कुछ दिनों पूर्व एक उलझा हुआ सवाल मिला था , कहते हैं कि नियति निर्धारित है और उसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता. तो क्या स्त्री की नियति भी निश्चित है जो उसे सदियों से भोग्या बना कर रख दिया गया है? पुरुष वर्ग ने ही सारी किस्मत का…
पिछले वर्ष मेरे जन्मदिन पर बडे बेटे ने मेरे लिए अंग्रजी में एक पोएट्री लिखी थी , जो मैने अपने ब्लाग पर प्रकाशित कर तो दिया था , पर बेटे से एक वादा भी करवाया था कि वह मुझे अगले वर्ष हिन्दी में कविता लिखकर देगा। मात्र 10 दिनों …