कुछ दूर से लौटकर दरवाजे का लॉक क्‍या आप भी चेक करते हैं ??

जब आप अपने घर का ताला लगाकर कहीं बाहर जाते हैं , थोडी ही देर में आपको इस बात का संशय होता है कि आपने दरवाजे का ताला अच्‍छी तरह बंद नहीं किया है। थोडी दूर जाने के बाद भी आप इस बात के प्रति आश्‍वस्‍त होने के लिए घर लौटते हैं और जब चेक करते हैं , तो पता चलता है कि यह बेवजह का संशय था। कभी भी आपसे गलती नहीं हुई होती है , फिर भी आप कभी निश्चिंत नहीं रह पाते हैं , बार बार इसी तरह का मौका आता रहता है। मनोचिकित्‍सक बताते हैं कि यहीं से आपका मानसिक तौर पर अस्‍वस्‍थ होने की शुरूआत हो जाती है। पर क्‍या यह सच है ?

 वैसे तो हमारे शरीर के सारे अंग मस्तिष्‍क के निर्देशानुसार काम करते हैं , पर मैने अपने अनुभव में पाया है कि यदि शरीर का कोई अंग लगातार एक काम के बाद दूसरा काम करते जाए तो उसका अंग वैसा करने को अभ्‍यस्‍त हो जाता है। ऐसी हालत में कुछ दिनों में बिना दिमाग की सहायता के स्‍वयमेव वह एक काम के बाद दूसरा काम करने लगता है , जब मस्तिष्‍क की जरूरत हो तभी उसे पुकारता है , जिस प्रकार एक नौकर मेहनत का हर काम क्रम से कर सकता है , पर जहां दिमाग लगाने की बारी आती है , तो मालिक को पुकार लिया करता है।

इस बात को मैं एक उदाहरण की सहायता से स्‍पष्‍ट कर रही हूं। मैं अक्‍सर रसोई घर में काम करते करते अपने चिंतन में खो जाया करती हूं। पर इसके कारण आजतक कभी दिक्‍कत आते मैने नहीं महसूस किया जैसे कि चाय में नमक हल्‍दी पड गयी या सब्‍जी में चीनी पत्‍ती। सब्‍जी , दाल या चाय बनाने के वक्‍त मैं कहीं भी खोयी रहूं , हाथ में अपने आप तद्नुसार नमक , हल्‍दी , चीनी या चायपत्‍ती का डब्‍बा आ जाता है , पर इन्‍हें डालने के वक्‍त मेरा मस्तिष्‍क वापस आता है , क्‍यूंकि सबकुछ अंदाज से डालना आवश्‍यक है। यहां तक कि जिस बर्तन में मैं अक्‍सर चाय बनाती हूं , उसमें यदि किसी दूसरे उद्देश्‍य के लिए पानी गरम करने का विचार आ जाए तो उसे गैस पर रखने के बाद चाय बनाने के क्रम में पानी मापने के लिए रखा एक गिलास स्‍वयं हाथ में आ जाता है। तब ध्‍यान जाता है कि आज पानी मापना थोडे ही है , अंदाज से डालना है।

मैने एक अविकसित मस्तिष्‍क की लडकी को भी देखा है , जो घर का सारा काम कर लेती है। चूंकि वह स्‍कूल नहीं जाती थी , उसकी मम्‍मी उससे एक के बाद दूसरा काम करवाती रहीं और वह बिना दिमाग के भी उन कामों को करने की अभ्‍यस्‍त हो गयी है। झाडू लगाने , पोछा करने , बरतन धोने और कपडे धोने में उसे कोई दिक्‍कत नहीं , लेकिन जब किसी चीज का अंदाज करना हो तो वह नहीं कर पाती और उसके लिए अपनी मम्‍मी पर आश्रित रहती है। मुझे उसके काम को देखकर अक्‍सर ताज्‍जुब होता रहता है ।

जब हमलोग बाहर निकलते हैं , तो हमारा मुख्‍य ध्‍यान हमारे बाहर के कार्यक्रम पर होता है । कमरे का ताला बंद करते करते हमारा हाथ उसका अभ्‍यस्‍त हो चुका है , इसलिए बिना मस्तिष्‍क की सहायता से वह ताला बंद कर लेता है और हम आगे बढ जाते हैं। थोडी दूर जाने के बाद जब हम अपने चिंतन से बाहर निकलते हैं तो हम घर के दरवाजे पर ताले के बंद होने के प्रति आश्‍वस्‍त नहीं रह पाते , क्‍यूंकि हमारे मस्तिष्‍क को यह बात बिल्‍कुल याद नहीं। हम पुन: लौटकर आश्‍वस्‍त होना चाहते हैं कि ताला अच्‍छी तरह बंद है या नहीं ? इसलिए मेरे ख्‍याल से एक बार ऐसा करना एक मानसिक बीमारी नहीं , बिल्‍कुल सामान्‍य बात है। अब बार बार भी लोग ऐसा करते हों तो इसके बारे में मनोवैज्ञानिकों का कहना माना जा सकता है ।


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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