रांची बोकारो मुख्य मार्ग पर बोकारो जिले में स्थित हमारा पैतृक गांव पेटरवार सिर्फ इस क्षेत्र के लोगों का ही नहीं ,दूर दराज के बहुत सारे लोगों का भी पसंदीदा रहा है। काफी दिनों से जहां मारवाडियों को व्यावसायिक दृष्टि से यह क्षेत्र पसंद आया है, वहीं हमारे गांव से रिटायरमेंट लेनेवाले अनेको सरकारी अधिकारी भी शांतिपूर्वक अवकाशप्राप्त जीवन जीने के लिए इसे चुना करते आए हैं।
एक ओर जहां क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा, वहीं मजदूरों के पलायन पर काफी हद तक विराम लग जायेगा। वर्ष 2005 में तत्कालीन प्रदेश सरकार के साथ हुए एक समझौते के तहत आर्सेलर-मित्तल पेटरवार व कसमार में उक्त परियोजना को मूर्त रूप देने जा रही है। इसके क्रियान्वित होने से पेटरवार एवं कसमार प्रखंड के लुकैया, कोजरम, जरुवाटांड़, पोड़दाग, हसलता, ओरमो, बेमरोटांड़, बेदोटांड़, फुटलाही व आसपास बसे गांवों की तस्वीर बदल जायेगी।
ग्रामीण भी विकास की इस नयी आस से काफी उत्साहित है। मालूम हो कि आर्सेलर-मित्तल कम्पनी के महाप्रबंधक पीएस प्रसाद ने हाल ही में क्षेत्र के रैयतों के साथ वार्ता की थी, जिसमें उन्होंने रैयतों की शर्तों को मानते हुए प्लांट निर्माण हेतु तत्परता दिखायी थी। इसके अलावा कम्पनी के अधिकारीगण कई बार इलाके का दौरा कर चुके हैं और रैयतों के बीच विस्थापन नीति की पुस्तिका भी वितरित की जा चुकी है। रैयतों ने भी कम्पनी द्वारा जारी प्रपत्रों पर अपनी स्वीकृति कम्पनी को दे दी है।
अब अगर बिना किसी अड़ंगे के यह परियोजना धरातल पर उतरती है, तो क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी सहित तमाम सुविधाओं की पूर्ण व्यवस्था होगी और विकास की गंगा बहती दिखेगी। क्षेत्र के कुछ रैयतों ने ‘रांची एक्सप्रेस’ से बातचीत के दौरान अपनी सहमति जतायी है। पेटरवार प्रखंड के जरुवाटांड़ निवासी एजाजुल हक, अजहर हुसैन, पेटरवार के पवन महथा, कसमार के बेमरोटांड़ निवासी मुकेश कुमार प्रसाद, लुकैया के हारुण रसीद, बरई ग्राम के महानंद महतो, फुटलाही ग्राम निवासी सदानंद महतो आदि ने खुले दिल से आर्सेलर-मित्तल की उक्त पहल का स्वागत किया है।
रैयतों ने प्लांट निर्माण के बहुआयामी फायदों की चर्चा करते हुए कहा कि जैसे बोकारो स्टील प्लांट से वहां बसे आसपास के गांवों में विकास हुए, वैसे ही यहां की भी रौनक बदल जायेगी। क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास तो होगा ही, बेरोजगारी और मजदूरों के पलायन पर भी अंकुश लगेगा। रैयतों का स्पष्ट कहना है कि कम्पनी उन्हें विस्थापित बनाकर सुव्यवस्थित तरीके से बसाये, नियोजन दे और अन्य शर्तों का पालन करे, तो निश्चय ही वह संयंत्रनिर्माण में हरसम्भव सहयोग करेंगे।
प्लांट लगने से रैयतों को जो क्षति होगी, उसकी समुचित भरपाई जरूरी है। यकीनन रैयतों और प्रबंधन के बीच का मामला किसी दलाली हस्तक्षेप के बिना ही अगर सुलझ जाता है, तो इस क्षेत्र को विकास के मुकाम पर ले जाने से कोई नहीं रोक सकता। प्लांट निर्माण से न केवल पेटरवार, कसमार व बोकारो जिले का, बल्कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर झारखंड का नाम गौरवान्वित होगा।
मेरी माता यहाँ २ साल तक कम कर चुकी है ..अच्छी जगह है.
जवाब देंहटाएंsundar prastuti.. kal hin suna tha aaj pura gyan mila.
जवाब देंहटाएंdhanywad
किसी भी क्षेत्र का विकास होना सुखदायी है
जवाब देंहटाएंविकास के साथ बहुत सी सुबिधाये उपलब्ध हो जातीं हैं ।
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