Hindu calendar in hindi
आज पूरे विश्व में जो कैलेंडर प्रचलित है, वह सौर केलिन्डर है, जिसका आधार पृथ्वी की वार्षिक गति है। पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा ३६५ दिन, कुछ घंटों में करती है, उसी हिसाब से हमारा केलिन्डर ३६५ दिनों का होता है। आप कैलेंडर की किसी भी डेट से सौरमंडल में पृथ्वी की स्थिति और इसके हिसाब से मौसम की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। भारतीय पंचांग की किसी तिथि से आप सूर्य के अलावा चन्द्रमा की भी जानकारी प्राप्त कर कर सकते हैं।
माना जाता है कि हिंदू पंचांग बनाने की शुरुआत वैदिक काल में ही हुई थी। उस वक्त सूर्य व नक्षत्र पर पंचांग आधारित होता था। बाद में इसमें चन्द्रमा की गति भी जोड़ी गयी। भारतीय कैलेंडर को पञ्चाङ्ग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें एक तिथि के पाँच अंगों की जानकारी दी जाती है। ये अंग तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण हैं। इसके अतिरिक्त भी एक तिथि की कई जानकारी पंचागों में उल्लिखित होती हैं। पञ्चाङ्ग को समझने से पहले आइए भारतीय पंचांग की गणना को समझते हैं :-------
Hindu calendar months in hindi
सौर वर्ष - सूर्य की संक्रांति से सौरमास का आरम्भ होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति का समय सौरमास कहलाता है। सौर मास १५ अप्रैल से शुरू होता है, इनके नाम मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ, मकर, मीन हैं । १२ सौर मासों का एक सौर वर्ष होता है, यह 365 दिन का होता है।
भाग्य बारे में
चंद्र वर्ष (Months according to hindu calendar )- एक सौर वर्ष में १२ महीने होते हैं। चन्द्रमा १२ बार पृथ्वी की परिक्रमा करता है। इसलिए 12 महीनों का एक चंद्र-वर्ष होता है। पूर्णिमा के दिन, चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उसी आधार पर १२ महीनों का नामकरण हुआ है, १२ चंद्र मासों के नाम - चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, अषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन। यह सौर वर्ष से 11 दिन 3 घटी 48 पल छोटा होता है, इसलिए तीन वर्षों में एक बार १३ महीने का साल बनाकर इसे सौर वर्ष के साथ कर दिया जाता है। बढे महीने को 'मलमास' या 'अधिमास' कहते हैं।
अयन - आसमान के ३६० डिग्री को दो अयन में बांटा गया है, उत्तरायण और दक्षिणायन। पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने से सूर्य सापेक्ष इसकी स्थिति बदलती है। इस कारण सूर्योदय से सूर्यास्त तक सूर्य कभी हमें उत्तर दिशा से घूमते हुए, कभी दक्षिण दिशा से घूमते हुए दिखाई देते हैं।
Hindu calendar day today
पक्ष - महीने में एक बार सूर्य-चंद्र एक साथ अमावस को रहते हैं, फिर धीरे धीरे दूरी बनाते हुए पूर्णिमा को एक-दूसरे के सामने चले जाते हैं, 14 दिनो तक चन्द्रमा के सूर्य से बढ़ती हुई दूरी की इस यात्रा को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। उसके बाद फिर पूर्णिमा से अमावस तक 14 दिनों का कृष्णपक्ष तय होते होते एक हिंदी मास का चक्र पूरा होता है, जो चन्द्रमा द्वारा पृथ्वी की परिक्रमा के समय पर आधारित है। शुक्ल पक्ष में चंद्र की कलाएँ बढ़ती हैं और कृष्ण पक्ष में घटती हैं। इसलिए पंचांग में आपको हर तिथि के सामने पक्ष जरूर लिखा मिलेगा।
Aaj ka panchang shubh muhurat
पंचांग के पांच अंग ये हैं :---
तिथि - एक दिन को तिथि कहा गया है जो सूर्य और चंद्र के डिग्री के अंतर उन्नीस घंटे से लेकर चौबीस घंटे तक का तय किया जाता है। तिथियों के नाम - पूर्णिमा (पूरनमासी), प्रतिपदा (पड़वा), द्वितीया (दूज), तृतीया (तीज), चतुर्थी (चौथ), पंचमी (पंचमी), षष्ठी (छठ), सप्तमी (सातम), अष्टमी (आठम), नवमी (नौमी), दशमी (दसम), एकादशी (ग्यारस), द्वादशी (बारस), त्रयोदशी (तेरस), चतुर्दशी (चौदस) और अमावस्या (अमावस) हैं
दिन - इन 14 दिनों को फिर से दो भाग में बांटकर सात दिनों का सप्ताह बनाया गया है, सप्ताह के सातो वार(दिन) के नाम ग्रहों के नाम पर रखे गए हैं। हमारे पञ्चाङ्गों में हर वार एक दिन के सूर्योदय से दूसरे दिन के सूर्योदय पूर्व तक मन जाता है। आज कंप्यूटर के ज़माने के पंचागों में १२ बजे रात में ही वार के परिवर्तन की विवशता हो गयी है। वार सात हैं - रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार। पंचांग में आपको हर तिथि के सामने वार जरूर लिखा मिलेगा।
नक्षत्र - पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए चन्द्रमा २८ दिन में आसमान के ३६० डिग्री का सफर तय करता है। इस तरह प्रतिदिन चन्द्रमा १३ डिग्री २० मिनट की दूरी तय करता है, इस आधार पर ज्योतिष में आसमान को २७ भाग में बाँटकर एक नक्षत्र बनाया गया है। पञ्चाङ्ग में आपको हर तिथि के सामने वह नक्षत्र लिखा मिलेगा, जिसमे उस दिन चंद्रमा स्थित होगा।
करण - तिथि को दो भाग में बाँटने से एक करण निकलता हैं। इनकी संख्या ग्यारह है - बव, बालव, कौलव, तैतिल, गर, वणिज, विष्टि, शकुनि, चतुष्पाद, नाग और किस्तुघ्न।