Mithun lagna me grahon ka fal
आसमान के 60 डिग्री से 90 डिग्री तक के भाग का नामकरण मिथुन राशि के रूप में किया गया है। जिस बच्चे के जन्म के समय यह भाग आसमान के पूर्वी क्षितिज में उदित होता दिखाई देता है , उस बच्चे का लग्न मिथुन माना जाता है। मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार मन का स्वामी चंद्र धन भाव का स्वामी होता है और यह जातक के संसाधन , कोष और पारिवारिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मिथुन लग्न के जातकों के मन को पूर्ण तौर पर संतुष्ट करने वाले ये सारे संदर्भ ही होते है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में चंद्र के मजबूत रहने पर धन की मजबूत स्थिति से मिथुन लग्न के जातक का मन खुश और जन्मकुंडली या गोचर में चंद्र के कमजोर रहने पर धन की कमजोर स्थिति से इनका मन आहत होता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' चन्द्रमा की शक्ति का निर्णय इसके आकार के आधार पर करता है। अमावस के चन्द्रमा को शुन्य, दोनों अष्टमी के चन्द्रमा को 50 और पूर्णिमा के चन्द्रमा को 100 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है।
Mithun lagna me grahon ka fal
मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार समस्त जगत में चमक बिखेरने वाला सूर्य तृतीय भाव का स्वामी होता है और यह जातक के भाई , बहन ,बंधु , बांधव का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए अपने नाम यश को फैलाने के लिए मिथुन लग्न के जातक भाई बंधु की स्थिति मजबूत बनाने और अनुयायियों की संख्या बढाने पर जोर देते हैं। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के मजबूत रहने पर नाम यश फैलाने के लिए इन्हें भाई बंधु का पूरा सहयोग मिलता है , इनकी मजबूती से इनकी कीर्ति फैलती है , जबकि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में सूर्य के कमजोर रहने पर की कमी से इनकी कीर्ति घटती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' में सूर्य को हर वक्त 50 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति दी जाती है, पर यह जिस ग्रह की राशि में होता है, उससे इन्हे गत्यात्मक शक्ति प्रभावित होकर थोड़ी धनात्मक या ऋणात्मक हो जाती है।
Mithun lagna me mangal ka fal
मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार मंगल षष्ठ और दशम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के रोग , ऋण , शत्रु जैसे झंझट और लाभ का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्न के जातकों के लाभ में झंझट की संभावना बनती है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के मजबूत रहने पर मिथुन लग्नवाले झंझटों को दूर करने की क्षमता से लाभ को मजबूत कर प्रभाव को बढाते है , पर विपरीत स्थिति में यानि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में मंगल के कमजोर रहने पर झंझट ही झंझट दिखाई देने से लाभ प्राप्ति में बाधाएं आती हैं , जो प्रभाव को कमजोर बनाती हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' मंगल की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में मंगल सूर्य के निकट हो तो मंगल को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और मंगल आमने सामने हो तो मंगल काफी कमजोर होता है।
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ज्योतिष के बारे में
Mithun lagna me shukra ka fal
मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार शुक्र पंचम और द्वादश भाव का स्वामी है और यह जातक के बुद्धि , ज्ञान , संतान , खर्च और बाहरी संदर्भों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मिथुन लग्नवालों को अपनी पढाई लिखाई से लेकर संतान पक्ष की पढाई लिखाई या अन्य मामलों में अपेक्षाकृत अधिक खर्च की आवश्यकता पडती है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के मजबूत होने पर खर्चशक्ति मजबूत होकर अपने या संतान के बौद्धिक विकास या संतान के अन्य प्रकार के कार्यों में बाधाएं नहीं आने देती , पर विपरीत स्थिति में यानि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शुक्र के कमजोर होने पर खर्चशक्ति कमजोर होकर इसमें कठिनाई उपस्थित करती हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शुक्र की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, शुक्र की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो शुक्र को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही शुक्र वक्री होता है तेजी से घटती हुई गत्यात्मक शक्ति शुन्य हो जाती है।
Mithun lagna me budh ka fal
मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार बुध प्रथम और चतुर्थ भाव का स्वामी है और यह जातक के स्वास्थ्य , आत्मविश्वास , माता , हर प्रकार की से संबंधित मामलों का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिण् इस लग्न के जातकों के स्वास्थ्य और आत्मविश्वास को मजबूती देने में मातृ पक्ष या हर प्रकार की संपत्ति का हाथ होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के मजबूत होने पर स्थायित्व की स्थिति मजबूत होती है , हर प्रकार की छोटी बडी संपत्ति मौजूद होती हैं , जिनसे इनका आत्मविश्वास बढता है और स्वास्थ्य अच्छा बना होता है , जबकि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बुध के कमजोर होने पर मातृ पक्ष का तनाव या किसी प्रकार की संपत्ति की कमी या स्थायित्व की कमी इनके आत्मविश्वास पर बुरा प्रभाव डालती है , जिससे स्वास्थ्य में गडबडी आती है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' बुध की शक्ति का निर्णय उसकी गति से करता है, बुध की गति प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक हो तो बुध को अधिक गत्यात्मक शक्ति मिलती है, प्रतिदिन 1 डिग्री हो तो 50 प्रतिशत , यदि गति 1 डिग्री से कम होने लगती है तो गत्यात्मक शक्ति भी कम होने लगती है, जैसे ही बुध वक्री होता है तेजी से घटती हुई इसकी गत्यात्मक शक्ति शून्य हो जाती है।
Mithun lagna me guru ka fal
मिथुन लग्न और कैरियर - मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार बृहस्पति सप्तम और दशम भाव का स्वामी होता है और यह जातक के घर गृहस्थी , पद प्रतिष्ठा और उसके सामाजिक राजनीतिक स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए मिथुन लग्न के जातकों के घर गृहस्थी पक्ष का सामाजिक वातावरण पर प्रभाव देखा जाता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के कमजोर होने पर जीवनसाथी या ससुराल पक्ष कमजोर होकर प्रतिष्ठा पर क्या , कानूनी झगडे तक पहुंचा देते है , जबकि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में बृहस्पति के मजबूत होने पर ये पक्ष मजबूत होकर प्रतिष्ठा में बढोत्तरी करते हैं , कैरियर में भी सुख मिलता है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' गुरु की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में गुरु सूर्य के निकट हो तो गुरु को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और गुरु आमने सामने हो तो गुरु काफी कमजोर होता है।
Mithun lagna me shani
मिथुन लग्न की कुंडली के अनुसार शनि अष्टम और नवम भाव का स्वामी होता है यानि यह जीवनशैली और धर्म या भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए इस लग्नवाले जातकों के जीवनशैली का धर्म या भाग्य से संबंध बना होता है। जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के मजबूत होने से मिथुन लग्नवाले धार्मिक और परंपरागत जीवन जीते हैं , पर इनके जीवनशैली में अंधविश्वास का समावेश नहीं होता है , जबकि जन्मकुंडली , दशाकाल या गोचर में शनि के कमजोर रहने पर मिथुन लग्नवाले परंपरावादी और कट्टर जीवनशैली पर विश्वास रखते हैं। 'गत्यात्मक ज्योतिष' शनि की शक्ति का निर्णय इसके सूर्य के निकट होने या दूर होने से करता है, जन्मकुंडली में शनि सूर्य के निकट हो तो शनि को अधिकतम गत्यात्मक शक्ति मिलती है, सूर्य से जितना दूर होता है, शक्ति घटती जाती है, सूर्य और शनि आमने सामने हो तो शनि काफी कमजोर होता है।
ज्योतिष में सभी लग्न की कुंडलियों के बारे में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक कर सकते हैं। लेकिन ग्रह कमजोर है या मजबूत, इसका पता आंशिक तौर पर हमारे योगकारक ग्रहों का प्रभाव लेख से मालूम हो सकता है, पर ग्रहों की गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति की जानकारी के लिए हमारे केंद्र से जन्मकुंडली बनवाना आवश्यक है!
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