google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बिना पानी के काटे गए वो घंटे मुझसे भूले नहीं जा रहे !!

बिना पानी के काटे गए वो घंटे मुझसे भूले नहीं जा रहे !!

2011 की पहली जनवरी को भले ही पूरी दुनिया नववर्ष का स्‍वागत करने और आनंद मनाने में व्‍यस्‍त हो , हमलोग खुशियां नहीं मना सकें। सुबह नाश्‍ता बनाते वक्‍त रसोई में प्रेशर कुकर के सेफ्टी वाल्‍व ने तो हमें एक दुर्घटना से जरूर बचा लिया था , पर मन को भयभीत होने से नहीं रोक सका था। वैसे ही शंकाग्रस्‍त मन में भूचाल तब आया , जब हमें गांव से हमारे पति के करीबी बाल सखा के मौत की खबर मिली। आज भी गांव जाने पर मेरे पति का पूरा समय उक्‍त मित्र के इलेक्ट्रिकल और इलेक्‍ट्रोनिक्‍स की दुकान पर ही बैठकर ही कटता था। जब पारिवारिक जबाबदेहियां अपने चरम सीमा पर होती है , वैसे वक्‍त किसी का इस दुनिया से चला जाना उसके पूरे परिवार के लिए कितना कष्‍टकारक हो सकता है , इससे हमलोग अनजान नहीं थे।

इस खबर से हमलोग परेशान चल ही रहे थे कि अचानक पडोसी ने सूचना दी कि हमारे टंकी का पानी ओवरफ्लो कर पूरी सडक को गीला कर रहा है। सप्‍लाई का पानी बंद हो चुका था , टंकी से पानी बहने की बात सुनकर हमलोग चौंककर बाहर बालकनी में आए। मकानमालिक पूरे परिवार सहित दो दिन पहले से बाहर थे और हमलोगों का काम सप्‍लाई के पानी से ही चल रहा था। सप्‍लाई का पानी ही टंकी में चढकर 24 घंटे की आवश्‍यकता को पूरा करता था। इसलिए गर्मियों में होनेवाली पानी की दिक्‍कत के लिए गैरेज में बनवायी  गयी भूमिगत टंकी के मोटर को चलाने की कोई आवश्‍यकता नहीं थी। पर उनके जाने के 48 घंटे बाद वह स्‍वयं चलने लगा था , गैरेज की चाबी न होने से हमलोग कुछ भी कर पाने में असमर्थ थे।

मकान मालिक को फोनकर सारी बातों की जानकारी दी , उन्‍होने रात को बोकारो वापस आने के लिए गाडी पकडी। मोटर और पंप चलता हुआ पूरे टंकी के पानी को समाप्‍त कर चुका था , फिर भी चलता ही जा रहा था। हम मेन स्विच ऑफ कर बिना बत्‍ती के रातभर रहने को तैयार थे , पर मेन स्विच से भी वह ऑफ नहीं हो रहा था। हमलोग रातभर अनिश्चितता के दौर से गुजरे। कहीं मोटर , पंप जल न जाएं , गर्म होकर आग न पकड लें आदि के बारे में सोचकर शंकाग्रस्‍त बने रहें। खिडकी के रास्‍ते गैरेज में एक बिल्‍ली आ जा रही थी और उसके उछलने कूदने से मोटर का स्विच ऑन हो गया था। गनीमत रही कि सुबह उनलोगों के लौटने तक मोटर चल ही रहा था , उन्‍होने आकर सबकुछ ऑफ कर दिया , तब हमलोगों को निश्चिंति हुई।

कुकर तो निर्जीव वस्‍तु ठहरी , तुरंत बाजार से बनकर आ गयी। एक मित्र को खो देने के हादसे से इन्‍हें  उबरने में कुछ समय लगना ही था , ये तो मैं समझ ही रही थी। पर अंडरगा्रउंड टंकी के पानी समाप्‍त होने के दुष्‍परिणाम को हमें दो चार दिन बाद ही गंभीर तौर पर झेलना पड गया। बोकारो में पानी के पाइपलाइन में हुई गडबडी को दूर किए जाने के लिए 7 जनवरी से ही शाम को पानी की सप्‍लाई बंद कर दिया गया। सुबह ही इतना अधिक पानी आ जाया करता था कि सारे जरूरत के बाद टंकी में भी पानी मौजूद होता। हमें शाम के पानी की आवश्‍यकता ही नहीं पडी।

पर 13 जनवरी की रात अचानक नल में पानी आना बंद हो गया , रातभर हमलोगों ने स्‍टोर किए हुए पानी से काम  चलाया। सुबह सप्‍लाई के पानी आने पर भी कुछ काम निबटाए , सप्‍लाई के पानी बंद होने पर हमलोगों ने मकानमालिक को टंकी में पानी चढाने को कहा , जब मकानमालिक ने बताया कि 1 जनवरी को हुई घटना के बाद अंडरग्राउंड टंकी में उन्‍होने पानी नहीं भरा है , तो हमलोगों के पैरों तले जमीन ही खिसक गयी। शाम को पानी की सप्‍लाई नहीं होगी , सुबह यानि 24 घंटे तक बिना पानी के रहना , बहुत बडी मुसीबत थी। रसोई में मौजूद एक बडी बाल्‍टी और स्‍नानगृह में मौजूद एक टब पानी के सहारे हमने 24 घंटे का समय काटा , इस विश्‍वास के साथ कि कल सुबह सप्‍लाई का पानी आ जाएगा। खैरियत थी कि मैं और पापाजी दो ही जन घर में मौजूद थे , आवश्‍यक काम हो गए , पर घर , बर्तन या  कपडों की सफाई तो हो नहीं सकती थी।

पर पूरे बिल्डिंग के लिए असली मुसीबत तो अभी बाकी थी , सुबह 14 जनवरी का मकर संक्राति जैसा पवित्र दिन आ गया था। इस दिन की महत्‍ता इसी से सिद्ध होती है कि यह हिंदुओं का एकमात्र त्‍यौहार है , जिस दिन महिलाओं को नाश्‍ता बनाने से छुट्टी दी गयी है , ताकि वे इस दिन के स्‍नान , दान और पूजा पाठ का पूरा फायदा उठा सके। हमलोग नल में पानी का इंतजार करते रहें , कल से ही पानी की दिक्‍कत देख कामवाली भी तीसरी बार लौट चुकी थी। 10 बजे चौथी बार आयी तो यह खबर लेकर कि पेपर में समाचार प्रकाशित किया जा चुका है कि आज पानी नहीं आएगा तथा आनेवाले कुछ दिनो तक पानी की दिक्‍कत बनी रहेगी।

घर में पीने के लिए मात्र चार ग्‍लास पानी थे , आसपास कोई चापाकल या पानी का दूसरा स्रोत नहीं था। एक्‍वागार्ड होने से मुझे मिनरल वाटर की कभी आवश्‍यकता नहीं पडी थी , मैने पडोसी से मिनरल वाटर सप्‍लाई करनेवाले का फोन नं मांगा और उसे 20 लीटर पानी देने को कहा। पर उसने भी 11 बजे तक पानी नहीं दिया। 1 बजे के लगभग थोडी देर पानी चलने से हमारी कुछ जरूरतें पूरी हुई , मिनरल वाटर भी आ गया। पर हमलोग दो दिन के लिए बाहर चले गए। तीसरे दिन लौटे , खूब पानी चल रहा है , अब साफ सफाई के सारे काम हो चुके हैं , पर कम पानी और बिना पानी के काटे गए वो घंटे मुझसे भूले नहीं जा रहे।
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

Please Select Embedded Mode For Blogger Comments

और नया पुराने