Grah vigyan kya hai
स्नातक के दौरान विशेष तौर पर 'खगोल शास्त्र' का अध्ययन करने के पश्चात फलित ज्योतिष के प्रति अध्ययन में रूचि जाने के बाद मेरे पिताजी श्री विद्या सागर महथा जी ने ज्योतिष के प्राचीन शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। फलित ज्योतिष के बहुत सारे सूत्रों को उन्होने खगोल शास्त्र के नियमों के अनुकूल पाया , पर इसके कुछ नियम इन्हें बिल्कुल नहीं जंचे। खासकर ग्रहों की शक्ति निर्धारण का सूत्र इन्हें बिल्कुल अप्रामाणिक महसूस हुआ। प्राचीन कालीन ज्योतिष की पुसत्कों में ग्रहों की शक्ति के निर्धारण के लिए स्थानबल , दिक्बल , कालबल , नैसर्गिक बल , चेष्टाबल , दृष्टिबल , आत्मकारक , योगकारक , उत्तरायण , दक्षिणायण , अंशबल , पक्षबल आदि की चर्चा की गयी है। इनसे संबंधित हर नियमों और को बारी बारी से हर कुंडलियों में जॉच की , पर कोई निष्कर्ष नहीं निकला। इसी कारण ग्रहों की वास्तविक शक्ति के निर्धारण में इन्होने पूरी ताकत लगा दी। ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति के बारे में जानकारी के बाद ही इन्हे चैन मिला।
गत्यात्मक ज्योतिष के जनक श्री विद्या सागर महथा जी ने 1981 में ग्रहों के गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति के निर्धारण से पूर्व भी इन्होने विभिन्न लग्नवालों के लिए योगकारक और अयोगकार ग्रहों का उल्लेख करते हुए तात्कालीन महत्वपूर्ण ज्योतिषीय पत्रिका 'ज्योतिष मार्तण्ड' में अपना लेख प्रकाशित किया था , इसमें उन्होने किसी भी कुंडली के विभिन्न भावों को अलग अलग शक्ति प्रदान की थी , जिसे इस चित्र के द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है .....
Grah Vigyan kya hai
इस तालिका के हिसाब से जो ग्रह प्रथम भाव के स्वामी हों , उन्हें +5 अंक , द्वितीय भाव के स्वामी हों , उन्हें +1 अंक , तृतीय भाव के स्वामी को -2 अंक , चतुर्थ भाव के स्वामी को +2 , पंचम भाव के स्वामी को +6 , षष्ठ भाव के स्वामी को -3 , सप्तम भाव के स्वामी को +3 , अष्टम भाव के स्वामी को -1 , नवम भाव के स्वामी को +7 , दशम भाव के स्वामी को +4 , एकादश भाव के स्वामी को -4 तथा द्वादश भाव के स्वामी को 0 अंक दिए जाते हैं। विभिन्न लग्नवालों के लिए योगकारक और अयोगकारक ग्रहों का फलाफल इसके हिसाब से तय किया जाता है।
मेष लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा चतुर्थ भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +2 अंक मिलते हैं , बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2-3)= -5 अंक , मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5-1) = +4 , शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1+3) = +4 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को पंचम भाव के स्वामी होने के नाते +6 , बृहस्पति को नवम और द्वादश भाव का स्वामी होने के नाते (+7+0) = +7 , तथा शनि को दशम और एकादश भाव के स्वामी होने के नाते (+4-4) = 0 अंक मिलते हैं।
What is yogkarak grah
इसी प्रकार वृष लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा तृतीय भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -2 अंक मिलते हैं , बुध द्वितीय और पंचम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1+6)= +7 अंक , मंगल द्वादश और सप्तम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (0+3) = +3 , शुक्र प्रथम और षष्ठ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5-3) = +2 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को चतुर्थ भाव के स्वामी होने के नाते +2 , बृहस्पति को अष्टम और एकादश भाव का स्वामी होने के नाते (-1-4) = -5 , तथा शनि को नवम और दशम भाव के स्वामी होने के नाते (+7+4) = +11 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार मिथुन लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा द्वितीय भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +1 अंक मिलते हैं , बुध प्रथम और चतुर्थ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5+2)= +7 अंक , मंगल एकादश और षष्ठ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3-4) = -7 , शुक्र द्वादश और पंचम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (0+6) = +6 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को तृतीय भाव के स्वामी होने के नाते -2 , बृहस्पति को सप्तम और दशम भाव का स्वामी होने के नाते (+3+4) = +7 , तथा शनि को अष्टम और नवम भाव के स्वामी होने के नाते (-1+7) = +6 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार कर्क लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा प्रथम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +5 अंक मिलते हैं , बुध द्वादश और तृतीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (0-2)= -2 अंक , मंगल दशम और पंचम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6+4) = +10 , शुक्र एकादश और चतुर्थ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2-4) = -2 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को द्वितीय भाव के स्वामी होने के नाते +1 , बृहस्पति को षष्ठ और नवम भाव का स्वामी होने के नाते (-3+7) = +4 , तथा शनि को सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी होने के नाते (-1+3) = +2 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah ka fal
इसी प्रकार सिंह लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा द्वादश भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे 0 अंक मिलते हैं , बुध एकादश और द्वितीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1-4)= -3 अंक , मंगल नवम और चतुर्थ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2+7) = +9 , शुक्र दशम और तृतीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2+4) = +2 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को प्रथम भाव के स्वामी होने के नाते +5 , बृहस्पति को पंचम और अष्टम भाव का स्वामी होने के नाते (+6-1) = +5 , तथा शनि को षष्ठ और सप्तम भाव के स्वामी होने के नाते (-3+3) = 0 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार कन्या लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा एकादश भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -4 अंक मिलते हैं , बुध दशम और प्रथम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5+4)= +9 अंक , मंगल अष्टम और तृतीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-1-2) = -3 , शुक्र नवम और द्वितीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+7+1) = +8 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते 0 , बृहस्पति को चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होने के नाते (+2+3) = +5 , तथा शनि को पंचम और षष्ठ भाव के स्वामी होने के नाते (+6-3) = +3 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah Meaning
इसी प्रकार तुला लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा दशम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +4 अंक मिलते हैं , बुध नवम और द्वादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+7+0)= +7 अंक , मंगल सप्तम और द्वितीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+3+1) = +4 , शुक्र अष्टम और प्रथम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-1+5) = +4 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को एकादश भाव के स्वामी होने के नाते -4 , बृहस्पति को तृतीय और षष्ठ भाव का स्वामी होने के नाते (-2-3) = -5 , तथा शनि को चतुर्थ और पंचम भाव के स्वामी होने के नाते (+2+6) = +8 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार वृश्चिक लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा नवम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +7 अंक मिलते हैं , बुध अष्टम और एकादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-1-4)= -5 अंक , मंगल षष्ठ और प्रथम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3+5) = +2 , शुक्र सप्तम और द्वादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+3+0) = +3 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को दशम भाव के स्वामी होने के नाते +4 , बृहस्पति को द्वितीय और पंचम भाव का स्वामी होने के नाते (+1+6) = +7 , तथा शनि को तृतीय और चतुर्थ भाव के स्वामी होने के नाते (-2+2) = 0 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah kya hain
इसी प्रकार धनु लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा अष्टम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -1 अंक मिलते हैं , बुध सप्तम और दशम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+3+4)= +7 अंक , मंगल पंचम और द्वादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6+0) = +6 , शुक्र षष्ठ और एकादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3-4) = -7 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को नवम भाव के स्वामी होने के नाते +7 , बृहस्पति को प्रथम और चतुर्थ भाव का स्वामी होने के नाते (+5+2) = +7 , तथा शनि को द्वितीय और तृतीय भाव के स्वामी होने के नाते (-2+1) = -1 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार मकर लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा सप्तम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +3 अंक मिलते हैं , बुध षष्ठ और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3+7)= +4 अंक , मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2-4) = -2 , शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6+4) = +10 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को अष्टम भाव के स्वामी होने के नाते -1 , बृहस्पति को तृतीय और द्वादश भाव का स्वामी होने के नाते (-2+0) = -2 , तथा शनि को प्रथम और द्वितीय भाव के स्वामी होने के नाते (+5+1) = +6 अंक मिलते हैं।
What is yogkarak grah
इसी प्रकार कुंभ लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा षष्ठ भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -3 अंक मिलते हैं , बुध पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6-1)= +5 अंक , मंगल तृतीय और दशम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2+4) = +2 , शुक्र चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2+7) = +9 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को सप्तम भाव के स्वामी होने के नाते +3 , बृहस्पति को ,द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी होने के नाते (+1-4) = -3 , तथा शनि को प्रथम और द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते (+5+0) = +5 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार मीन लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +6 अंक मिलते हैं , बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2+3)= +5 अंक , मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1+7) = +8 , शुक्र तृतीय और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2-1) = -3 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को षष्ठ भाव के स्वामी होने के नाते -3 , बृहस्पति को प्रथम और दशम भाव का स्वामी होने के नाते (+5+4) = +9 , तथा शनि को एकादश और द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते (-4+0) = -4 अंक मिलते हैं।
उपरोक्त चार्ट तो ग्रहों के स्वामित्व के आधार पर बनाया गया है , इसके अतिरिक्त जन्मकुंडली में जिस भाव में ग्रह की उपस्थिति हो , इसके अंक को भी जोडा जाना चाहिए। उनका मानना था विभिन्न लग्नवाले इस प्रकार प्राप्त अंक के अनुसार विभिन्न ग्रहों का फलाफल प्राप्त करते हैं। 'गत्यात्मक' ढंग से ज्योतिष के विकास के बावजूद भी उपरोक्त नियम की उपेक्षा नहीं की जा सकती। अच्छे ग्रहीय शक्ति वाले ग्रह भी अयोगकारक हुए तो जातक को अच्छे फलाफल से युक्त नहीं कर पाते हैं , जबकि कम ग्रहीय शक्ति वाले ग्रह भी योगकारक हुए तो जातक को शुभ फलाफल प्रदान करते हैं। ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
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Grah Vigyan kya hai
मेष लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा चतुर्थ भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +2 अंक मिलते हैं , बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2-3)= -5 अंक , मंगल प्रथम और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5-1) = +4 , शुक्र द्वितीय और सप्तम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1+3) = +4 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को पंचम भाव के स्वामी होने के नाते +6 , बृहस्पति को नवम और द्वादश भाव का स्वामी होने के नाते (+7+0) = +7 , तथा शनि को दशम और एकादश भाव के स्वामी होने के नाते (+4-4) = 0 अंक मिलते हैं।
What is yogkarak grah
इसी प्रकार कर्क लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा प्रथम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +5 अंक मिलते हैं , बुध द्वादश और तृतीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (0-2)= -2 अंक , मंगल दशम और पंचम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6+4) = +10 , शुक्र एकादश और चतुर्थ भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2-4) = -2 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को द्वितीय भाव के स्वामी होने के नाते +1 , बृहस्पति को षष्ठ और नवम भाव का स्वामी होने के नाते (-3+7) = +4 , तथा शनि को सप्तम और अष्टम भाव के स्वामी होने के नाते (-1+3) = +2 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah ka fal
इसी प्रकार कन्या लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा एकादश भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -4 अंक मिलते हैं , बुध दशम और प्रथम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+5+4)= +9 अंक , मंगल अष्टम और तृतीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-1-2) = -3 , शुक्र नवम और द्वितीय भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+7+1) = +8 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते 0 , बृहस्पति को चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी होने के नाते (+2+3) = +5 , तथा शनि को पंचम और षष्ठ भाव के स्वामी होने के नाते (+6-3) = +3 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah Meaning
इसी प्रकार वृश्चिक लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा नवम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +7 अंक मिलते हैं , बुध अष्टम और एकादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-1-4)= -5 अंक , मंगल षष्ठ और प्रथम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3+5) = +2 , शुक्र सप्तम और द्वादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+3+0) = +3 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को दशम भाव के स्वामी होने के नाते +4 , बृहस्पति को द्वितीय और पंचम भाव का स्वामी होने के नाते (+1+6) = +7 , तथा शनि को तृतीय और चतुर्थ भाव के स्वामी होने के नाते (-2+2) = 0 अंक मिलते हैं।
Yogkarak grah kya hain
इसी प्रकार मकर लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा सप्तम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +3 अंक मिलते हैं , बुध षष्ठ और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-3+7)= +4 अंक , मंगल चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2-4) = -2 , शुक्र पंचम और दशम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6+4) = +10 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को अष्टम भाव के स्वामी होने के नाते -1 , बृहस्पति को तृतीय और द्वादश भाव का स्वामी होने के नाते (-2+0) = -2 , तथा शनि को प्रथम और द्वितीय भाव के स्वामी होने के नाते (+5+1) = +6 अंक मिलते हैं।
What is yogkarak grah
इसी प्रकार कुंभ लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा षष्ठ भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे -3 अंक मिलते हैं , बुध पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+6-1)= +5 अंक , मंगल तृतीय और दशम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2+4) = +2 , शुक्र चतुर्थ और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2+7) = +9 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को सप्तम भाव के स्वामी होने के नाते +3 , बृहस्पति को ,द्वितीय और एकादश भाव का स्वामी होने के नाते (+1-4) = -3 , तथा शनि को प्रथम और द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते (+5+0) = +5 अंक मिलते हैं।
इसी प्रकार मीन लग्नवालों की जन्मकुंडली में चंद्रमा पंचम भाव का स्वामी होता है , इसलिए इसे +6 अंक मिलते हैं , बुध चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+2+3)= +5 अंक , मंगल द्वितीय और नवम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (+1+7) = +8 , शुक्र तृतीय और अष्टम भाव का स्वामी है , इसलिए इसे (-2-1) = -3 अंक मिलते हैं। इसी प्रकार सूर्य को षष्ठ भाव के स्वामी होने के नाते -3 , बृहस्पति को प्रथम और दशम भाव का स्वामी होने के नाते (+5+4) = +9 , तथा शनि को एकादश और द्वादश भाव के स्वामी होने के नाते (-4+0) = -4 अंक मिलते हैं।
उपरोक्त चार्ट तो ग्रहों के स्वामित्व के आधार पर बनाया गया है , इसके अतिरिक्त जन्मकुंडली में जिस भाव में ग्रह की उपस्थिति हो , इसके अंक को भी जोडा जाना चाहिए। उनका मानना था विभिन्न लग्नवाले इस प्रकार प्राप्त अंक के अनुसार विभिन्न ग्रहों का फलाफल प्राप्त करते हैं। 'गत्यात्मक' ढंग से ज्योतिष के विकास के बावजूद भी उपरोक्त नियम की उपेक्षा नहीं की जा सकती। अच्छे ग्रहीय शक्ति वाले ग्रह भी अयोगकारक हुए तो जातक को अच्छे फलाफल से युक्त नहीं कर पाते हैं , जबकि कम ग्रहीय शक्ति वाले ग्रह भी योगकारक हुए तो जातक को शुभ फलाफल प्रदान करते हैं। ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं।
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