जन्मकालीन समय से गुजरनेवाले ग्रह का प्रभाव
N Chandrashekhar tata
कल के यूट्यूब के अपने वीडियो में मैंने जानकारी दी थी कि शनि हर 30-30 साल पर जन्मकालीन राशि से गुजरता है। यह जिस जिस भाव का स्वामी होता है , जन्मकालीन स्थान में पहुँचते ही उससे सम्बंधित प्रभाव छोड़ता है और आपके सम्मुख कुछ खास परपरिस्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह प्रभाव भी उसकी जन्मकालीन स्थिति के अनुसार ही होता है, जन्मकाल में शनि कमजोर हो तो यह अपने भावों की परेशानी लेकर आता है, जन्मकाल में शनि मजबूत हो तो यह अपने भावों की मजबूती लेकर आता है। शनि की कमजोरी और मजबूती का निर्णय आप सूर्य से उसकी दूरी के आधार पर कर सकते हैं, शनि सूर्य के निकट हो तो यह आरामदायक, सूर्य से दूर हो तो तकलीफदेह और सूर्य से सामान्य दूरी पर हो तो महत्वपूर्ण होता हैं। 30वें या 60वे वर्ष के आसपास ढाई वर्षों तक शनि का धनात्मक या ऋणात्मक प्रभाव देखा जा सकता है।
इसी प्रकार बृहस्पति हर 12-12 साल पर जन्मकालीन राशि से गुजरता है। यह जिस जिस भाव का स्वामी होता है , जन्मकालीन स्थान में पहुँचते ही उससे सम्बंधित प्रभाव छोड़ता है और आपके सम्मुख कुछ खास परपरिस्थिति उत्पन्न हो जाती है। यह प्रभाव भी उसकी जन्मकालीन स्थिति के अनुसार ही होता है, जन्मकाल में बृहस्पति कमजोर हो तो यह अपने भावों की परेशानी लेकर आता है, जन्मकाल में बृहस्पति मजबूत हो तो यह अपने भावों की मजबूती लेकर आता है। बृहस्पति की कमजोरी और मजबूती का निर्णय आप सूर्य से उसकी दूरी के आधार पर कर सकते हैं, बृहस्पति सूर्य के निकट हो तो यह आरामदायक, सूर्य से दूर हो तो तकलीफदेह और सूर्य से सामान्य दूरी पर हो तो महत्वपूर्ण होता हैं। 12वें, 24वें , 36वें , 48वें, 60वे , 72वें , 84 वें , 96वें वर्ष के आसपास एक वर्ष तकबृहस्पति का धनात्मक या ऋणात्मक प्रभाव देखा जा सकता है।
इस तरह दोनों ही ग्रहों बृहस्पति और शनि का प्रभावी वर्ष 60वें वर्ष के आसपास होता है। जन्मकाल में ये दोनों ग्रह मजबूत हों तो आपपर सकारात्मक प्रभाव डालते है, सामान्य हों तो महत्वपूर्ण तथा कमजोर हों तो ऋणात्मक प्रभाव डालते है। 60 वर्ष पूर्व जन्मलेनेवाले , जिनकी जन्मकुंडली में बृहस्पति मीन तथा शनि कुम्भ राशि में हों , एक दो वर्ष तक बृहस्पति और शनि से सम्बंधित फलाफल प्राप्त कर सकते है। यह प्रभाव उस वर्ष जनवरी से अप्रैल तक जन्म लेने वालों के लिए सुखद रहेगा, जुलाई से अक्टूबर तक जन्म लेने वालों के लिए कष्टप्रद होगा। यह प्रभाव मई-जून, नवंबर-दिसंबर में जन्म लेनेवालों के लिए महत्वपूर्ण होगा। महत्वपूर्ण प्रभाव हर समय सकारात्मक ही नहीं , ऋणात्मक रूप से महत्वपूर्ण भी हो सकते हैं।
इस वीडियो की प्रेरणा इस समाचार से मिली कि टाटा संस के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन को अब एयरलाइन कंपनी के चेयरमैन पद के लिए नियुक्त किया गया है। उनका जन्म 2 जून 1963 को हुआ था , जब बृहस्पति मीन और शनि कुम्भ राशि में विराजमान थे। सूर्य निकट होने के कारण इनके जन्मकालीन दोनों गृह मजबूत हैं। करीब डेढ़ माह के भीतर दूसरी बड़ी जिम्मेदारी मिली है। बीते फरवरी माह में ही इनके कार्यकाल को अगले 5 साल के लिए बढ़ाने का ऐलान किया गया था। एन चंद्रशेखर की जन्मकुंडली में शनि और बृहस्पति महत्वपूर्ण होकर क्रमशः कुम्भ और मीन राशि में बैठे हैं। 2022 के आसपास उनकी जन्मकालीन स्थिति चल रही है, जो इन्हे महत्वपूर्ण पदों के लिए चुनाव करवा रही है।
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