Jyotish 12 bhav
(jyotish aur bhav)
गणित ज्योतिष में आसमान के पूरब से पश्चिम की ओर जाती गोलाकार 360 डिग्री की पट्टी को बारह भागों में बांट दिया जाता है। इन बारह भागों को हम राशि कहते हैं , इन राशियों में व्यक्ति के जन्म के समय जो राशि उदित होती है , उसे लग्न राशि कहते हैं।
प्रथम भाव ज्योतिष (Jyotish me pahla bhav)
- लग्नराशि जन्मकुंडली का प्रथम भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की शारीरिक स्थिति या उसके आत्मविश्वास के बारे मे अनुमान किया जाता है। बचपन में स्वास्थ्य तथा बड़े होने पर व्यक्तिगत गुणों से व्यक्तित्व बनता है और आत्मविश्वास में वृद्धि या कमी होती है.
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का द्वितीय भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की आर्थिक या पारिवारिक स्थिति के बारे में अनुमान किया जाता है। बचपन में पारिवारिक स्थिति, बड़े होने पर अपनी हैसियत इससे देखी जाती है.
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का तृतीय भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की भाई बहन की स्थिति या शक्ति के बारे में अनुमान किया जाता है।बचपन में इससे अपने भाई बहन तथा बड़े होने पर साथ देनेवाले या अनुसरनकर्ता भी इसी भाव से देखे जाते हैँ.
चतुर्थ भाव ज्योतिष (Jyotish me chautha bhav)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का चतुर्थ भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की माता की स्थिति या हर प्रकार की संपत्ति के बारे मे अनुमान किया जाता है। सुख शान्ति प्रदान करने के लिए बचपन में माँ की गोद, बड़े होने पर अपनी संपत्ति और स्थायित्व इस भाव से देखे जाते हैँ.
पंचम भाव ज्योतिष (Pancham bhav jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का पंचम भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की बुद्धि की स्थिति या संतान के बारे मे अनुमान किया जाता है। बचपन में आईक्यू और बड़े होने पर पढ़ाई, लिखाई, संतान की स्थिति इसी से देखी जाती है.
षष्ठ भाव ज्योतिष (Shashth bhav Jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का षष्ठ भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की रोग प्रतिरोधक या बड़े होने पर किसी प्रकार के झंझट से जूझने की शक्ति या प्रभाव के बारे मे अनुमान किया जाता है।
सप्तम भाव ज्योतिष (Saptam bhav jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का सप्तम भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक के पारिवारिक सुख और बड़े होने पर दाम्पत्य जीवन की स्थिति के बारे मे अनुमान किया जाता है।
अष्टम भाव ज्योतिष (Ashtam bhav in jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का अष्टम भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की जीवतता या बड़े होने के बाद जीवनशैली या उम्र के बारे मे अनुमान किया जाता है।
नवम भाव ज्योतिष (Bhagya bhav jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का नवम् भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक की भाग्य की स्थिति या बड़े होने के बाद धर्म के प्रति उसके दृष्टिकोण के बारे मे अनुमान किया जाता है।
दशम भाव ज्योतिष (Jyotish dasham bhav)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का दशम् भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक के पिता और बड़े होने के बाद पद प्रतिष्ठा की स्थिति या उसके सामाजिक और राजनीतिक स्थिति के बारे मे अनुमान किया जाता है।
एकादश भाव ज्योतिष (Ekadash bhav Jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का एकादश भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक के लाभ बड़े होने के बाद उसके प्रति संतोष या लक्ष्य के बारे मे अनुमान किया जाता है।
द्वादश भाव ज्योतिष (Dwadash bhav Jyotish)
- इसके बाद उदित होनेवाली राशि जन्मकुंडली का द्वादश भाव होता है। इसी भाव के स्वामी ग्रह या इस भाव में स्थित ग्रहों के हिसाब से बालक के खर्च या बाहरी संदर्भों की स्थिति या विदेश यात्रा के बारे मे भी अनुमान किया जाता है।
यूं तो परंपरागत ज्योतिष में बालक के विभिन्न संदर्भों के बारे में अनुमान करने के लिए ग्रहों की शक्तियों को निकालने के कई सूत्र दिए गए हैं , पर गत्यात्मक ज्योतिष उनकी सहायता नहीं लेता और विभिन्न भावों के स्वामी ग्रह या उन भावों में स्थित ग्रहों की 'गत्यात्मक शक्ति' और 'स्थैतिक शक्ति' के द्वारा इसका आकलन करता है । ज्योतिष के क्षेत्र में नया प्रयोग है, जो काफी सटीक है।
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