Jyotish ke baare mein
विभिन्न राशियों में घूमते ग्रह
मेरे पुराने लेखों से आप समझ चुके होंगे कि राशि का नामकरण भले ही नक्षत्रमण्डल में बन रहे तारों की आकृति से क्र दिया गया हो , पर राशि नक्षत्रमंडल नहीं हैं, आसमान के 360 डिग्री को 12 भागों में बांटकर 30-30 डिग्री की एक-एक राशि बनायीं गयी है। चूँकि आसमान में पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की और चक्कर लगाती है, सभी गृह विभिन्न राशियों में पश्चिम से पूर्व की और पृथ्वी का चक्कर लगते प्रतीत होते हैं। पिछले पोस्ट से आप सबों को इतना मालूम हो ही गया है कि सूर्य सभी राशियों में एक एक महीने चलती हुई एक वर्ष में राशिमंडल का पूरा चक्कर लगा लेती है। इस कारण सूर्य की कुंडली में स्थिति को देखकर हम किसी के जन्म का महीना निकाल सकते हैं।
सौरमंडल में सूर्य और पृथ्वी के मध्य मौजूद ग्रह बुध और शुक्र भी सूर्य के साथ साथ ही भ्रमण करते हैं, इसलिए जन्मकुंडली में भी उनकी स्थिति साथ-साथ होती है। बुध सूर्य से अधिकतम 27 डिग्री तथा शुक्र सूर्य से अधिकतम 47 डिग्री की दूरी तक रह सकता है। चन्द्रमा ढाई-ढाई दिनों तक एक एक राशि में चलता हुआ सभी राशियों चक्कर 28 -29 दिनों में यानी एक महीने में पूरा करता है , पूरा करता है। सूर्य से दूर जाते हुए उसका प्रकाशमान हिस्सा बढ़ता जाता है, सूर्य से निकट आते हुए उसका प्रकाशमान हिस्सा घटता जाता है।
बृहस्पति ग्रह सभी राशियों में एक-एक वर्ष चलते हुए लगभग 12 वर्ष में राशिमंडल का पूरा चक्कर लगाते हैं। अभी भचक्र में बृहस्पति की स्थिति कुम्भ राशि में है , तीन चार महीनों में ही ये मीन राशि में जाने वाले हैं। एक साल मीन राशि में रहने के बाद ये मेष में, फिर एक साल बाद वृष में, फिर एक साल बाद मिथुन में --इस तरह इनकी यात्रा चलती रहेगी। अभी कुम्भ लग्न से एक साल पहले ये मकर राशि में थे, उससे एक साल पहले धनु राशि में, उससे एक साल पहले वृश्चिक राशि .. में इनकी यात्रा चल रही थी। इसलिए कुंडली में स्थित बृहस्पति को देखकर आप जन्म के साल का भी अंदाजा लगा सकते हैं। किसी कुंडली में बृहस्पति मीन राशि में हो तो जातक के जन्म का साल जानने के लिए के लिए 2022 से 12 , 24 , 36 , 48 , 60 , 72 , 84 या 96 वर्ष घटाकर प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार कुंडली में बृहस्पति कुम्भ राशि में हो तो जातक के जन्म का साल जानने के लिए के लिए 2021 से 12 , 24 , 36 , 48 , 60 , 72 , 84 या 96 वर्ष घटाकर प्राप्त कर सकते हैं। इसी प्रकार कुंडली में बृहस्पति मकर राशि में हो तो जातक के जन्म का साल जानने के लिए के लिए 2020 से 12 , 24 , 36 , 48 , 60 , 72 , 84 या 96 वर्ष घटाकर प्राप्त कर सकते हैं।
शनि ग्रह सभी राशियों में ढाई-ढाई वर्ष चलते हुए लगभग 30 वर्ष में राशिमंडल का पूरा चक्कर लगाते हैं।पिछले तीन वर्षों से भचक्र में शनि की स्थिति मकर राशि में है। इस साल कुम्भ में जाकर भी ये वक्र होकर मकर में ही आ रहे हैं। एक साल मकर राशि में रहने के बाद अगले ढाई साल कुम्भ राशि में उसके बाद के ढाई साल मीन राशि में, उसके अगले ढाई साल मेष राशि राशि में रहेंगे। इसलिए कुंडली में स्थित शनि को देखकर आप जातक की उम्र का अंदाजा लगा सकते हैं। अभी शनि की स्थिति मकर में है, इसलिए यदि किसी की कुंडली में मकर राशि हो तो अनुमानतः जातक 30 , 60 या 90 की उम्र के आसपास का होन चाहिए। यदि कुंडली में शनि की स्थिति क्रमशः धनु , वृश्चिक या तुला में हो , तो 30 , 60 या 90 की उम्र के आसपास से ढाई-ढाई वर्ष पीछे चलते जाएँ। इसी प्रकार यदि कुंडली में शनि की स्थिति कुम्भ, मीन या मेष में हो तो 30 , 60 या 90 की उम्र के आसपास से ढाई-ढाई वर्षआगे चलते जाएँ।
इस तरह शनि और बृहस्पति दोनों की स्थिति को कुंडली में देखकर हम जन्मवर्ष के बहुत नजदीक पहुँच सकते हैं, सूर्य को देखकर जन्म के महीना का भी पता चल जायेगा, तिथि और वार से से हम अंग्रेजी डेट पर और लग्न से हम अंदाजन जन्मसमय तक पहुँच सकते हैं।
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