कुंडली के छठे भाव की परिभाषा

 

6th house in Astrology in Hindi

ज्योतिष में लग्न निर्धारण के बाद कुंडली के विभिन्न भावों का बहुत महत्व है। इस ब्लॉग के कुंडली भाव सेक्शन में आप सभी भावों के बारे में पढ़ रहे हैं।  मानव जीवन के छठे पक्ष के रुप में जीवन में आनेवाले हर प्रकार के झंझट और उसे हल करने की क्षमता को महत्वपूर्ण माना गया है । कुंडली में मनुष्य का छठा भाव किसी प्रकार के झंझट से संबंधित होता है। ये झंझट कई प्रकार की हो सकतीं हैं। बचपन में शरीर में किसी प्रकार की बीमारी झंझट का अहसास देती है। बड़े होने के बाद रोग , ऋण और शत्रु -- तीन प्रकार के झंझटों से इंसान को जूझना पड़ सकता है।

यही कारण है कि योगकारक ग्रहों का विज्ञान नामक में छठे भाव के स्वामी या उसमे मौजूद ग्रहों को -3 अंक दिए गए हैं। लेकिन योगकारकता के हिसाब से कम ही सही पर गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति के हिसाब से यह भाव भी महत्वपूर्ण हो सकता है। गत्यात्मक और स्थैतिक शक्ति को समझने के लिए  गत्यात्मक ज्योतिष ने गणित ज्योतिष के अद्भुत गत्यात्मक सूत्र दिए हैं। उसी आधार पर गत्यात्मक ज्योतिष के अनुसार कुंडली देखने का तरीका भी बताया है। 

6th house in Astrology in Hindi

परंपरागत ज्योतिष में छठे भाव को लेकर ऋणात्मक चिंतन का कारण भी स्पष्ट है। इन तीनों संदभो को हम प्राचीन काल के अनुसार देखे तो हम पाएंगे कि इन तीनों ही स्थितियों में मनुष्य का जीवन बहुत ही कष्टपूर्ण हो जाता था। यदि वह किसी प्रकार के रोग से ग्रसित हो जाता था तो उसका अच्छी तरह इलाज नहीं हो पाता था। उसकी मौत लगभग निश्चित ही होती थीं। इलाज के बाद भी वह जीवनभर कमजोर ही बना होता था। स्वास्थ्य की कमजोरी उसके जीवन को विकास नहीं दे पाती थी ,क्योंकि उस समय सफलता प्राप्त करने के लिए शारीरिक मजबूती का विशेष महत्व था।

इस कारण सबकी ही तरह इन सबकी भी वस्तुनिष्ठ विशेषताओं की चर्चा कर पाना फलित ज्योतिष में संभव नहीं है। किसी व्यक्ति के जीवन में कैसे झंझट आएंगे ? रोगग्रस्तता होगी तो कौन सी होगी ? ऋणग्रस्तता होगी तो कितने की होगी ? शत्रुता किससे होगी ? ग्रहों के हिसाब से अन्य भावों की कमजोरी या मजबूती को , छठे भाव के स्वामी या उनमे स्थित ग्रहों को देखते हुए भले ही देखते हुए भले ही झंझट के किस्म का और उससे जीत का आकलन किया जा सकता है , पर परिमाणात्मक आकलन तो संभव ही नहीं है।

Loan due to 6th house weakness

इसी प्रकार ऋणग्रस्तता प्राचीन समाज के लिए अभिशाप थी। लोग जो कुछ भी खेत में उगा लेतें , खाकर अपना भरण-पोषण करते। अन्य किसी जरुरत के लिए वे वस्तु विनिमय प्रणाली का उपयोग करते। किन्तु अन्य किसी जरुरत के लिए कभी उन्हें ऋण लेने की आवश्यकता पड़ गयी तो उन्हें महाजन के पास जाना होता था । ऐसी हालत में उनके चंगुल में इनकी कई पीढ़ियॉ फंस जाती थी , क्योंकि उस समय ऋण लेने में ब्याज की दर बहुत अधिक होती थी । चक्रवृद्धि ब्याज के रुप में मूलधन बढ़ता ही जाता था और चाहकर भी कोई इस चंगुल से निकल नहीं पाता था , कभी कभी कई पीढियां इस दलदल में फंसी रह जाती थी।

योगकारक ग्रह

Enemy due to 6th house weakness

इसी प्रकार उस समय शत्रु की स्थिति भी बहुत बुरी होती थीं। आज की तरह कमाई के लिए लोग अलग-अलग साघनों पर निर्भर नहीं रहते थे। साथ ही मिल-बैठकर किसी समस्या का समाधान नहीं निकाला जाता था। किसी व्यक्ति से शत्रुता बढ़ाना गंभीर स्थिति में पहुंचना होता था। मार-पीट में लोग फंसे ही रह जाते थे और जीवनभर की कमाई मुकदमों में चल जाती थी। यही कारण हैं कि प्राचीनकाल में लोग रोग,ऋण शत्रु जैसे झंझटों में पड़ना नहीं चाहते थे। इसलिए हमारे पुराने ज्योतिषियों ने भी इन भावों में ग्रहों की स्थिति को बुरा माना होगा।

positivity of 6th house astrology

किन्तु आज समाज की स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। काफी असाध्य रोगों पर काबू पाया जा चुका है। इन रोगों से ग्रसित होने पर झंझट भले ही बढ़े , किन्तु जान संकट में नहीं पड़ती है। इसलिए छठे भाव में ग्रहों की स्थिति अच्छी हो तो उसे बुरा नहीं समझना चाहिए। गत्यात्मक दशा पद्धति के अनुसार यदि ग्रह छठे भाव में गतिज और स्थैतिक उर्जा से संपन्न हो तो जातक किसी भी प्रकार के झंझट को सुलझाने की शक्ति रखता है। वह सफल डॉक्टर होकर रोगी का उपचार कर सकता है ,न्यायाधीश होकर झगड़ों को सुलझा सकता है और प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी हो सकता है।


आधुनिक युग में ऋणग्रस्तता की परिभाषा भी बदल गयी है। आज किसी भी व्यवसायी को उचित दर पर ऋण प्राप्त हो जाता है। यदि वह सही व्यवस्थापक हो तो अपनी पूंजी से कई गुणा अधिक पूंजी प्राप्त कर उसका प्रवाह कर सकता है। इस प्रकार उसकी कमाई ब्याज-दर से बहुत अधिक होती है और व्यवसायी अपने व्यवसाय में निरंतर वृद्धि महसूस करता है। इसलिए अभी ऋणग्रस्तता की मात्रा से व्यक्ति के स्तर की पहचान होती है। जो 50000 के ऋण से ग्रस्त है वह छोटा व्यवसायी तथा जो 5000000 के ऋण से ग्रस्त है वह बड़ा व्यवसायी है ।

6th house in astrology in Hindi

इसलिए कहा जा सकता है कि छठे भाव में स्थित गत्यात्मक और स्थैतिक शक्तिसंपन्न ग्रह जातक के सफल व्यवसायी और प्रभावशाली व्यक्ति होने की सूचना देते हैं। छठा भाव प्रतियोगिता से संबंधित भी होता है इस कारण प्रतियोगिता में भी सफलता की उम्मीद ऐसे ग्रहों से की जा सकती है। हॉ यदि ग्रह गत्यात्मक या स्थैतिक दृष्टि से कमजोर हो तो अवश्य कोई बीमारी या कुछ झंझटों में फंसे होने की स्थिति बन सकती है। ऐसा केवल उस ग्रह के दशाकाल में ही होता है जो छठे भाव मे कमजोर होकर विद्यमान होते हैं।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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