पीने से रक्त शुद्ध होता है और त्वचा के रोग नहीं होते। पहले ही दिन कड़वा घूँट पीने का अर्थ है कि जीवन सिर्फ़ मीठा ही नहीं है अनेक कड़वे अनुभव भी होते है जिन्हें झेलने के लिए हमें तैयार रहना है। इस तरह हम मानसिक रूप से दुःखों का सामना करने के लिए तैयार रहेंगें और नीम का रस पीकर हम निरोग भी रहेंगें।
भारत के कई राज्यों में नए वर्ष का स्वागत करते हुए उत्सव मनाया जाता है। यह दिन जम्मू-कश्मीर में नवरेह,पंजाब में वैशाखी, महाराष्ट्र में गुडीपडवा, सिंधी में चेतीचंड,केरल में विशु,असम में रोंगलीबिहूआदि के रूप में मनाया जाता है। आंध्र में यह पर्व उगादि नाम से मनाया जाता है। सिंधी समाज इस दिन को बडे हर्ष और उल्लास के साथ उत्सव के रूप में मनाता है। इस दिन हम ईश्वर से यह प्रार्थना करते हैं कि नव वर्ष हर प्रकार से हमारे लिए कल्याणकारी हो। नया वर्ष आपके लिए बहुत खुशियां , बहुत सफलता से संयुक्त करे , आप सबों को नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं !