सूर्य ग्रहण तब होता है, जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है। सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। जब चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को अपनी छाया में ले लेता तो इसे पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसी स्थिति में सूर्य की किरणें धरती तक नहीं पहुंच पाती हैं और धरती पर अंधेरा छा जाता है। दूसरा ग्रहण है आंशिक सूर्य ग्रहण। इसमें चंद्रमा सूर्य के कुछ हिस्से को ढक लेता है। इस दौरान धरती के कुछ हिस्सों पर सूर्य नजर नहीं आता। दो सप्ताह पहले रक्षाबंधन के दिन खंडग्रास चंद्र ग्रहण हुआ था। चंद्र ग्रहण के दो सप्ताह बाद सूर्य ग्रहण होता है।
साल 2017 का दूसरा सूर्यग्रहण , जो पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा, 21 अगस्त को दिखाई देगा। भारतीय समय के मुताबिक यह ग्रहण रात में 9.15 मिनट से शुरु होगा और रात में 2.34 मिनट पर खत्म होगा। यह ग्रहण यूरोप, उत्तर/पूर्व एशिया, उत्तर/पश्चिम अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका में पश्चिम, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक की ज्यादातर हिस्सों में दिखेगा. 99 सालों बाद अमेरिकी महाद्वीप में पूर्ण सूर्यग्रहण होने जा रहा है। अमेरिका में सुबह 10.15 मिनट से सूर्यग्रहण ऑरेगन के तट से दिखने लगेगा और दक्षिण कैरोलीना के तट पर दोपहर 2.50 बजे खत्म होगा. उत्तरी अमेरिका के सभी हिस्से में आंशिक सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा।
पूरे विश्व में लाखों लोग सूर्य ग्रहण देखेंगे। जहां सूर्य ग्रहण दिखाई देगा, वहां लोग घर से बाहर निकलकर देख सकते हैं। जिन क्षेत्रों में सूर्य ग्रहण नहीं दिखाई देगा, वहां के लोग लाइव टेलिकास्ट के जरिए इसका दीदार करेंगे । इसके लिए कई एजेंसियां लाइव टेलिकास्ट करेंगी। अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा भी इसका लाइव टेलिकास्ट करेगी। नासा 12 जगहों से सूर्य ग्रहण की कवरेज करेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक एजेंसी रिसर्च प्लेन, गुब्बारे और सैटेलाइट के जरिए कवरेज करेगी। बताया जा रहा है कि नासा सूर्य ग्रहण का सीधा प्रसारण अमेरिकी समय के मुताबिक दोपहर में 12 बजे शुरू करेगा। जब ग्रहण लगेगा उस वक्त भारत में रात होगी। ऐसे में भारत में लोग सूर्य ग्रहण नहीं देख पाएंगे। भारत के लिए यह अमावस सोमवती होने के कारन और महत्वपूर्ण हो जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के बाद पवित्र नदियों और सरोवरों में स्नान कर देवता की आराधना करनी चाहिए। स्नान के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान देने की परंपरा है। हिन्दू मान्यता के अनुसार, सूर्यग्रहण में ग्रहण के दौरान कुछ भी खाने की अनुमति नहीं है, यह मान्यता भी प्रचलित है कि गर्भवती स्त्री को सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण नहीं देखना चाहिए. क्योंकि माना जाता है कि उसके दुष्प्रभाव से शिशु को प्रभावित कर सकता है। सूर्यग्रहण या चंद्रग्रहण के दौरान किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत को बिल्कुल मना किया जाता है. मान्यता है कि इस दौरान शुरु किया गया काम अच्छा परिणाम नहीं देता है। पर वैज्ञानिक मान्यता है कि सूर्यग्रहण के दौरान पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव प्रभावित होते हैं. इसलिए यह अवधि ऋणात्मक मानी जाती है। इसके अलावा सूर्य से अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए सूर्यग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है।
ग्रहण के दौरान दो-चार घंटों के लिए पृथ्वी में सौर ऊर्जा के प्रवाह में बाधा , खासकर जिस क्षेत्र में ग्रहण का प्रभाव अधिक पहुंचे , उस क्षेत्र के लिए कुछ ऋणात्मक प्रभाव डालने वाला हो सकता है , पर इसका ज्योतिषीय प्रभाव भी पड़ता है , 'गत्यात्मक ज्योतिष' इसकी पुष्टि नहीं करता।