3 और 4 फरवरी को मौसम से संबंधित मेरे द्वारा की गयी भविष्यवाणी सही हुई या गलत , इसका फैसला करना आसान तो नहीं । मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ और राजस्थान में जैसा मौसम देखने को मिला , वो सामान्य नहीं था और इस कारण इन प्रदेशों में रहनेवाले लोग मेरी भविष्यवाणी को सही मान रहे हैं , तो दूसरी ओर दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उसके उसके आसपास के लोग पूरी धूप का आनंद लेते हुए इसे गलत भी कह रहे हैं। भविष्यवाणी पूर्ण तौर पर सही हुई , ऐसा मैं भी स्वीकार नहीं कर सकती , पर तिथि का प्रभाव दिख जाने से ग्रहयोग का प्रभाव तो दिख ही गया है और इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। ज्योतिष में शोध की अनंत संभावनाएं हैं और भविष्य को देखने का थोडा भी ज्ञान हमें असत्य से सत्य की ओर , अंधकार से प्रकाश की ओर तथा अनिश्चित से निश्चितता की ओर ले जा सकता है।
अभी तक ज्योतिष के पूर्ण विकास न होने के बहुत सारे कारण है , जिसमे से एक मुख्य कारण इसका जमाने के साथ परिवर्तनशील नहीं होना है और इसके लिए हम भारतीय पूरी तरह जिम्मेदार हैं , जिन्होने बाद में ज्योतिष में कोई रिसर्च ही नहीं किया। दूसरों ने कह दिया कि हमारी परंपराएं गलत हैं , ज्योतिष अंधविश्वास है तो हम आंख, कान सब मूंदे इसे गलत मानते जा रहे हैं, किसी के कुछ कहने का हमपर कोई असर ही नहीं हो रहा। वो तो भला हो हमारे पूर्वजों का , जिन्होने हमारी सामाजिक व्यवस्था इतनी चुस्त दुरूस्त बनायी थी, प्राचीन ज्ञान और परंपरा को संभाले जाने के लिए इतने सशक्त प्रयास हुए थे कि बुद्धिजीवी वर्ग के द्वारा लाख चाहते हुए भी उसे तोडा नहीं जा सका।
हां, विभिन्न मुद्दों को लेकर भ्रांतियां अवश्य बन गयी हैं, लेकिन व्यवस्था टस से मस नहीं हो रही, क्युंकि अधिकांश भारतीयों को, चाहे वो हिंदू हो या मुसलमान, सिक्ख हों या ईसाई या फिर किसी भी जाति के, अपनी सभ्यता और संस्कृति के बारे में उन्हें अच्छी तरह पता है। इससे अच्छी संस्कृति कहीं हो ही नहीं सकती, बस इसे सही दिशा देने की आवश्यकता है। विदेशी आक्रमणों के दौरान आयी लाख कमजोरियों के बावजूद भी हमारी परंपराओं को और ज्योतिष को जिन लोगो ने मात्र धरोहर की तरह भी संभाले रखा, उनका हमें शुक्रिया अदा करना चाहिए , क्यूंकि उन्हीं के कारण हम इनकी कमजोरियों को दूर कर इसे आगे बढा सकते हैं। पर इस देश से इन्हें उखाड फेकने में किसी को भी सफलता नहीं मिल सकती है। ज्योतिष को सत्य दिखलाते हुए प्रमाण हम आगे भी देते ही रहेंगे।
गूगल सर्च में 'आंधी बारिश' लिखकर न्यूज में सर्च करें, 12 जनवरी 2010 के आसपास के 13 खबर मिलेंगे और 4 फरवरी 2010 के एक स्थान पर 13 और दूसरे स्थान पर 3 खबर मिलेंगे, दोनो ही दिनों की तिथियों के बारे में मैने मौसम के लिए खास ग्रह स्थिति बतायी थी , तेज हवा और बारिश की संभावना जतायी थी और इतना ही 'गत्यात्मक ज्योतिष' को प्रमाणित करने के लिए काफी है। आनेवाले दिनों में बडे रूप में मौसम में अचानक बदलाव लाने वाली तिथियां 6 और 7 अप्रैल 2010 है , कृपया इसे अपनी डायरी में नोट कर लें।
गर्मियों के दिन होने के बावजूद ऐसी ही आंधी आएगी, आसमान में बादल बनेंगे और कहीं तेज बारिश होगी , तो कहीं छींटे भी पडेंगे। इस प्रकार का मौसम कम से कम 9 अप्रैल तक बना रह सकता है , वैसे 11 अप्रैल तक भी उम्मीद दिखती है। इस बार लांगिच्यूड या लैटिच्यूड की चर्चा नहीं कर रही हूं, क्यूंकि चक्रवाती तूफान कहीं से शुरू होकर कहीं तक भी फैल सकता है। इस तरह अप्रैल में एक बार फिर से 'गत्यात्मक ज्योतिष' के सिद्धांतों की परीक्षा की बारी आएगी। भला हाथ कंगन को आरसी क्या ??