google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 विज्ञान का वास्‍तविक तौर पर प्रचार प्रसार काफी मुश्किल लगता है !!

विज्ञान का वास्‍तविक तौर पर प्रचार प्रसार काफी मुश्किल लगता है !!

भारतवर्ष में फैले अंधविश्‍वास को देखते हुए बहुत सारे लोगों , बहुत सारी संस्‍थाओं का व्‍यक्तिगत प्रयास अंधविश्‍वास को दूर करते हुए विज्ञान का प्रचार प्रसार करना हो गया है। मैं उनके इस प्रयास की सराहना करती हूं , पर जन जन तक विज्ञान का प्रचार प्रसार कर पाना इतना आसान नहीं दिखता। पहले हमारे यहां 7वीं कक्षा तक  विज्ञान की पढाई अनिवार्य थी , पर अब सरकार ने 10वीं कक्षा तक विज्ञान की पढाई को अनिवार्य बना दिया है । 

10वीं कक्षा के विद्यार्थियों को पढाने वाले एक शिक्षक का मानना है कि कुछ विद्यार्थी ही गणित और विज्ञान जैसे विषय को अच्‍छी तरह समझने में कामयाब है,  बहुत सारे विद्यार्थी विज्ञान की नैय्या को भी अन्‍य विषयों की तरह रटकर ही पार लगाते हैं । उनका मानना है कि एक शिक्षक को भी बच्‍च्‍े के दिमाग के अनुरूप ही गणित और विज्ञान जैसे विषय को पढाना चाहिए। जो विज्ञान के एक एक तह की जानकारी के लिए उत्‍सुक और उपयुक्‍त हों , उन्‍हें अलग ढंग से पढाया जाना चाहिए, जबकि अन्‍य बच्‍चों को रटे रटाए तरीके से ही परीक्षा में पास करवाने भर की जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए।उनका कहना मुझे इसलिए गलत नहीं लगता , क्‍यूंकि एक एक मानव की मस्तिष्‍क की बनावट अलग अलग है।

जहां भारत में अधिकांश लोग साक्षर भी नहीं , कई लोग साक्षर होते हुए भी अशिक्षित और अज्ञानी हैं , वहीं पढे लिखे लोगों डिग्रीधारी लोगों तक में विज्ञान की समझ काफी कम देखने को मिलती है, जबकि विश्‍व में न जाने कितने वैज्ञानिक ऐसे हुए , जो कभी स्‍कूल भी नहीं जा सके थे, प्रतिभा को जन्‍मजात तौर पर स्‍वीकारने को बाय कर देता है। दैनिक जीवन में छोटी छोटी जगहों पर भी विज्ञान के नियमों का सहारा लेकर लाभ प्राप्‍त किया जा सकता है, पर अधिकांश लोगों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं होता। और बताने पर भी समझने में दिलचस्‍प्‍ी नहीं रखते हैं, हां यदि फायदा हो तो उस कार्य को करना अवश्‍य शुरू कर देते हैं।

हमारी एक पडोसिन जाडे के दिनों में इलेक्ट्रिक रॉड के सहारे वह एक बाल्‍टी पानी गर्म किया करती , जिसका एक दो मग पानी परिवार के सदस्‍य अपने स्‍नान करने हेतु रखे गए पानी में मिला लिया करते थे। हमारे मुहल्‍ले में 8 बजे से 10 बजे तक के पावर कट से वे काफी परेशान रहने लगी थी , क्‍यूंकि पावर कट की वजह से  परिवार के एक या दो व्‍यक्ति के नहाने के बाद ही सारा पानी ठंडा हो जाया करता था और बाकी लोगों को स्‍नान करने के लिए 10 बजे लाइट के आने का इंतजार करना पडता था। 

काफी दिनों से उनके द्वारा झेली जा रही परेशानी की भनक मुझतक भी पहुंची। मैने उन्‍हें सलाह दी कि 8 बजे पावर कट होते ही वह उस एक बाल्‍टी खौलते पानी को एक बडे ड्रम में डाल दे, जिससे सारा पानी नहाने लायक हो जाएगा और परिवार के सभी सदस्‍य आराम से नहा पाएंगे। उसकी वजह तो आप सभी ज्ञानी पाठक अवश्‍य समझ जाएंगे , पर न तो उस महिला को और उसकी पढी लिखी बेटी तक को कारण समझ में आ सका , हां वे मेरे कहे का फायदा अवश्‍य उठाती रहीं।

इसी प्रकार एक पडोसन को कस्‍टर्ड बनाने वक्‍त सूखे कस्‍टर्ड पाऊडर को घोलने के लिए दूध को बिना खौलाए प्रयोग करते देखा , कस्‍टर्ड के घोल को खौलते दूध में डालते ही वह तापमान को कम कर देता है और गाढा हो जाता है , जिसके कारण सारा दूध फिर से 100 डिग्री तापमान पर नहीं आ पाता। इसलिए स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से यह सही है कि पूरे दूध को खौलाकर कस्‍टर्ड पाउडर घोलने के लिए थोडे से दूध को ठंढा कर प्रयोग में लाया जाए।पर बहुत सारी गृहिणियां अपनी सुविधा के लिए कच्‍चे दूध का उपयोग करती हैं , जिसे समझाने का भी उपनपर कोई असर नहीं होता। 

विज्ञान को न समझने वाले तार्किक दृष्टि न रखनेवाले किसी बात के अर्थ का अनर्थ कैसे कर डालते हैं , यह इस उदाहरण से स्‍पष्‍ट हों जाएगा। एक गृहिणी ने अपने पति और उनके कुछ मित्रों की बातचीत को सुना। पानी की गंदगी को लेकर वे काफी चिंतित थे और पानीउबालकर पीना चाहिए , इसकी वकालत कर रहे थे। सुननेवाली महिला तबतक पानी उबालकर ही पिया करती थी। बातचीत का यह वाक्‍य उसके कान में गया , ' पानी उबलने के बाद भी 10 मिनट तक उसका 100 डिग्री तापमान मेनटेन किया जाना चाहिए। इसलिए उचित ये है कि पानी न सिर्फ उबाला जाना चाहिए, उसे गर्म हीटर पर ऑफ करके थोडी देर छोड भी देना चाहिए।

उस महिला पर इस बात का ऐसा प्रभाव पडा कि तब से उसने भगोने को नल के पानी से भरकर हीटर पर चढाकर हीटर को ऑफ करना शुरू किया। एक दिन पति का उस बात पर ध्‍यान गया तो उसने बताया कि आपलोग ही तो बात कर रहे थे कि पानी को खौलाना ही जरूरी नहीं है , उसे गर्म हीटर पर 10 मिनट छोड देना चाहिए। जहां समाज में ऐसे लोग मौजूद हों , वहां विज्ञान का प्रचार प्रसार कागज पर ही हो सकता है , वास्‍तविक तौर पर मुश्किल लगता है।



संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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