google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 दृढसंकल्‍प के आगे भूत भी हार मान जाता है !!

दृढसंकल्‍प के आगे भूत भी हार मान जाता है !!

दुनिया में भूत प्रेत के किस्‍सों की कमी नहीं , पहले चारो ओर जंगल थे , शाम होते ही अंधेरा फैल जाता था , सन्‍नाटे को चीरती कोई भी आवाज भयावहता उत्‍पन्‍न करती थी , वैसे में भय का बनना स्‍वाभाविक था। पर जैसे जैसे जंगल कटकर गांव बनते गए , भय समाप्‍त होता गया , इससे माना जाने लगा कि घर में होनेवाले पूजा पाठ और यज्ञ हवन के कारण भूत प्रेत भी जगह छोडकर पीछे होते गए। पर अभी तक की घटना में इतना तो अवश्‍य पाया है कि किसी के घर द्वार आंगन खलिहान में भूतों वाली कोई घटना घटी हो , तो उसमें भय का ही समावेश देखा गया है। इन सबसे दूर जंगल में या श्‍मशान में भूतों ने अपने होने का कभी दावा नहीं किया , कभी आमने सामने नहीं आए । वरना इतनी सडकें बनी , इतने रेलवे की पटरियां बिछी , कभी भी बडे स्‍तर पर बाधा नहीं उपस्थित किया , जबकि वहां न तो पूजा पाठ होता है और न ही यज्ञ हवन।

मेरे दादाजी के जीवन की एक घटना का उल्‍लेख करना चाहूंगी , बात सन् 1944 की होगी , तबतक उनके परिवार में दादीजी के अलावे चार पुत्र और एक पुत्री थी। उस समय वे अपने पिताजी के एक पुराने मकान में थे , जिसके आंगन में और कमरा बनाने की जगह नहीं थी। उन्‍होने दूसरी जगह एक मकान बनाने का मन बनाया , थोडे शौकीन मिजाज होने के कारण उन्‍हें बडे अहाते की जरूरत थी और उसमें मकान भी बनाना था , जिसके लिए उन्‍हें अधिक पैसों की आवश्‍यकता थी , जो तब उनके पास नहीं थे। तब उन्‍होने सस्‍ते में गांव के किनारे की उस जमीन को खरीदने का मन बनाया जो भूतों के डेरा के रूप में प्रसिद्ध था और उस खेत में रोपा और कटनी के लिए भी मजदूर दिन रहते ही भाग जाया करते थे।

जमीन के मालिक ने खुशी खुशी रजिस्‍ट्री कर दी , दादाजी ने एक कुंआ बनवाया , उसी से निकली मिट्टी से मजबूत दीवाल बनवाया । हमारे यहां कच्‍चे मकान में पहले छत को बनाने के लिए लकडी और मिट्टी का उपयोग किया जाता है और दोमंजिले पर बांस और खपडे का, जिससे वातानुकूलित घर बनकर तैयार हो जाता है। बिल्‍कुल सामन्‍य ढंग से बने दो बेडरूम , एक बैठक , एक बरामदे , चार गौशाले और एक रसोई वाले इस घर को आज भी ज्‍यों का त्‍यों देखा जा सकता है। इसमें हर वर्ष बरसात से पूर्व टूटे खपडों को हटाकर फिर से नये खपडे लगाने पडते हैं। इसी प्रकार बरसात के बाद थोडी लिपाई पुताई करवानी पडती है ।

घर बनने के बाद बडे धूमधाम से गृहप्रवेश किया गया , पूजा पाठ , हवन , प्रसाद वितरण पूरे गांव को खिलाने पिलाने के बाद पूरा परिवार वहां शिफ्ट कर गया। गांव के बिल्‍कुल एकांत में बने उस मकान में रात के वक्‍त सीधा श्‍मशान ही दिखाई देता था , दादाजी अक्‍सर काम के सिलसिले में बाहर होते , पर शायद दादीजी भी दिल की मजबूत थी , कुछ दिनो तक कोई बात नहीं हुई । कुछ दिन बाद दादीजी पुन: गर्भवती हुईं , गर्भ के छह महीने तक तो कोई दिक्‍कत नहीं , उसके बाद दादीजी की तबियत अचानक खराब हो गयी। बच्‍चे ने हरकत करना बंद कर दिया था , गांव में महिला चिकित्‍सक भी नहीं थी , दादीजी को सीधा हजारीबाग ले जाया गया। वहां हालत हद से अधिक खराब हो गयी , दादीजी को शवगृह के निकट हॉल में रखा गया था , यह सोंचकर कि अब वो मरने ही वाली हैं। नर्स यदा कदा आकर दवाइयां पिला देती थी , पर उसी देखरेख में दादी जी को होश आ गया और कुछ दिनों में वे सामान्‍य होकर घर वापस आयी। ऐसा किस्‍सा एक बार नहीं , छह वर्षों के दौरान तीन तीन बार हुआ।

पूरे गांव को शक था कि भूत ही उन्‍हें परेशान कर रहा है , उनके माता पिता तो तब थे नहीं , भाई और भाभी दादाजी को अपने घर में वापस लौटने को कहते , पर दादाजी इसके लिए तैयार नहीं थे , उनका मानना था कि यदि भूत है तो वह बहुत कमजोर है। सिर्फ गर्भ के कमजोर बच्‍चों को ही नुकसान पहुंचा सकता है , देखता हूं , कबतक वह हमारा पीछा करता है। अगली बार दादीजी फिर गर्भवती हुईं , सबलोग उन्‍हें अपने अपने घर में बुलाते रहें , पर दादीजी का कहना था कि आज वे किसी के घर में रह सकती हैं , पर कल को बेटी बहू आएंगी और वे गर्भवती होंगी , तो उन्‍हें लेकर कहां कहां भटका जाएगा , अच्‍छा है , मेरा ही पीछा करे , कितने दिनों तक करता है ?

पर अगली बार कुछ भी नहीं हुआ , अंतिम क्षणों तक सबकुछ ठीक रहा और दादीजी ने एक स्‍वस्‍थ पुत्र को जन्‍म दिया। उसके बाद सभी बच्‍चों के हर प्रकार के विकास , उनकी पढाई लिखाई , सबके कैरियर , दादाजी को व्‍यवसाय में बडी सफलताएं , नौकर चाकर  , कई घर मकान और गाडी तक हर प्रकार की सफलता उसी घर में मिली। फिर पांचों बेटों की पांच बहूएं आयी , सबके चार पांच बच्‍चे हुए , पूरे आंगन का माहौल हर समय उत्‍सवी बना रहा। कभी भी कोई अनहोनी होते नहीं देखी गयी। इसलिए मेरे परिवार में कोई भी नहीं मानते कि भूत होते हैं , उनमें अपरिमित शक्ति होती है और वे अनिष्‍ट करते हैं। यदि सचमुच ऐसा मान भी लें तो यह कहा जा सकता है कि दृढ इच्‍छाशक्ति के आगे भूतों को भी हारना पडता है।
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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