google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 फिर वह बाबा मेरे पिताजी के पैरों पर गिर पडा .. मुझे बचा लो !!

फिर वह बाबा मेरे पिताजी के पैरों पर गिर पडा .. मुझे बचा लो !!

'आपलोगों ने सुना या नहीं , कालीचरण लौट गया है' आंगन में आते ही 'खबर कागज' ने समाचार सुनाया। हमेशा की तरह हमलोगों के लिए यह एक सनसनीखेज खबर थी , इसी प्रकार की खबर सुनाने के लिए ही तो हमलोगों ने मुहल्‍ले के उस व्‍यक्ति को 'खबर कागज' की पदवी दी थी। हमलोग सब चौंक पडे 'कहां है अभी वो' 'अभी वह फलाने गांव में है , दो चार घंटे में यहां पहुंच जाएगा , 'बाबा' बना कालीचरण उस गांव में भिक्षा के लिए आया था , लोगों ने उसे पहचान लिया है , उसे लेने के लिए लोग चले गए हैं' हमलोगों को सूचित कर वे दूसरों के घर चल पडे , गांव में इस प्रकार के खबर के बाद उनकी व्‍यस्‍तता बढनी ही थी। कालीचरण के लौटने की खबर से पूरे गांव में खुशी की लहर थी।

हमलोगों के लिए यह खबर तो बिल्‍कुल खास थी , क्‍यूंकि हमारे बिल्‍कुल बगल में हमारे गोशाले से सटा हुआ कालीचरण के परिवार में उसके माता पिता , दो भाई और एक बहन रहते थे। गांव गांव में हर तरह की बिजली की चक्‍की के आने से उनलोगों की रोजी रोटी की समस्‍या खडी हो गयी थी , क्‍यूंकि उन्‍हीं की जाति के लोगों के यहां के कोल्‍हू में गांव भर के तेल की पेराई होती थी। कुछ दिनों तक तंगी झेलने से उसके पिताजी हताश और निराश थे , पर उसकी मां ने रोजी रोटी का एक साधन निकाल लिया था। गृहस्‍थों के घरों से धान खरीदकर उससे चावल बनवाकर बाजार में बेचने का कार्य शुरू किया। बहुत मेहनत करने के बावजूद महाजनों को ब्‍याज देने के बाद खाने पीने की व्‍यवस्‍था मात्र ही हल हो सकी थी , फिर भी उसने दोनो बेटो से मजदूरी न करवाकर स्‍कूल में नाम लिखवा दिया था। धीरे धीरे दोनो बेटे मैट्रिक पास कर गए थे और पढे लिखे और सभ्‍य शालीन अपने पुत्रों को देखकर मां की खुशी का ठिकाना न था।

शादी भी हो गयी और बच्‍चे भी ,  पर किसी प्रकार की नौकरी पा लेने की उनकी आशा निराशा में ही बदल गयी। सरकार के द्वारा दिए जाने वाले रिजर्वेशन का फायदा भी ऐसे लोगों को नहीं मिलना उसके औचित्‍य पर एक बडा प्रश्‍न खडा करता है। मैट्रिक पास करने से कुछ नहीं होता , अंत में उन्‍हें मजदूरी करने को बाध्‍य होना पडा। दिमाग चला चुके उनके बेटों के लिए इतनी शारिरीक मेहनत बर्दाश्‍त के बाहर था , उन्‍हें अक्‍सर चिडचिडाहट होती और कभी कभार झगडे झंझट की आवाज हमारे कानों में भी पडती। एक दिन बात कुछ अधिक ही बढ गयी , गुस्‍से से कालीचरण घर से निकला , तो लौटकर वापस ही नहीं आया। बरसात का दिन था , सभी नदी नाले में तेज पानी का बहाव , कहीं कूदकर जान ही दे दी हो , पर ये बात परिवार वालों को संतोष देता रहा कि शायद 'कालीचरण' बाबा बन गया हो। इस बात के दस वर्ष पूरे हो गए थे। कालीचरण के जाने से दुखी बाल और दाढी न बनाने के प्रण से उसके पिताजी का रूप भी बाबाजी का ही हो गया था।

सचमुच दो बजे को उस बाबा को उसके घर लाया गया। उस गांव के लोगों को बाबा भले ही कालीचरण लग रहा हो , पर हमारे गांववालों को उसके चेहरे में फर्क दिखा। कारण पूछने पर उसने बताया कि दीक्षा के दौरान उसे कई योनियों में परिवर्तित किया गया है , इसलिए उसका रूप कुछ अलग है। इस बात से गांववालों की पूरी सहानुभूति उसे मिल गयी। उसके दर्शन के लिए गांववालों का तांता लग गया। क्‍या गांववाले , क्‍या परिवार वाले , क्‍या बहन , क्‍या पत्‍नी ... सबने मान लिया था कि वह कालीचरण ही है। पर योनि परिवर्तन की बात कुछ पढे लिखे लोगों को नहीं जंच रही थी , खासकर उसकी इसी बात को सुनकर मेरे‍ पिताजी मान चुके थे कि यह कालीचरण नहीं कोई ठग है। पर इतने लोगों के बीच में एक की सही बात को भी कौन सुनेगा , यही सोंचकर उसके पोल के खुद खुलने का इंतजार कर रहे थे।

बाबा जी की पूरी सेवा हो रही थी , बहन तेल मालिश कर रही थी , तो भाई नहला रहा था। मां और पत्‍नी उसे स्‍वादिष्‍ट खाने खिलाए जा रही थी। यहां तक तो ठीक था , उस घर में कोई बडी संपत्ति तो नहीं थी , कालीचरण का रूप धरे उस बाबाजी के द्वारा लूटे जाने का भय होता। पर एक अबला स्‍त्री कहीं उसके धोखे में आ जाए , पापाजी को यही चिंता सता रही थी। पर एकबारगी विरोध भी नहीं किया जा सकता था , सो कोई उपाय निकालने की दिशा में वे चिंतन कर रहे थे। उसी वक्‍त मुहल्‍ले के तीन व्‍यक्ति हमारे आंगन में आ गए , एक ने पापाजी से पूछा कि क्‍या उन्‍हे विश्‍वास है कि वह बाबा कालीचरन ही है।

मेरे पापाजी ने 'ना' में सर हिलाया , उनमें से एक व्‍यक्ति के लिए इतना ही काफी था , वे तेजी से कालीचरन के आंगन में पहुंचे और पूछा 'क्‍या तुम कालीचरण हो'
उसका 'हां' कहना था कि गाल में एक चांटा।
'सामने किसका घर है'
'फलाने का' गाल में दूसरा चांटा।
'ये कौन है'
'फलाने हैं' गाल में तीसरा चांटा।
'मुझे माफ कर दो , उनलोगो ने जबरदस्‍ती किया , मैने नहीं कहा कि मैं कालीचरण हूं' तुरंत उसने दया की भीख मांगनी शुरू की और वो चांटे पर चांटा लगाए जा रहे थे। हल्‍ला गुल्‍ला सुनकर पापाजी वहां पहुंचे और उस सज्‍जन को डांटना शुरू किया.. 'गांव में आए मेहमान के साथ ऐसा व्‍यवहार करते हैं क्‍या'
'मेहमान है तो मेहमान की तरह रहे , यहां सबको बेवकूफ क्‍यूं बना रहा है' वो गुस्‍से से तमतमाए था और पूरा गांव तमाशा देख रहा था। उसके रौद्र रूप को देखकर वो बाबा बहुत भयभीत था , मेरे पापाजी के हमदर्दी भरे शब्‍द को सुनकर वह उनके पैरों पर वह गिर पडा 'मुझे बचा लो' । 

फिर पापाजी ने सबको शांत किया और मौका देखते ही वह बाबा सिर पर पैर रखकर भागा


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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