11 सितंबर के शुक्र चंद्र युति के दर्शन किया जाए या नहीं ??

11 अगस्‍त को पोस्‍ट किए गए अपने आलेख में मैने चर्चा की थी कि सिर्फ 13 अगस्‍त को ही नहीं , आने वाले दिनों में लगभग पांच महीनों तक यानि 11 सितंबर , 9 अक्‍तूबर , 2 दिसंबर , 31 दिसंबर और 29 जनवरी को भी आसमान में ऐसी स्थिति बनती रहेगी, जिसमें सर्वाधिक चमक के साथ शुक्र और सबसे छोटा चांद 9 अक्‍तूबर को दिखेगा , जो आसमान में वाकई देखने में खूबसूरत लगता है। 13 अगस्‍त के शुक्र चंद्र युति को तो हमलोग अत्‍यधिक बारिश की वजह से नहीं देख सकें , कल ही 11 सितंबर है और इस योग के फलस्‍वरूप अधिकांश जगह बारिश या कम से कम बादल की संभावना भी दिख रही है। ऐसे में कल भी इसके दर्शन मुश्किल ही लग रहे हैं।

वैसे पाठकों को कल इस युति के दर्शन करने की सलाह दी जाए या नहीं , ये समझ में नहीं आ रहा। । वैसे तो कल गणेश चतुर्थी है , देशभर में यह त्‍यौहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता हैं , खासकर महाराष्‍ट्र में तो गणेश चतुर्थी से अनन्त चतुर्दशी तक दस दिन गणेशोत्सव मनाया जाता है। पर मान्‍यता है कि एक बार चंद्रमा ने गणेश जी का मजाक उड़ाया था, गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से आज के दिन जो भी तुम्हें देखेगा उसे मिथ्या कलंक लगेगा । इसलिए भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को रात्रि में चन्द्र-दर्शन (चन्द्रमा देखने को) निषिद्ध किया गया है। जो व्यक्ति इस रात्रि को चन्द्रमा को देखते हैं उन्हें झूठा-कलंक प्राप्त होता है। ऐसा शास्त्रों का निर्देश है। इस दिन चांद के दर्शन करने से भगवान श्री कृष्ण को भी मणि चोरी का कलंक लगा था। और हमारे पाठकों को कोई कलंक लगे , ये तो मैं कतई नहीं चाहूंगी।



वैसे इतने बडे देश में अनेकता में भी एकता , हर क्षेत्र में व्रत मनाने का ढंग भिन्‍न भिन्‍न है। मिथिलांचल में महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं और शाम को चंद्र दर्शन के बाद ही वे व्रत तोडती हैं। इस क्षेत्र में इस दिन चंद्रमा की पूजा करने का विधान है। यहां बिना कुछ अर्घ्‍य के खाली हाथ चंद्रमा का दर्शन निषिद्ध है , परे परिवार के एक एक व्‍यक्ति हाथ में कुछ न कुछ लेकर ही चंद्र का दर्शन करते हैं। माना जाता है कि चंद्रमा को देखने का बुरा प्रभाव उसकी पूजा से समाप्‍त हो जाता है। भूल चूक से देखे गए इस चंद्रमा के इस बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए मंत्र भी हैं , पर जनसामान्‍य इसे टोटकों से भी दूर करते हैं। कुछ लोग कच्चे मकानों और खपरैल वाले मकानों के जमाने में चन्द्रमा की ओर पत्थर उछालने पर मकान के कवेलुओं के टूटने से मामूली विवाद की स्थिति से चन्द्र दर्शन का ताजा कुफल समाप्त होता मानते है। 

हमारे गांव में तो इस चंद्र के दर्शन का बडा दोष माना जाता है। 'चौक चंदा का फंदा' बडा बलवान माना जाता है , और इस दिन का चांद भी अंधेरा होने से पहले ही जगमगाने लगता है। इसलिए इस दिन अंधेरा होने से पहले ही सबलोग घरों में दुबके होते हैं। मनाहीवाले काम को बच्‍चे खूब किया करते हैं , इसलिए बच्‍चों को इसकी जानकारी नहीं दी जाती है , पर कोशिश ऐसी की जाती है कि बच्‍चे शाम होने से पहले घर में आ जाएं। खेलने जाते हुए बच्‍चों को कहा जाता है 'आज घर थोडी जल्‍दी आ जाना , अंधेरा होने से काफी पहले' 
'क्‍यूं भला?' बच्‍चे पूछते हैं। 
'आज फलाने चाचाजी आनेवाले हैं'  बडों का जबाब होता है। 
बच्‍चे संतुष्‍ट हो जाते हैं। 
'सीधा नजर नीची रखते हुए आना , इधर उधर देखना मत' बडों का एक और निर्देश। 
'ऐसा क्‍यूं ??' बच्‍च्‍े की उत्‍सुकता तो बढेगी ही। 
'अरे आज हवा चल रही है बहुत , आंखों में कुछ पड जाए तो' बडों के द्वारा एक और झूठ। 
कई वर्षों तक लगातार ऐसी बातचीत से बडे बच्‍चों को तो समझ में आ जाता। पर चंद्र दर्शन के दुष्‍प्रभावों को समझते हुए और छोटे बच्‍चे धूल और आंधी से आंखों को बचाते हुए नीची निगाह किए खेल के मैदानों से सारे बच्‍चे घर वापिस आते, मेरे ख्‍याल से अंधविश्‍वास को बढावा देते और प्रचारित करते!

पर इस अनुच्‍छेद में जो कहा जा रहा है , वह अंधविश्‍वास नहीं , 25 फरवरी 2009 को भी शुक्र चंद्र युति के अवसर पर पोस्‍ट लिखने के दूसरे ही दिन सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्‍छे महंगाई भत्‍ते की घोषणा हुई थी।  आसमान के पश्चिमी क्षितिज की ओर कोई देखे या न देखे , शुक्र और चंद्र के इस विशेष मिलन का पृथ्‍वी के जड चेतन पर प्रभाव तो पडेगा ही। वैसे तो पृथ्‍वी पर इसके अच्‍छे खासे प्रभाव से 10 , 11 और 12 सितंबर को जनसामान्‍य तन मन या धन से किसी न किसी प्रकार के खास सुखदायक या दुखदायक कार्यों में उलझे रहेंगे , पर सबसे अधिक प्रभाव सरकारी कर्मचारियों पर पड सकता है यानि उनके लिए खुशी की कोई खबर आ सकती है। दूसरा अंतरिक्ष से संबंधित कोई विशेष कार्यक्रम की संभावना बनती दिखाई दे सकती है। सफेद वस्‍तुओं पर इसका अच्‍छा प्रभाव देखा जा सकता है। यह योग वृष और तुला राशि वालों के लिए काफी अच्‍छा और मीन  राशिवालों के लिए कुछ बुरा रह सकता है।  


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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