दोपहर से कांप रहा है बदन .. न कुछ खाने की इच्छा है .. और न ही कुछ कर पाने की हिम्मत .. मन हल्का करने के लिए कभी भाई बहनों को फोन करती हूं .. और कभी दोस्तो को .. फिर भी मन हल्का होने का नाम ही नहीं ले रहा .. इंटरनेट भी खोला तो शब्द ही पढे नहीं जा रहे .. कीबोर्ड के अक्षर भी उल्टे पुल्टे टाइप हो जा रहे हैं .. मन में तनाव हो तो इसे कई उपायों से दूर भी किया जा सकता है .. पर मन पागल ही हो जाए तो कैसे ठीक किया जा सकता है ??
खबर ही तो पागल करने वाली सुन चुकी हूं .. कल रात 11 बजे रांची से बोकारो आते हुए इसी मुख्य सडक पर ही .. एक कार और ट्रक की भिडंत में मेरे पिताजी के काफी करीबी मित्र की बडी बहू और छोटा बेटा .. यानि घर के दो दो युवा एक साथ काल के गाल में समा गए .. लगभग 27 वर्ष की उम्र के छोटे बेटे का विवाह जून में होनेवाला था .. और मात्र 30 वर्ष की उम्र पार कर चुकी बहू के दो छोटे छोटे बच्चे थे .. बच्चों का चेहरा बार बार मेरी आंखों के सामने आ रहा हैं .. और वे मुझसे अपना कसूर पूछ रहे हैं .. क्या जबाब दूं उन्हें ??
बोकारो में विकास हो रहा है .. कई प्लांट लग रहे हैं .. उसके लिए बडे बडे ट्रकों से सामान ढोए जा रहे हैं .. सुबह से रात्रि के 9 बजे तक ये ट्रक प्रतिबंधित किए गए हैं .. पर इसके बाद उन्हें सडक पर चलाने की छूट मिली हुई है .. इन ट्रकों की गति इतनी तेज है कि दूर से ही देखकर भय होता है .. इसी के कारण आज एक परिवार का जीवन ही समाप्त हो गया लगता है .. चाचाजी ,चाचीजी , उनके बडे पुत्र और उनके बच्चों को कहीं का नहीं छोडा इस ट्रक ने .. कैसे जी पाएंगे वे अपनी बची जिंदगी ??
अब ईश्वर से प्रार्थना करने को बचा ही क्या है .. बस इस असीम दुख को सहने की उन्हें शक्ति दो .. अच्छे लोग तो यूं ही चले जाया करते हैं .. हमें यू ही दुख में छोडकर .. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें .. बस यही प्रार्थना करती हूं .. क्या उनकी उमर थी हमें छोडकर जाने की .. किस मुंह से श्रद्धांजलि दूं उनको ??