13 मई को अपने एक आलेख में मैने 17 मई को बृहस्पति और चंद्र की खास स्थिति के फलस्वरूप एक महीने तक बृहस्पति के अधिक प्रभावी होने की चर्चा करते हुए लेख के आरंभ में लिखा था.....
"16 से 19 मई 2009 को बृहस्पति ग्रह की सूर्य , पथ्वी और चंद्र से एक खास स्थिति बनेगी। 17 और 18 मई को पूर्वी क्षितिज पर 1 बजे रात्रि के आसपास बृहस्पति और चंद्र का लगभग साथ साथ उदय होगा , इसे आसमान में भोर होने तक कभी भी देखा जा सकता है। जहां 3 बजे भोर तक इन्हें पूर्वी क्षितिज पर 30 डिग्री उपर देखा जा सकता है , वहीं 5 बजे सुबह 60 डिग्री उपर। वैसे तो इस प्रकार का संयोग हर महीने होता है , पर 'गत्यात्मक ज्योतिष' के हिसाब अर्द्धचंद्र के साथ बननेवाली बृहस्पति की यह युति खास है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' के अनुसार इस दिन से 19 जून 2009 तक जहां बृहस्पति ग्रह की गत्यात्मक उर्जा में कमी आएगी , वहीं इसकी स्थैतिक उर्जा में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती चली जाएगी। 16 मई से 19 जून 2009 तक बृहस्पति ग्रह की यह स्थिति जनसामान्य के सम्मुख विभिन्न प्रकार के कार्य उपस्थित करेगी। "
पुन: आलेख के अंत को देखें .....
"इसके अलावे गुरू बृहस्पति धर्म और ज्ञान से भी जुडा है , इसलिए धार्मिक क्रियाकलाप भी इस एक महीनों में जमकर होते हैं। पर जैसा कि आज के युग में धर्म का रूप भी वीभत्स हो गया है , इसलिए युग के अनुरूप ही दो चार वर्षों से बृहस्पति चंद्र की इस युति के फलस्वरूप यत्र तत्र धार्मिक और सांप्रदायिक माहौल को भडकते हुए भी पाया गया है । आइए ,'गत्यात्मक ज्योतिष'के साथ गुरू बृहस्पति से प्रार्थना करें कि वे अपने शुभत्व को ही बनाए रखें और लोगों के समक्ष कल्याणकारी वातावरण ही बनाए रखें। "
और इसी मध्य हुए पंजाब का माहौल देखिए , इससे आगे कुछ कहकर मुझे झंझट नहीं बढाना , पर आपकी अवश्य सुनना चाहूंगी।
"16 से 19 मई 2009 को बृहस्पति ग्रह की सूर्य , पथ्वी और चंद्र से एक खास स्थिति बनेगी। 17 और 18 मई को पूर्वी क्षितिज पर 1 बजे रात्रि के आसपास बृहस्पति और चंद्र का लगभग साथ साथ उदय होगा , इसे आसमान में भोर होने तक कभी भी देखा जा सकता है। जहां 3 बजे भोर तक इन्हें पूर्वी क्षितिज पर 30 डिग्री उपर देखा जा सकता है , वहीं 5 बजे सुबह 60 डिग्री उपर। वैसे तो इस प्रकार का संयोग हर महीने होता है , पर 'गत्यात्मक ज्योतिष' के हिसाब अर्द्धचंद्र के साथ बननेवाली बृहस्पति की यह युति खास है। 'गत्यात्मक ज्योतिष' के अनुसार इस दिन से 19 जून 2009 तक जहां बृहस्पति ग्रह की गत्यात्मक उर्जा में कमी आएगी , वहीं इसकी स्थैतिक उर्जा में दिन प्रतिदिन वृद्धि होती चली जाएगी। 16 मई से 19 जून 2009 तक बृहस्पति ग्रह की यह स्थिति जनसामान्य के सम्मुख विभिन्न प्रकार के कार्य उपस्थित करेगी। "
पुन: आलेख के अंत को देखें .....
"इसके अलावे गुरू बृहस्पति धर्म और ज्ञान से भी जुडा है , इसलिए धार्मिक क्रियाकलाप भी इस एक महीनों में जमकर होते हैं। पर जैसा कि आज के युग में धर्म का रूप भी वीभत्स हो गया है , इसलिए युग के अनुरूप ही दो चार वर्षों से बृहस्पति चंद्र की इस युति के फलस्वरूप यत्र तत्र धार्मिक और सांप्रदायिक माहौल को भडकते हुए भी पाया गया है । आइए ,'गत्यात्मक ज्योतिष'के साथ गुरू बृहस्पति से प्रार्थना करें कि वे अपने शुभत्व को ही बनाए रखें और लोगों के समक्ष कल्याणकारी वातावरण ही बनाए रखें। "
और इसी मध्य हुए पंजाब का माहौल देखिए , इससे आगे कुछ कहकर मुझे झंझट नहीं बढाना , पर आपकी अवश्य सुनना चाहूंगी।