मुहूर्त्त का सच

 

Aaj ka shubh muhurat kya hai

अपने पिताजी की पुस्तक में से एक लेख आज आपके लिए प्रस्‍तुत है .....

आज के अनिश्चित और अनियमित युग में हर व्यक्ति स्वयं को असुरक्षित महसूस करता है। अपने कर्मों और कार्यक्रमों पर भरोसेवाली कोई बात नहीं रह जाती है। जैसे जैसे आत्मविश्वास में कमी होती जा रही है मुहूर्त यात्रा आदि संदर्भों की ओर लोगों का झुकाव बढ़ता जा रहा है। पत्र-पत्रिकाओं में अक्सर फिल्म-निर्माण प्रारंभ करने और उसके प्रदर्शन की शुरुआत के लिए मुहूर्त की चर्चा देखने को मिलती है। फिल्म-निर्माण करने में अधिक से अधिक खर्च-शक्ति और पूंजी की लागत होती है कामयाबी मिलने पर लागत-पूंजी न केवल सार्थक होती है वरन् प्रतिदान के रुप में कई गुणा बढ़ भी जाती है। दूसरी ओर फिल्म फलॉप होने पर फिल्म निर्माता दर-दर भटकाव की स्थिति को प्राप्त करते हैं। सचमुच फिल्म निर्माण बहुत बड़ा रिस्क होता है इसलिए फिल्मनिर्माता एक अच्छे मुहूर्त की तलाश में होते हैं ताकि काम अबाध गति से चलता रहे और प्रदर्शन के बाद भी फिल्म काफी लाभदायक सिद्ध हो। किन्तु वस्तुतः होता क्या है आज का फिल्म उद्योग काफी लाभप्रद नहीं रह गया है कुछ सफल है तो अधिकांश की स्थिति बिगड़ी हुई है। क्या सचमुच मुहूर्त काम करता है ?

Shubh yatra in hindi

पूरे देश में प्रवेशिका परीक्षा देनेवालों की संख्या करोड़ों में होती है। इस वैज्ञानिक युग में जैसे-जैसे मनोरंजन के साधन बढ़ते चले गए पढ़ाई का वातावरण धीरे-धीरे कमजोर पड़ता चला गया। आज जैसे ही परीक्षा के लिए कार्यक्रम की घोषणा होती है अधिकांश विद्यार्थी परेशान नजर आते हैं क्योंकि उनकी तैयारी संतोषजनक नहीं होती है इसलिए उनका आत्मविश्वास काम नहीं करता रहता है। प्रायः सभी विद्यार्थी और उनके अभिभावक अपने आवास से परीक्षा-स्थल पर पहुंचने के लिए मुहूर्त्‍त की तलाश में पंडितों के पास पहुंच जाते हैं। पंडितजी के पास ग्रहों नक्षत्रों के आधार पर शोध किए गए कुछ विशिष्ट शुभ समय-अंतराल की तालिका होती है।

aaj ka shubh muhurat kya hai

कभी महेन्द्र योग कभी अमृत योग तो कभी सिद्धियोग से संबंधित इस प्रकार के शुभफलदायी लघुकालावधि की सूचना बारी-बारी से सभी विद्यार्थियों और अभिभावकों को दी जाती है या फिर एक ही विद्यार्थी पंडितजी से यह मुहूर्त्‍त प्राप्त कर कई विद्यार्थियों को जानकारी देते हैं। विद्यार्थी झुंड बनाकर एक ही साथ उसी शुभ मुहूर्त्‍त में अपने गांव कस्बे या क्षेत्र से परीक्षास्थल के लिए निकलते हैं। पर सोंचने की बात है कि क्या सबका परिणाम एक सा होता है नहीं विद्यार्थियों को उनकी प्रतिभा के अनुरुप ही फल प्राप्त होता है। उत्तीर्ण होने लायक विद्यार्थी सचमुच उत्तीर्ण होते हैं और जिन विद्यार्थियों के अनुत्तीर्ण होने की संभावना पहले से ही रहती है वैसे ही विद्यार्थी अनुत्तीर्ण देखे जाते हैं। विरले ही ऐसे विद्यार्थी होते हैं जिनका परीक्षा परिणाम प्रत्याशा के विरुद्ध होता है उन विद्यार्थियों ने शुभ मुहूर्त्‍त में यात्रा नहीं की इसलिए ही ऐसा हुआ यह तो कदापि नहीं कहा जा सकता। 

यहां तो मैं केवल यात्रा की बात कर रहा हूं किन्तु कल्पना करें किसी समय अमृत योग सिद्धि योग या महेन्द्र योग चल रहा हो और उसी समय किसी विषय की परीक्षा चल रही हो तो क्या लाखों की संख्या में परीक्षा दे रहे विद्यार्थी उस विषय में उत्तीर्ण हो जाएंगे कदापि नहीं सभी विद्यार्थियों को उनकी योग्यता के अनुरुप ही  परीक्षाफल की प्राप्ति होगी। अमृतयोग या सिद्धियोग कुछ काम नहीं कर पाएगा।

Types of muhurat

हर विषय की परीक्षा का समय निर्धारित होता है और लाखों की संख्या में परीक्षार्थी परीक्षा में सम्मिलित होकर भिन्न-भिन्न परीणामों को प्राप्त करते हैं। समय के छोटे से टुकड़े को ही मुहूत्र्त कहा जाता है। इस दृष्टिकोण से परीक्षा की कुल अवधि जिसमें सभी विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं एक प्रकार का मुहूत्र्त ही हुआ। वह मुहूर्त्‍त अच्छा है या बुरा सभी विद्यार्थियों के लिए एक जैसा ही होना चाहिए परंतु क्या वैसा हो पाता है स्पष्ट है ऐसा कभी नहीं हो सकता ।

बहुत बार समय का एक छोटा सा अंतराल आम लोगों को प्रभावित करता है। हवाई जहाज या रेल के दुर्घटनाग्रस्त होने पर सैकड़ो लोग एक साथ मरते हैं। इसी तरह युद्ध भूकम्प या तूफान के समय मरनेवालों की संख्या हजारो में होती है। उक्त कालावधि को हम बहुत ही बुरे समय से अभिहित कर सकते हैं क्योकि इस प्रकार की घटनाएं जनमानस पर बहुत ही बुरा प्रभाव डालती है किन्तु इस प्रकार की घटनाओं को अच्छे योगों में भी घटते हुए मैंने पाया है। इसी प्रकार शुभ विवाह के लिए शुभ मुहूर्तों की एक लम्बी तालिका होती है जिन तिथियों में ही शादी-विवाह की व्यवस्था की जाती है। 

परंतु बहुत बार हम ऐसा सुनते हैं कि आकस्मिक दुर्घटना के कारण बरातियों की मौत हो गयी ऐसी हालत में इन योगों की कौन सी प्रासंगिकता रह जाती है क्या यह बात दावे से कही जा सकती है कि जो हवाई जहाज दुर्घटनाग्रस्त हुई उसमें हवाई यात्रा करने से पूर्व सभी यात्रियों में से किसी ने मुहूर्त्‍त नहीं देखा होगा उसमें स्थित कोई आम आदमी जो भाग्यवादी दृष्टिकोण भी रखता होगा यात्रा के विषय में अवश्य ही पंडितों से सलाह ले चुका होगा फिर भी सभी यात्रियो का परिणाम एक सा ही देखा जाता है।

जहां एक ओर  सामूहिक उत्सव एक ही मेले में लाखो लोगों का एक साथ उपस्थित होना सामूहिक विवाह सौंदर्य प्रतियोगिता आदि सुखद अहसास खास समय अंतराल के विषय वस्तु हो सकते हैं वहीं दूसरी ओर भूकम्प तूफान युद्ध और दुर्घटनाओं से लाखों लोगों का प्रभावित होना भी सच हो सकता है। इस प्रकार से अच्छे या बुरे समय को स्वीकार करना हमारी बाध्यता तो हो सकती है किन्तु इन दोनों प्रकार के समयों को अलग-अलग कर दिखाने के सूत्रों की पकड़ जब अच्छी तरह हो जाएगी तो फलित ज्योतिष के द्वारा समय और तिथियुक्त भविष्यवाणियां भी आसानी से की जा सकेगी।

Muhurtham meaning

अमुक दिन अमुक समय पर भूकम्प आनेवाला है तूफान आनेवाला है कहकर लोगों को सतर्क किया जा सकेगा। अगर ऐसा हो पाया तो बुरे समय का बोध स्वतः हो जाएगा। किन्तु अभी फलित ज्योतिष इतना ही विकसित है कि वह ग्रह की स्थिति अंश कला और विकला तक कर सकता है परंतु उसके फलाफल की प्राप्ति किस वर्ष होगी इसकी भी चर्चा नहीं कर पाता । दूसरी ओर फलित ज्योतिष के ज्ञाता किसी खास घंटा और मिनट को भी शुभ और अशुभ कहने में नहीं चूकते हैं। फलित कथन की यह दोहरी नीति फलित ज्योतिष में भ्रम उत्पन्न करती है।

कभी-कभी एक ही समय में एक घटना घटित होती है और उस घटना का प्रभाव दो भिन्न-भिन्न व्यक्ति और समुदाय के लिए अलग-अलग यानि एक के लिए शुभ और दूसरे के लिए अशुभ फलदायक होता है। इस प्रकार की घटनाएं अक्सर होती हैं एक हारता है तो दूसरा जीतता है। एक को हानि होती है तो दूसरा लाभान्वित होता है। वर्षों तक मुकदमा लड़ने के बाद दोनों पक्ष के मुकदमेबाज ज्योतिषी से सलाह लेने पहुंच जाते हैं। फैसले के लिए कौन सी तिथि का चुनाव किया जाए। पंचांग में एक बहुत ही शुभ समय का उल्लेख है। दोनो पक्ष भिन्न-भिन्न ज्योतिषियों से सलाह लेकर उस शुभ दिन को फैसले की सुनवाई के लिए तैयार होकर जाते हैं। पर परिणाम क्या होगा एक को जीत तो दूसरे को हार मिलनी ही है। निर्धारित शुभ समय एक के लिए शुभफलदायक तो दूसरे के लिए अशुभ फलदायक होगा।

दो देशों के मध्य क्रिकेट मैच हो रहा है।  दोनो देशों के निवासी बड़ी तल्लीनता के साथ मैच देख रहे होते हैं। कई घंटे बाद निर्णायक क्षण आता है। जीतनेवाला देश कुछ ही मिनटों में खुशी का इजहार करते हुए करोड़ो रुपए की आतिशबाजी कर लेता है किन्तु प्रतिद्वंदी देश गम में डूबा शोकाकुल मातम मनाता रहता है। ऐसे निर्णायक क्षण को बुरा कहा जाए या अच्छा निर्णय करना आसान नहीं है। इसी तरह बंगला देश के आविर्भाव के समय 1971 में दिसम्बर के पूर्वार्द्ध में एक पखवारे तक दोनो देशों के बीच युद्ध होता रहा जान-माल की हानि होती रही। बंगला देश अस्तित्व में आया। 

सिद्धांततः भारत की जीत हुई पाकिस्तान की पराजय। किन्तु दोनो ही देशों को भरपूर आर्थिक नुकसान हुआ। इन पंद्रह दिनों की अवघि को किस देश के लिए किस रुप में चिन्हित किया जाए। 15 दिनों के अंदर उल्लिखित अमृत महेन्द्र और सिद्धियोग का भारत और पाकिस्तान के सैनिकों के लिए और बंगला देश के नागरिकों के लिए क्या उपयोगिता रही ?

इस अवधि में बंगला देश निवासी स्त्री-पुरुषों के साथ पाकिस्तानी सैनिकों का अत्याचार अपनी पराकाष्ठा पर था। क्या फलित ज्योतिष के दैनिक मुहूर्तों का इनपर कोई प्रभाव पड़ सका मुहूर्त के रुप मे छोटे-छोटे अंतराल की चर्चा न कर स्थूल रुप से ही इस लम्बी अवधि तक की युद्ध की विभीषिका को क्या फलित ज्योतिष में एक अनिष्टकर योग के रुप में  चित्रित किया जा सकता है नहीं क्योकि इस घटना का प्रभाव सारे विश्व के लिए एक जैसा नहीं था । न्यूटन के तीसरे नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर और विपरीत एक प्रतिक्रिया होती है। यदि यह प्रकृति का नियम है तो समय के छोटे से अंतराल में भी जिसे हम बुरा या अशुभ फल प्रदान करनेवाला कहते हैं किसी न किसी का कल्याण हो रहा होता है।

अतः किसी भी समय को किसी व्यक्ति विशेष के लिए अच्छा या बुरा समय कहना ज्यादा सटीक होगा। अमृत योग में भी किसी को फांसी पर लटकाया जा सकता है विषयोग में भी कल्याणकारी कार्य हो सकते हैं । किसी वर्ष मक्का-मदीना में गए हजयात्रियों की संख्या 20 लाख थी। गैस-रिसाव से अग्नि प्रज्वलित हुई तथा तेज हवा के झोकों के कारण आग की लपटे हजारो पंडालों तक फैल गयी। इससे 400 तीर्थयात्री मारे गए। शेष हजयात्रा पूरी करके सकुशल वापस आ गए। जो मारे गए वे सीधे जन्नत सिधार गए। उनका संपूर्ण परिवार पीडि़त हुआ। जो घायल हुए वे स्वयं पीडि़त हुए। शेष हादसे से प्रभावित नहीं होने के कारण हजयात्रा की सफलता को उपलब्धि के रुप में लेंगे। सभी अपने अपने दशाकाल के अनुसार फल की प्राप्ति कर रहे थे मुहूर्त के अनुसार उनका फल प्रभावित नहीं हुआ।

Aaj ka shubh muhurat

किसी धनाढ्य व्यक्ति के यहां लक्ष्मीपूजन किस समय किया जाए इसके लिए पंडित शुभ मुहूर्त निकाल देते हैं पूजा भी हो जाती है धन की वर्षा भी होने लगती है किन्तु एक पंडित अपने लिए वह शुभ मुहूर्त कभी नहीं निकाल पाता है । यदि पक्के विश्वास की बात होती तो पंडित उस शुभ घड़ी में स्वयं अपने यहां लक्ष्मी-पूजन करता और धन की वर्षा उसी के यहां होती उसे केवल दक्षिणा से संतुष्ट रहने की बात नहीं होती।

निष्कर्ष यह है कि हर समय का महत्व हर व्यक्ति के लिए अलग-अलग होता है। पंचांग में यदि एक समय को शुभ लिख दिया जाए तो कोई समय शुभ नहीं हो जाएगा। एक समय एक व्यक्ति हॅसता है तो दूसरा रोता है। यात्रा या मुहूर्त के बल पर बुरे समय को अच्छे समय में बदलना कठिन ही नहीं असंभव कार्य है। अपने कर्मफल को भोगने के लिए हम सभी विवश हैं। किसी की यात्रा या मुहूर्त उसी दिन शुरु हो जाता है जिस दिन उसका जन्म पृथ्वी पर होता है। जबतक यह जीवन है हर व्यक्ति अपने यात्रा-पथ में है।

जन्म के अनुसार संस्कार विचारधारा कर्तब्य सुखदुख सब निर्धारित है। जन्मकालीन ग्रहों द्वारा निर्मित वातावरण इन सबके लिए काफी हद तक जिम्मेवार है। जन्म से मृत्यु तक के यात्रापथ में उसके समस्त कार्यक्रम उसकी सफलता और असफलता तक के क्षणों का निर्धारण लगभग हो चुका होता है। इस बीच यदि कोई बार-बार मुहूर्त की तलाश करता है तो क्या सचमुच अपनी प्रकृति विचारधारा कार्यप्रणाली और मंजिल को बदलने की क्षमता रखता है यदि ये सारे संदर्भ हर समय बदल दिए जाए तो व्यक्ति कहां पहुंचेगा ?

Shadi-vivah ke muhurt

पंचांगों में शुभ विवाह के लिए बहुत सारे मुहूर्तों का उल्लेख होता है। वैवाहिक बंधनों में बॅघनेवालों के लिए शुभ तिथियां कुल मिलाकर 40 से 50 के बीच होती हैं। उनमें भी कई प्रकार के दोषों का उल्लेख रहता है। लोग भ्रमजाल में उलझे उनमें से किसी अच्छी तिथि के लिए पंडितों के पास पहुंचते हैं। अभिभावकों के पास पंचांगों में लिखी बातों को मानने के अलावा और कोई उपाय नहीं होता। वैवाहिक संस्कार जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है इसका बंधन बहुत ही नाजुक होता है संपूर्ण जीवन पर गहरा प्रभाव डालनेवाला।

इसलिए लोग शुभलग्न या शुभ तिथियों में ही विवाह निश्चित करते हैं। सीमित तिथियां होने से कभी-कभी एक ही तिथि में शादी की इतनी भीड़ हो जाती है कि हर प्रकार की व्यवस्था में अभिभावकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। उत्सवी वातावरण बोझिल बन जाता है। जिस कार्यक्रम की शुरुआत में ही कष्ट या तनाव हो जाए उसका मनोवैज्ञानिक बुरा प्रभाव भविष्य में भी देखने को मिलता है। शुभ तिथि के चयन में इस बात का सर्वाधिक महत्व होना चाहिए कि वांछित कार्यक्रम का किस प्रकार से समापन हो पर इसका सहारा न लेकर ऊबाऊ मुहूर्त की चर्चा करना समाज में व्यर्थ का बोझ देना है। 

पंचांग में शुक्र के अस्‍त होने पर शादी के लिए कोई शुभ लग्न पंचांगों में दर्ज नहीं किया जाता है। पर ज्योतिषियों को यह मालूम होना चाहिए कि शुक्र का अस्त होना हर स्थिति में कष्टकर नहीं होता। सूर्य के साथ अंतर्युति करते हुए जब शुक्र अस्त होता है तो वह आम लोगों के लिए कष्टकर हो सकता है किन्तु वही शुक्र सूर्य से बहिर्युति करते हुए जब अस्त हो तो बहुत ही अच्छा फल प्रदान करता है। जब शुक्रास्त सूर्य के साथ बहिर्युति करते होता है तो शुक्र की कमजोरी को दृष्टिकोण में रखकर वैवाहिक शुभ लग्न का उल्लेख नहीं करना अनजाने में बहुत बड़ी भूल होती है। पंचांग निर्माता या फलित ज्योतिष के विशेषज्ञ विभिन्न कारणों से शादी के लिए किसी वर्ष शुभ लग्न की कितनी भी कमी दर्ज क्यों न करें विवाह की कुछ संख्या घट सकती है परंतु होगी तो अवश्य ही और यदि वे लागातार कुछ वर्षों तक शुभ लग्न की कमी दिखलाते रहें तो विवाह बिना लग्न के ही होते देखे जाएंगे।

Aaj ka shubh muhurat kitne baje hai

कहने का अभिप्राय यह है कि विधि-निषेध ओर कर्मकाण्ड से संबंधित ज्योतिषीय चर्चा जब भी हो उसका ठोस वैज्ञानिक आधार होना आवश्यक होगा अन्यथा उन नियमों की अवहेलना स्वतः युग के साथ होनी स्वाभाविक है। जब आजतक ग्रह-शक्ति निर्धारण और उनके प्रतिफलन काल से संबंधित ठोस सूत्र ज्योतिषियों को मालूम नहीं है तो मुहूर्त को लेकर तनाव में पड़ने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। जबतक फलित ज्योतिष को विकसित स्वरुप न प्रदान कर दी जाए यानि ग्रह की इस स्थिति का यह परिणाम होगा यह बात दावे से न कही जा सके तबतक ज्योतिषियों के अधूरे ज्ञान या संशय का लाभ जनता को मिलना चाहिए। अनावश्यक विधि निषेध से संबंधित नियमावलि से आमलोगों को कदापि परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

शादी के लिए कन्या पक्ष और वरपक्ष तैयार है सांसारिक दृष्टि से उसे अंजाम देने में सप्ताह भर का समय काफी है परंतु फिर भी विवाह नहीं हो पा रहा है इसका कारण यह है कि पंचांग में शुभ लगन का अभाव है। इस तरह सिर्फ वैवाहिक लग्न के संदर्भ में ही नहीं अपितु हर प्रकार के कार्यों में पंचांगों में दर्ज मुहूर्तों का अभाव आम जीवन में कई प्रकार की असुविधाओं को जन्म देता है जबकि विश्वासपूर्वक मुहूर्तों की उपयोगिता और प्रभाव को अभी कदापि सिद्ध नहीं किया जा सका है।

स्मरण रहे हर शुभ मुहूर्त का आधार तिथि नक्षत्र चंद्रमा की स्थिति योगिनी दिशा और ग्रहस्थिति के आधार पर किया गया है किन्तु ग्रह-शक्ति के सबसे बड़े आधार ग्रह की विभिन्न प्रकार की गतियों के आधार पर मुहूर्तों का चयन नहीं हुआ है। अतः अभी तक के मुहूर्त पूर्ण विश्वसनीय नहीं हैं। अभी यह भी अनुसंधान बाकी ही है कि एक व्यक्ति के लिए सभी शुभ मुहूर्त शुभफल ही प्रदान करते हैं अतः कर्मकाण्ड से डरने की कोई आवश्यकता नहीं। विकसित विज्ञान का काम सभी व्यक्तियों के मन से भय को दूर कर मनुष्य को निडर बनाना है। .. और हमें उसी प्रयास में बने रहना चाहिए।

न तो एक व्यस्त डॉक्टर मुहूर्त देखकर रोगी का ऑपरेशन करता है और न ही एक व्यस्त वकील मुहूर्त देखकर अपने मुकदमें की पैरवी करता है न ही एक कुशल वैज्ञानिक मुहूर्त देखकर उपग्रह या मिसाइल का प्रक्षेपण करते हैं। जो अधिक फुर्सत में होते है वे ही मुहूर्त की तलाश में होते हैं या फिर जिनके आत्मविश्वास में थोड़ी कमी होती है वे ही मुहूर्त की चर्चा करते हैं। योजनाओं के अनुरुप हर प्रकार के संसाधन उपस्थित हो तो किसी भी व्यक्ति को यह समझ लेना चाहिए कि मुहूर्त स्वयं आकर हमारे सामने खड़ा है उसे ढूंढ़ने के लिए पंडित के पास जाने की आवश्यकता नहीं। ऐसी परिस्थिति उत्पन्न होने पर किसी भी व्यक्ति को अपने काम में विलम्ब नहीं करना चाहिए। यह अलग बात हे कि जब योजना को स्वरुप देने में संसाधन की कमी हो रही हो कई तरह की बाधाएं उपस्थित हो रही हो तो ऐसी परिस्थिति में ज्योतिषी से यह सलाह लेने की बात हो सकती है कि निकट भविष्य में कोई शुभ मुहूर्त उसके जीवन में है या नहीं ?   

अमेज़ॉन के किंडल में गुरूवर विद्या सागर महथा जी की  फलित ज्योतिष : कितना सच कितना झूठ को पढ़ने के लिए  इस लिंक पर क्लिक करें !

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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