google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 दहेज प्रथा की समाप्ति

दहेज प्रथा की समाप्ति

प्राचीन काल में समान हैसियत रखनेवाले दो मित्र या दो परिचित रिश्‍तेदार या किसी मध्‍यस्‍थ के माध्‍यम से दो अनजान व्‍यक्ति अपने पुत्र या पुत्री के विवाह की बातें करते थे , उस वक्‍त वर अपनी पढाई पूरी कर किसी व्‍यवसाय में लग चुका या कहीं शहर में पढाई कर रहा होता था और कन्‍या अक्षर ज्ञान प्राप्‍त कर लेने के बाद घरेलू कार्यों में दक्षता हासिल कर रही होती थी। सामान्‍य तौर पर दोनो के समान रंगरूप , कद काठी और हैसियत के कारण दहेज लेने देने का कोई प्रश्‍न उठने का सवाल ही नहीं था, समाज में उस वर के समकक्ष विवाह योग्‍य कितने वर मौजूद थे , इस कारण वर वालों का कोई एकाधिकार नहीं था कि वे विवाह के लिए मोटी रकम लें। बस कन्‍या की सुंदरता और खानदान की श्रेष्‍ठता उनकी पहली पसंद हुआ करती थी।

वर कन्‍या को गहने जेवर और कपडे वगैरह के रूप में उपहार देने के क्रम में और रिश्‍तेदारों की उपस्थित भीड को संभालने और खिलाने पिलाने में दोनो पक्षों का खर्च हुआ करता था। चूंकि कन्‍या के यहां वर पक्ष का आगमन होता था , इसलिए उनके स्‍वागत के लिए उनके संबंधियों को भी उपहार देने की परंपरा बनी थी। इसके अतिरिक्‍त कन्‍या दान के वक्‍त फर्नीचर तथा बरतन वगैरह दान किए जाने के कारण उनका कुछ अधिक खर्च हो जाता था। इस तरह वर पक्ष की तुलना में कन्‍या पक्ष का कुछ ही अधिक खर्च होता था। पर वर पक्ष के द्वारा दिए गए उपहार अपने घर में रह जाते थे , जिसका मौके बेमौके उपयोग किया जा सकता था , जबकि  कन्‍या पक्ष के द्वारा दिया गया उपहार बेटी के साथ उसके ससुराल चला जाता था , जिसपर उनका कोई अधिकार नहीं रह जाता था , शायद इसलिए ही बेटियों को उपहार देना भी कन्‍या पक्ष वालों को भारी लगता होगा।

लेकिन कालांतर में सुविधाभोगी मानसिकता के कारण कमोवेश सभी परिवारो में अपनी पुत्रियों का विवाह अपने से संपन्‍न घराने में योग्‍य वर से करने की प्रवृत्ति बढने लगी और इसके लिए कन्‍या पक्ष वाले वर पक्ष वालों को लालच देने लगें। यदि कोई लालच न दिया जाए तो वर पक्ष वाले अपने से निम्‍न हैसियत वालों की कन्‍या से विवाह करने को कैसे राजी हो सकते थे ? कभी कभी अपने समान हैसियतवाले घराने में भी शक्‍ल सूरत से कमजोर या किसी प्रकार की अपंगता की शिकार कन्‍या के विवाह के लिए वर पक्ष को लालच देना कन्‍या पक्षवालों की मजबूरी रही और हालात की कमजोरी ने वर पक्ष को इसे स्‍वीकारने को बाध्‍य किया। इन्‍हीं सब बातों से क्रमश: दहेज की प्रथा बढती चली गयी। बाद में कन्‍या पक्ष द्वारा पढाई लिखाई और नौकरी प्राप्‍त करने के बाद बेहतर जीवन जी पाने वाले वरों की मांग बडे रूप में बढी और दहेज प्रथा का और वीभत्‍स रूप होता चला गया। पर यह तो हमें मानना ही होगा कि कन्‍याओं के पिता की स्‍वार्थी प्रवृत्ति ने ही दहेज प्रथा को जन्‍म दिया है।

आज भी वर या कन्‍या दोनो की हैसियत और उनके माता पिता की हैसियत समान हो तो विवाह के पहले दहेज का कोई प्रश्‍न ही नहीं उठता, चाहे वे अपनी पसंद से विवाह करें या माता पिता की पसंद से या किसी मध्‍यस्‍थ के माध्‍यम से। दोनो की ओर से यथासंभव उपहार खरीदे जाएंगे , खर्च किए जाएंगे , पर यह कितना होगा , इसे पहले से तय करने की कोई आवश्‍यकता नहीं। पर कन्‍या अधिक पढी लिखी न हो और आप अच्‍छे से अच्‍छा वर ढूंढेंगे , तो इस कमी की क्षतिपूर्ति के लिए माता पिता को कुछ करना ही पडेगा। पर कई दशक पूर्व से ही जहां लडकी भी कमाउ होती थी , वहां दहेज की अधिक समस्‍या नहीं उपस्थित हुआ करती थी।

जहां नई नई सरकारी नौकरी ज्‍वाइन करने वाले छोटी छोटी आवश्‍यकता को पूरी करने में ही कुछ दिनों से अपनी सारी तनख्‍वाह समाप्‍त कर रहे हों , दान दहेज के रूप में लाखों कैश और गृहस्‍थी का छोटा बडा सामान एक साथ मिल जाने में क्‍यों आपत्ति कर सकते थे ? उसके लिए कन्‍या की शक्‍ल सूरत या पारिवारिक स्‍तर में थोडा समझौता भी अधिक मायने नहीं रखता था। पर आज मल्‍टीनेशनल कंपनी में लाखों के पैकेज की नौकरी कर रहे युवा दहेज के विरोध में ही दिखाई दे रहे हैं। 

कारण यह है कि कन्‍या के माता पिता अपने पूरे जीवन की बचत भी दे दें , तो उसके एक वर्ष के पैकेज के बराबर होगा। इस कारण इसे महत्‍व न देकर वह उपयुक्‍त पात्र चुनना अधिक पसंद कर रहे हैं।यह समाज के लिए शुभ हो सकता है , पर ऐसे में सामान्‍य से कम शक्‍ल सूरत या प्रोफेशनल डिग्री न रखने वाली कन्‍याओं के विवाह में बहुत बाधा उपस्थित हुई है। ऐसी कन्‍याओं के माता पिता काफी लाचार परेशान दिख रहे हैं। वैसे हाल के दिनों में आयी कन्‍याओं की संख्‍या में गिरावट से थोडी राहत अवश्‍य हुई है , अन्‍यथा स्थिति और भयावह हो सकती थी।

संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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