google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 सांप्रदायिक सौहार्द

सांप्रदायिक सौहार्द

हमारे समाज में ब्‍लागिंग के बारे में बहुत गलतफहमियां हैं , लोग ऐसा मानते हैं कि हमलोग व्‍यर्थ में अपना समय जाया करते हैं, पर मुझे ऐसा नहीं महसूस होता। आज हिन्‍दी ब्‍लॉगिंग में किसी क्षेत्र के विशेषज्ञों की संख्‍या नाममात्र की है , फिर भी मुझे ब्‍लोगरों के अनुभवो का पढना अच्‍छा लगता है। जहां एक ओर उनका आलेख आम जीवन से जुडा होता है , वहीं कई प्रकार की टिप्‍पणियां भी पोस्‍ट के हर पक्ष को उजागर करने में समर्थ होती है। यही कारण है कि पत्र  पत्रिकाओं की तुलना में ब्‍लॉग की प्रविष्टियों को पढना मुझे अच्‍छा लगता है।कौन कहता है कि हम सारे ब्‍लॉगर मिलकर समाज को , देश को , राष्‍ट्र को नहीं बदल सकते ,  हमारे हिंदी ब्‍लॉग जगत में आज के भारतवर्ष की सबसे बडी समस्‍या सांप्रदायिक मनमुटाव को दूर कर सौहार्द बनाने की कोशिश में इतने पोस्‍ट लिखे गए हैं, सभी लेखकों को शुभकामनाएं !!

कितने धर्म है मेरे देश में ,
पर हम अकेले अधर्म को
नहीं हरा पा रहे हैं।
क्‍यूंकि यहां सभी अपनी अपनी ढपली बजा रहे हैं।
अपनी अपनी खिचडी पका रहे हैं।।

लोकसंघर्ष की पोस्‍ट 
हिन्दी में दलित-साहित्य का इतिहास साहित्य की जनतांत्रिक परम्परा तथा भाषा के सामाजिक आधार के विस्तार के साथ जुड़ा हुआ है। इसे सामंती व्यवस्था के अवसान, जो निश्चित ही पुरोहितवाद के लिए भी एक झटका साबित हुआ तथा समाज में जनतांत्रिक सोच के उदय, भले ही रूढ़िग्रस्त ही क्यों न हो, के साथ ही प्रजातांत्रिक शासन-व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण पड़ाव के रूप में भी देखा जा सकता है। 

हमारे गांव में सभी धर्मों के लोग थे, हिन्‍दू मुस्‍लिम, सिक्‍ख ईसाई जैन एक इंग्‍लैण्‍ड की वासी मेम भी थी । पूरा गांव उसे मेम के नाम से ही जानता था असली नाम कम से कम मुझे तो पता नहीं है । हरिजन भी थे, सफाई कर्मी भी थे कभी किसी के साथ न तो हमने कोई झगडा सुना न देखा । कहना अतिशयोक्‍ति न होगी कि हमारा गांव एक आदर्श गांव था ।

कवि राजेश चेतन जी का तीन रंग

हिन्दु मुस्लिम सिक्ख ईसाई

एक ट्रक पर सवार
कर रहे थे तिरंगे झण्डे पर विचार
हिन्दु ने कहा -
हम हैं गाँधी के बेटे लायक
अहिंसा के नायक
वन्देमातरम् के गायक
छोड़ चुके हैं केसर की घाटी
क्योंकि हमको प्यारी है भारत की माटी
हम हैं भारत पर कुरबान
इसलिये ये रंग केसरिया हमारी शान।




हिन्‍दी के संत कवियों की परंपरा में कदाचित् अंतिम थे बाबा मलूक दास , जिनका जन्‍म 1574 (वैशाख वदी 5 संवत 1631) कडा , इलाहाबाद , अब कौशाम्‍बी जनपद में कक्‍कड खत्री परिवार में हुआ था। मलूक दास गृहस्‍थ थे , फिर भी उन्‍होने उच्‍च संत जीवन व्‍यतीत किया। सांप्रदायिक सौहार्द के वे अग्रदूत थे। इसलिए हिन्‍दू और मुसलमान दोनो इनके शिष्‍य थे .. भारत से लेकर मकका तक। धार्मिक आडंबरों के आलोचक संत मलूकदास उद्दांत मानवीय गुणों के पोषक थे और इन्‍हीं गुणों को लौकिक और पारलौकिक जीवन की सफलता का आधार मानते थे। दया, धर्म , सेवा , परोपकार यही उनके जीवन के आदर्श थे। 


जहाँ तक जीवन में धर्म के महत्व का प्रश्न है तो मैं यह मानती हूँ कि धर्म से ज्यादा अध्यात्म जीवन के लिए जरुरी है।


भारत में हिन्दु, मुस्लिम, ईसाई, सिक्ख धर्म और फिर इन धर्मों से जुड़ी हुई अनेक शाखाएँ हैं। भारत में चार हजार भाषाएँ हैं, जातियाँ हैं तो धर्म भी इतने ही हो सकते हैं क्योंकि धर्म का जाति से चोली-दामन का रिश्ता है। कैसे हैं ये धर्म? संकीर्ण विचारों से ग्रस्त, अनेकानेक मनगढ़न्त मान्यताओं व धारणाओं में कैद तथा सिर्फ अपने धर्माचरण के नियमों के प्रति प्रतिबद्ध। कार्ल मार्क्स ने सही कहा है कि “धर्म अफीम का नशा है”। 


राजश्री जी की कविताएं 'हमारा भारत'

हिन्दु, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई,

हम सब है यहाँ भाई-भाई,
इसलिए अनेकता में लोगों,
ने एकता यहाँ है पाई।
पर अब न जाने भारत को,
किसकी लगी है बुरी नज़र,
चारों ओर भारत के प्रांतों में,
मचा हुआ है अब कहर।


- भारत के इतिहास के अनुसार, आखिरी 100000 वर्षों में किसी भी देश पर हमला नहीं किया है।
- जब कई संस्कृतियों 5000 साल पहले ही घुमंतू वनवासी थे, भारतीय सिंधु घाटी (सिंधु घाटी सभ्यता) में हड़प्पा संस्कृति की स्थापना की।
- भारत का अंग्रेजी में नाम ‘इंडिया’ इं‍डस नदी से बना है, जिसके आस पास की घाटी में आरंभिक सभ्‍यताएं निवास करती थी। आर्य पूजकों में इस इंडस नदी को सिंधु कहा।
- पर्शिया के आक्रमकारियों ने इसे हिन्‍दु में बदल दिया। नाम ‘हिन्‍दुस्‍तान’ ने सिंधु और हीर का संयोजन है जो हिन्‍दुओं की भूमि दर्शाता है।

महाशक्ति समूह का 'जय गुरू नानकदेव'
गुरू नानक जी को पंजाबी, संस्‍कृत, एवं फारसी का ज्ञान था। बचपन से ही इनके अंदर आध्‍यत्‍म और भक्ति भावना का संचार हो चुका था। और प्रारम्‍भ से ही संतों के संगत में आ गये थे। विवाह हुआ तथा दो संतान भी हुई, किन्‍तु पारिवारिक माह माया में नही फँसे। वे कहते थे “जो ईश्‍वर को प्रमे से स्‍मरण करे, वही प्‍यारा बन्‍दा”। हिन्‍दू मसलमान दोनो ही इनके शिष्‍य बने। देश-विदेश की यात्रा की, मक्‍का गये। वहॉं काबा की ओर पैर कर के सो रहे थे।

हर मुसलमान आतंकवादी है क्या ? यहां पर आतंक को धर्म से जोड़ते है बहुत से लोग और मैंनें इस बात को कभी समर्थन नहीं किया है कि मुसलमान ही केवल आतंकवादी है .............कई लोगों का प्रश्न है कि फिर क्यों हर आतंकवादी मुसलमान क्यों है ? इसका सीधा सा उत्तर यह है कि हमारा नजरिया।।। हम क्या देखना चाहते हैं और क्या समझना चाहते हैं । बात मैं कश्मीर से जुड़ी हुई करता हूँ कि वहां पर मरने वाला मुसलमान क्या आतंकवादी होता है ? शायद इसका जवाब आप के पास हो ।

भारत विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों और सम्प्रदायों का संगम स्थल है। यहां सभी धर्मों और सम्प्रदायों को बराबर का दर्जा मिला है। हिंदु धर्म के अलावा जैन, बौद्ध और सिक्ख धर्म का उद्भव यहीं हुआ है। अनेकता के बावजूद उनमें एकता है। यही कारण है कि सदियों से उनमें एकता के भाव परिलक्षित होते रहे हैं। कदाचित् हमारा दृष्टिकोण उदारवादी है। हम सत्य और अहिंसा का आदर करते हैं। हमारे मूल्य समयातीत हैं जिन पर हमारे ऋषि-मुनियों और विचारकों ने बल दिया है। हमारे इन मूल्यों को सभी धर्मग्रंथों में स्थान मिला है। चाहे कुरान हो या बाइबिल, गुरू ग्रंथ साहिब हाक या गीता, हजरत मोहम्मद, ईसा मसीह, जोरोस्त्र, गुरूनानक, बुद्ध और महावीर, सभी ने मानव मात्र की एकता, सार्वभौमिकता और शांति की महायात्रा पर जोर दिया है। भारत के लोग चाहे किसी भी मजहब के हों, अन्य धर्मों का आदर करना जानते हैं। क्यों कि सभी धर्मों का सार एक ही है। इसीलिए हमारा राष्ट्र धर्म निरपेक्ष है।

पं डी के शर्मा वत्‍स जी द्वारा प्रेषित आलेख

सृ्ष्टि में जल प्रलय की ऐतिहासिक घटना तो संसार की समस्त सभ्‍यताओं में पाई जाती है। भाषा के बदलावों और लम्बे कालखंड के चलते भी आज तक इस घटना में कोई विशेष परिवर्तन नहीं हुआ है। सनातन धर्म में राजा मनु की यही कथा यहूदी, ईसाई और इस्लाम धर्म में "हजरत नूह की नौका" नाम से वर्णित की जाती है।

जावा, मलेशिया,इंडोनेशिया, श्रीलंका आदि विभिन्न देशों के लोगों ने अपनी लोक परम्पराओं में गीतों के माध्यम से इस घटना को आज भी जीवंत बनाए रखा है। इसी तरह धर्मग्रंथों से अलग हटकर भी इस घटना की जानकारी हमें विश्व के सभी देशों की लोक परम्पराओं के माध्यम से जानने को मिल जाती है।

मैं घोषणा करता हूं कि मैं एक हिंदू हूं, हिंदू इसलिए कि यह हमें स्वतंत्रता देता है, हम चाहें जैसे जिए. हम चाहें ईश्वर को माने या ना माने. मंदिर जाएं या नहीं जाएं, हम शैव्य बने या शाक्त या वैष्णव. हम चाहे गीता का माने या रामायण को, चाहे बुद्ध या महावीर या महात्मा गांधी मेरे आदर्श हों, चाहे मनु को माने या चार्वाक को. यही एक धर्म है जो एक राजा को बुद्ध बनने देता है, एक राजा को महावीर, एक बनिया को महात्मा, एक मछुआरा को वेदव्यास. मुझे अभिमान है इस बात का कि मैं हिंदू हूं. लेकिन साथ ही मैं घोषणा करता हूं कि मुस्लिम धर्म और ईसाई धर्म भी मेरे लिए उतने ही आदरणीय हैं जितना हिंदू धर्म. पैगम्बर मोहम्मद और ईसा मसीह मेरे लिए उतने पूज्य हैं जितने कि राम


मत, पन्‍थ या सम्‍प्रदाय: यह मनुष्‍य का अपना बनाया हुआ 'मत' है जिसे हम मत, मज़हब, पन्‍थ तथा सम्‍प्रदाय आदि कह सकते हैं परन्‍तु इन को 'धर्म' समझना अपनी ही मूर्खता का प्रदर्शन करना है। हिन्‍दू, मुस्‍िलम, सिक्‍ख, ईसाई, जैन, बौध, इत्‍यादि सब मत, मज़हब, सम्‍प्रदाय हैं और जो लोग (तथाकथित साधु, सन्‍त, पीर, फ़कीर, गुरु, आचार्य, महात्‍मादि) मतमतान्‍तरों पर 'धर्म' की मुहर लगाकर लागों के समक्ष पेश करते हैं और प्रचार-प्रसार करते हैं वे बहुत बड़ी ग़लती करते हैं तथा पाप के भागी बनते हैं।


पाखण्‍ड क्‍या है? धर्म की दृष्‍िट में झूठ और फ़रेब का दूसरा नाम पाखण्‍ड है। जो वेद विरुद्ध है, सत्‍य के विपरीत है और प्रकृति नियमों के‍ विपरीत है – ऐसी बातें करना या मानना पाखण्‍ड है। धर्म के नाम पर अधर्म फैलाना या धर्म की आढ़ में, ऐषणाओं (पुत्रेषणा, वित्तेषणा और लोकेषणा) की पूर्ति के लिये, दूसरों से ढौंग करना/कराना, फरेब करना/कराना, धोखाधड़ी करना/कराना, अपने शर्मनाक कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिये पूजा के योग्‍य देवी-देवताओं तथा महापुरुषों (भगवानों) के शुद्ध-पवित्र जीवन को कलंकित करना और स्‍वरचित मनघड़त कहानियों के माध्‍यम से उनकी लाज उछालना और कलंकित करना आदि - इत्‍यादि 'पाखण्‍ड' या 'पोपलीला' कहाता है। उपरोक्‍त के अतिरिक्‍त धर्म का ग़लत ढंग से प्रचार-प्रसार करना तथा स्‍वार्थ पूर्ति हेतु जन-साधारण की भावनाओं से खिलवाड़ कर उन्‍हें ग़लत मार्ग दिखाना भी 'पाखण्‍ड' है। 'मन्‍त्र, यन्‍त्र, तन्‍त्र' का अनर्थ कर, ग़लत अर्थ निकालकर एवं ग़लत प्रयोग कर भोली-भाली जनता को लूटना आदि पाखण्‍ड की श्रेणी में आते हैं।



आज मैंने सोचा

क्यों न कर लिया जाय धर्म परिवर्तन !
परिवर्तित कर लेने से धर्म
सफल हो सकता है जीवन ।

हिंदू धर्म में मज़ा नही है ,
देवी देवताओं का पता नही है!
कितने यक्ष हैं कितने देवता ,
इनकी तो कोई थाह नही है !

कॉलेज की किताबें कम नही ,
फिर वेद पुराण पढने का समय कहाँ ?
ब्रह्मचर्य का पालन कर के
बनना नहीं है मुनिदेव !


 हिन्दु कौन है ? हिन्दु शब्द की व्याख्या क्या है ? इस पर अनेक बार काफी विवाद खड़े किये जाते हैं, ऐसा हम सभी का सामान्य अनुभव है। हिन्दु शब्द की अनेक व्याख्यायें हैं, किन्तु कोई भी परिपूर्ण नहीं है। क्योंकि हरेक में अव्याप्ति अथवा अतिव्याप्ति का दोष है। किन्तु कोई सर्वमान्य व्याख्या नहीं है, केवल इसीलिये क्या हिन्दु समाज के अस्तित्व से इन्कार किया जा सकेगा ? मेरी यह मान्यता है कि हिन्दु समाज है और उस नाम के अन्तर्गत कौन आते हैं, इस सम्बन्ध में भी सभी बन्धुओं की एक निश्चित व सामान्य धारणा है, जो अनेक बार अनेक प्रकारों से प्रकट होती है। कुछ वर्ष पूर्व सरकार ने 'हिन्दु कोड' बनाया। उसे बनाने में पं. नेहरू तथा डॉ. आम्बेडकर आदि अगुवा थे। यहां के बहुसंख्य समुदाय के लिये यह कोड लागू करने के विचार से अन्ततोगत्वा उन्हें इस कोड को 'हिन्दु कोड' ही कहना पड़ा तथा वह किन लोगों को लागू होगा, यह बताते समय उन्हें यही कहना पड़ा कि मुसलमान, ईसाई, पारसी तथा यहुदी लोगों को छोड़कर अन्य सभी के लिये-अर्थात् सनातनी, आर्य समाजी, जैन, सिक्ख, बौद्ध-सभी को यह लागू होगा। आगे चलकर तो यहां तक कहा है कि इनके अतिरिक्त और जो भी लोग होंगे, उन्हें भी यह कोड लागू होगा। 'हमें यह लागू नहीं होता' यह सिद्ध करने का दायित्व भी उन्हीं पर होगा।

हाँ....मैं, सलीम खान हिन्दू हूँ !!!

हिंदू शब्द अपने आप में एक भौगोलिक पहचान लिए हुए है, यह सिन्धु नदी के पार रहने वाले लोगों के लिए इस्तेमाल किया गया था या शायेद इन्दुस नदी से घिरे स्थल पर रहने वालों के लिए इस्तेमाल किया गया था। बहुत से इतिहासविद्दों का मानना है कि 'हिंदू' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अरब्स द्वारा प्रयोग किया गया था मगर कुछ इतिहासविद्दों का यह भी मानना है कि यह पारसी थे जिन्होंने हिमालय के उत्तर पश्चिम रास्ते से भारत में आकर वहां के बाशिंदों के लिए इस्तेमाल किया था इसी कारण भारत के कई विद्वानों और बुद्धिजीवियों का कहना है कि 'हिन्दु शब्द' के इस्तेमाल को धर्म के लिए प्रयोग करने के बजाये इसे सनातन या वैदिक धर्म कहना चाहिए. स्वामी विवेकानंद जैसे महान व्यक्ति का कहना है कि "यह वेदंटिस्ट धर्म" होना चाहिए| इस प्रकार भारतवर्ष में रहने वाले सभी बाशिंदे हिन्दू हैं, भौगोलिक रूप से! चाहे वो मैं हूँ या कोई अन्य |
अगर मेरे शहर मे आग लगेगी तो जलूंगा मै और मेरे भाई लोग्।सबकी चिता की राख पर रोने वाले रूदाली लोग उसकी आंच पर अपनी राजनैतिक रोटी सेकेंगे।उस समय किसी को बचाने के लिये कथित धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार और कथित मानवाधिकारवादी नही होंगे।बाद मे हम अपने हाथ देखेंगे तो उस पर लगे खून के निशान हम तमाम उम्र जीने नही देंगे।तब मुझे सत्तार उर्फ़ रज़्ज़ू जो हमारे लिये राजेन्द्र है माफ़ नही करेगा?उसकी बहन मेरी कलाई पर राखी बांधने से पहले मेरा हाथ काट लेने को सोचेगी।मै ये सब कहानी किस्से नही गढ रहा हूं।कभी भी आना रायपुर की मौधापारा मस्ज़िद के ठीक सामने रहता है आप लोगो का सत्तार।उसके घर जाकर आवाज़ लगाना राजेन्द्र ,राजेन्द्र। अगर अम्मा घर पर हुई तो अन्दर से ही कहेगी नही है बेटा राजेन्द्र घर पर्।सभी पाठको से क्षमा चाह्ते हुये कि इस घटिया मामले पर मैने पोस्ट क्यो लिख दी।



अपने देश में आजादी के बाद से हिन्दु और मुसलमान को लेकर विवाद होता रहा है। हर कोई बस अपने धर्म को ही बेहतर बताने की कोशिश में बरसों से लगा है। ऐसे में अपने देश में ही ऐसी कर्इं मिसालें सामने आती रहतीं हैं जो सर्वधर्म सद्भाव के लिए एक मील का पत्थर होती हैं। ऐसी ही एक मिसाल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी देखने का मिलती है। ये मिसाल है एक ऐसे इंसान जीवन लाल साहू की जो पैदा तो हिन्दु धर्म में हुए हैं और हिन्दु हैं भी। लेकिन इनको जितना प्यार अपने हिन्दु धर्म से है उतना ही मुस्लिम धर्म ही नहीं बल्कि ईसाई और सिख धर्म से भी है। जीवन लाल जहां नवरात्रि में 9 दिनों तक उपवास रखते हैं, वहीं तीस दिनों का न सिर्फ रोजा रखते हैं बल्कि नमाज अदा करने के साथ-साथ ईद भी मनाते हैं। अभी बकरीद पड़ी तो वे अपने फिल्म सी शूटिंग छोड़कर 
बकरीद मनाने अपने घर रायपुर आए गए।




कोई भी धर्म देश और काल के अनुरूप एक आचरण पद्धति होता है। हर धर्म के पांच मूल सिद्धांत होते हैं, सत्‍य का पालन ,जीवों पर दया , भलाई , इंद्रीय संयम , और मानवीय उत्‍थान की उत्‍कंठा। लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि पूजा , नमाज , हवन या सत्‍संग कर लेने से उनका उत्‍थान नहीं होनेवाला। धर्म निरपेक्षता के नाम पर मुसलमानों और ईसाईयों के मुद्दे पर देश में अनावश्‍यक हंगामा खडा किया जाना और राम मंदिर तथा बाबरी मस्जिद जैसे सडे प्रसंगों को तूल देना हमारा धर्म नहीं है।आज इस राजनीतिक वातावरण के परिप्रेक्ष्‍य में 'हिन्‍दू' शब्‍द की जितनी परिभाषा राजनेताओं की ओर से दी जा रही हैं , उतनी परिमार्जित परिभाषा तो विभिन्‍न धर्म सुधारकों , विद्वानों , तथा चिंतकों ने कभी नहीं की होगी।


आखिर कुछ मुसलमान भारतीयता को स्वीकार क्यों नही करते!





हमारे गांव के सभी मुसलमान काका, चाचा और दादा किसी भी आंतकवादी संगठन को नही जानते और न ही वह रेडियों तेहरान, बगदाद या कराची सुनते है। और न तो वह इस्लाम के प्रसार-प्रचार या कट्टरता की बात करते है, वे सिर्फ़ अपने खेतों की, मवेशियों की, गांव की और अपने सुख व दुख की बात करते है। वो गंगा स्नान भी जाते है और धार्मिक आयोजनों में भी शरीक होते है, और ऐसा हिन्दू भी करते है, हम तज़ियाओं में शामिल होते है, उनके हर उतसव में भी और उनके पूज्यनीय मज़ारों पर भी फ़ूल चढ़ाते है। यकीन मानिए ये सब करते वक्त हम दोनों कौमों के किसी भी व्यक्ति को ये एहसास नही होता कि हम अलाहिदा कौमों से है और यही सत्य भी है। हमारे पूर्वज एक, भाषा एक, घर एक, गांव एक और एक धरती से है,  जो हमारा पोषण करती है। इसलिए मेरा अनुरोध है इन दोनों कौमों के कथित व स्वंभू लम्बरदारों से कि कृपया जहरीली बातें न करे और गन्दे इतिहास की भी नही जो हमारा नही था । सिर्फ़ चन्द अय्यास राजाओं और नवाबों और धार्मिक बेवकूफ़ों का था वह अतीत जिसके बावत वो अपनी इबारते लिखवाते थे और कुछ बेवकूफ़ इतिहासकार उसी इतिहास के कुछ पन्नों की नकल कर अपनी व्यथित और बीमार मनोदशा के तमाम तर्क देकर समाज़ में स्थापित होना चाहते है।
संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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