google.com, pub-9449484514438189, DIRECT, f08c47fec0942fa0 बीटी बैगन की खेती क यत्र तत्र विरोध

बीटी बैगन की खेती क यत्र तत्र विरोध

हाल के दिनो में बीटी बैगन की खेती के विरोध में यत्र तत्र विरोध हो रहा है । ये बीटी बैगन क्‍या है , बता रहे हैं पवन कुमार अरविंद जी .....
बीटी बैगन- बैगन की सामान्य प्रजाति में आनुवंशिक संशोधन के बाद तैयार की गई नई फसल। आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें ऐसी फसले हैं, जिनके डीएनए में विशिष्ट बदलाव किए जाते हैं। अब तक ऐसे बदलाव सिर्फ प्राकृतिक हुआ करते थे, जिनके कारण आनुवंशिक बीमारियां होती हैं। लेकिन अब वैज्ञानिक भी प्रयोगशालाओं में आनुवंशिक बदलाव कर सकते हैं, ऐसे अधिकांश बदलाव जानलेवा होते हैं। हांलाकि, कुछ बदलाव जीव या फसलों में वांछित गुण भी पैदा कर सकते हैं। आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलों के जीन में इसी तरह के बदलाव किए जाते हैं। प्रायः फसलों की पैदावार और उनमें पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए ऐसा किया जाता है।

इस लेख में अरविंद कुमार शर्मा जी भी जैनेटिकली माडिफाइड (जीएम) फसलों के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं ....
जीईएसी की वैधानिकता को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा है कि लोगों के हित व भावनाओं का सम्मान करना भी सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। कृषि मंत्री शरद पवार की हरी झंडी के बावजूद जयराम रमेश देश भर में जन अदालत आयोजित कर इस मुद्दे पर लोगों की राय ले रहे हैं। उत्तरी क्षेत्र से लेकर दक्षिणी हिस्से में बीटी बैगन का विरोध हो रहा है। चंडीगढ़, कोलकाता, हैदराबाद, भुवनेश्वर, अहमदाबाद और नागपुर में आयोजित जन अदालतों में बीटी बैगन को लेकर उन्हें तीखा विरोध झेलना पड़ा है। इस दौरान जयराम रमेश को कहना पड़ा कि बीटी बैगन की व्यावसायिक खेती से पहले उसके सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
कुसुम ठाकुर जी भी इस आलेख में बी टी बैगन के बारे में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान कर रही हैं ....
पिछले साल अक्टूबर में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा बीटी बैंगन को किसानों तक पहुंचाने का निर्णय लेते ही कार्यकर्ताओं और किसानों ने इसके खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था। विरोध की वजह से सरकार को अपने निर्णय को स्थगित कर वैज्ञानिकों, कार्यकर्ताओं, किसानों और नागरिकों के साथ सार्वजनिक विचार-विमर्श शुरू करना पड़ा। इस खाद्य फसल बीज को किसानों में वितरित करने की मंजूरी जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी (जीईएसी) ने दी थी। वैसे तो दिल्ली सरकार सार्वजनिक विचार-विमर्श से दूर ही रही है, लेकिन सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखकर अपनी चिंताएं जताई हैं। एक रोचक बात यह है कि बीटी बैंगन का खुले आम विरोध करने वाले सभी राज्य गैर-कांग्रेस शासित हैं। दिल्ली इसमें एक मात्र अपवाद है।



इसी संदर्भ में अशोक पोडेय जी का यह आलेख भी ज्ञानवर्द्धक है .... 
जब कृषि, उपभोक्‍ता व पर्यावरण जैसे विभागों के मंत्री ही बीटी बैगन के पक्ष में इतनी जोरदार दलीलें दे रहे हों तो माना जाना चाहिए कि भारत में उसकी वाणिज्यिक खेती को मंजूरी अब औपचारिकता भर रह गयी है। कभी-कभी तो यह संदेह भी होने लगता है कि कहीं पहले ही पूरा मामला फिक्‍स तो नहीं कर लिया गया है। गौरतलब है कि केन्‍द्रीय पर्यावरण मंत्रालय की राष्ट्रीय खाद्य नियामक संस्था जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी पहले ही किसान संगठनों के कड़े विरोध के बावजूद बीटी बैगन को अंतिम मंजूरी दे चुकी है। कमेटी के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया था। कमेटी के सदस्य और जाने-माने वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने मॉलिक्यूलर प्रकृति का मुद्दा उठाया, लेकिन अन्य सदस्यों ने उसे खारिज कर दिया। अब यह मामला केन्‍द्र सरकार के पास है तथा सरकार के पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश की स्‍वीकृति के बाद बीटी बैगन के बीज को बाजार में उतारा जा सकेगा।


कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार जीएम फसलों की संरचना सामान्य पौधों की कोशिकाओं में अलग किस्म का जीन जीवाणु, कीटाणु, मकड़ी, सूअर व कछुआ आदि से लिया जाता है। इसके कारण स्वास्थ्यव पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जीवित पौधा होने के कारण इसका पूरी तरह से नाश संभव नहीं है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इसका पेटेंट बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का होगा जिससे छोटे-छोटे किसानों को इन कम्पनियों पर निर्भर करना पड़ेगा। विकसित अनुवांशिक रूप से वर्धित महिको के बीटी बैगन का विकास हुए नौ साल हो गए हैं। महिको का दावा है कि इस बैगन में कीड़ों को समाप्त करने की क्षमता जीन क्राई 1 एसी है। कीड़ा लगने से 50 से 70 प्रतिशत बैगन की फसल बर्बाद हो जाती है। बीटी हाईब्रिड के प्रयोग से बैगन उत्पादन में 166 प्रतिशत की वृद्धि होगी। कम्पनी के अनुसार जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमिटी ने इसको पर्यावरण के लिए सुरक्षित माना है।


उत्तर अंबाझरी रोड स्थित आई.एम.ए. सभागृह बी.टी. बैगन की जनसुनवाई के दौरान खचाखच भरा हुआ था। इसमें मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों से आए वैज्ञानिक, किसान, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया। कई लोगों के तर्क सुनने के बाद पर्यावरण मंत्री ने पत्रकारों को बताया कि बी.टी. बैंगन पर अपना निर्णय वे 15 फरवरी से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंप देंगे। जनसुनवाई के दौरान अधिकतर लोगों ने बी.टी. बैंगन के विरोध में तर्क देते हुए इसे देसी बैंगन और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बताया। भारत में बी.टी. बैंगन के बीज बेचने वाली कंपनी कृभको के वैज्ञानिकों ने बी.टी. के पक्ष में तर्क दिया। विदर्भ के किसान नेता शरद जोशी ने बी.टी. के पक्ष में तर्क दिया। उन्होंने कहा कि पारंपरिक बीज पद्धति और उत्पादन में तकनीक का उपयोग आज जरूरत है। 




इस आलेख में पंकज अवधिया जी भी बता रहे हैं कि देशी बैगन स्‍वास्‍थ्‍य वर्द्धक है और  कैसे देशी बैगन को बढावा दिया जाये? 
मेरा उत्तर होगा “यह आप यानि उपभोक्ताओ पर निर्भर है। बाजार उपभोक्ताओ की माँग पर चलता है। यदि उपभोक्ता जहरीले बैगन लेने से मना कर दे तो मजाल है कि बाजार इसे उपभोक्ता के सामने परोसे। जब बाजार इंकार कर देगा तो किसान इसकी खेती बन्द करेंगे और देशी बैगन उगायेंगे। पर इसके लिये उपभोक्ताओ को एकजुट होना होगा और लम्बी जंग लडनी होगी। एक पूरी पीढी की जंग लगी सोच को बदलना होगा। बहुत विरोध का सामना भी करना पडेगा। इतनी आसानी से कैसे जहरीले बैगन पर से अन्ध-विश्वास हटेगा? पर उपभोक्ता यदि इसमे सफल होते है तो इसके बदले उन्हे रोगमुक्त जीवन मिलेगा और खुशहाल नयी पीढी मिलेगी। अब फैसला आपको करना है।


संगीता पुरी

Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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