अगस्त 2007 में मुझे जब हिंदी में ब्लागिंग करने के बारे में जानकारी मिली थी , तो मैने इस दिशा में कदम बढा ही दिया था। जीमेल में मेरा अकाउंट नहीं था , इंटरनेट के बारे में आधी अधूरी जानकारी थी , फिर भी वर्डप्रेस पर नियमित रूप से लिखना तो शुरू कर दिया था , पर फिर भी ज्योतिष के प्रति अपने दृष्टिकोण के प्रचार प्रसार के लिए एक बडे माध्यम के रूप में इसे मन ही मन स्वीकार नहीं कर सकी थी। लेकिन हिंदी चिट्ठा के विभिन्न एग्रीगेटरों का शुक्रिया अदा करना चाहूंगी , जिनके फलस्वरूप एक वर्ष में ही स्टेट काउंटर ने पाठकों की संख्या को 25000 दिखलाना शुरू कर दिया था। हालांकि उसके बाद मैने वर्डप्रेस को छोडकर ब्लॉगस्पॉट पर लिखना शुरू किया , फिर भी सर्च इंजिन की सहायता से उसमें पाठक आते रहें और कुछ दिन पूर्व आंकडा 50000 को पार करते हुए आज 69100 तक पहुंच चुका है। जिस चिट्ठे पर पिछले डेढ वर्षों से कुछ भी न लिखा जाए , उसमें पाठकों की संख्या की बढोत्तरी को इंटरनेट में हिंदी के बढते पाठकों की संख्या से ही जोडा जा सकता है।
वर्डप्रेस पर काम करने में मुझे कोई कमजारी महसूस हुई या फिर नए नए प्रयोग करते रहने की आदत से लाचार होकर मैने ब्लॉग स्पॉट पर अकाउंट बनाया , यह तो मुझे अब याद भी नहीं , पर इसमें आने के बाद मुझे अपेक्षाकृत अच्छा लगा , हालांकि वर्डप्रेस की तुलना में सर्च इंजिन से ब्लॉग स्पॉट पर पाठक कम आते हैं , इससे इंकार नहीं किया जा सकता। पर ब्लॉगस्पॉट पर मेरी नियमितता और हिंदी ब्लॉग जगत से जुडे लेखकों के कारण मैने यहां भी एक मुकाम हासिल कर लिया है । कल इस ब्लॉग पर भी पाठकों की संख्या 50,000 पार कर चुकी है। अब दोनो ब्लॉग को मिला दिया जाए , तो 69100 + 50000 यानि मेरे द्वारा लिखे 1,19,100 पृष्ठ उल्टे जा चुके हैं , जिसके कारण अपने ब्लॉग लेखन को ज्योतिष के प्रति अपने दृष्टिकोण को प्रसारित करने के लिए एक माध्यम मानने से अब इंकार नहीं कर सकती। इसके साथ ही साथ मेरे ब्लॉगर प्रोफाइल को भी अबतक 20,000 लोगों ने विजिट किया है। जिस लेखक के इतने पृष्ठ उल्टे जा चुके हों , उसके विचारों का पाठकों पर कोई प्रभाव न पडा हो , यह तो नहीं माना जा सकता। इस तरह सामाजिक और ज्योतिषिय भ्रांतियों को दूर करने में कुछ कामयाबी तो मुझे मिल ही गयी है। पर अभी बहुत लंबा सफर बाकी है , इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
ब्लॉग जगत से जुडने के बाद मैने लगातार लेखन किया है , पुराने ब्लॉग में एक वर्षों तक नियमित पोस्ट करने के बाद इधर के डेढ वर्षों में ही अपने इस ब्लॉग पर 300 से अधिक पोस्ट डाल चुकी हूं , नॉल में भी मै पूरे 100 पोस्ट किया है। इसके अतिरिक्त हमारा खत्री समाज में 85 पोस्ट और गत्यात्मक चिंतन में 53 पोस्ट है। हिंदी विकीपीडिया को मैं अब तक सहयोग नहीं कर पायी , इसका मुझे दुख है।
सिर्फ लेखन में ही मैने हिंदी ब्लॉग जगत को अपना योगदान नहीं दिया है , मैं नियमित तौर पर हिंदी ब्लॉगरों के आलेख पढती और उनमें टिप्पणियां भी करती हूं , नए ब्लॉगरों का स्वागत करने में भी मैं पीछे नहीं रहती । यही कारण है कि आशीष खंडेलवाल जी के आलेख में दिए गए इंस्ट्रक्शन के द्वारा अपने द्वारा की गयी टिप्पणियां गिनने की कोशिश की , तो इस संख्या पर मैं खुद भी विश्वास नहीं कर सकी। मैने गूगल सर्च में "संगीता पुरी said" कीवर्ड डाला , तो मुझे 56,100 परिणाम मिले , जब सर्च बॉक्स में "संगीता पुरी ने कहा" टाइप किया तो यह संख्या 21,700 थी।
इस तरह विभिन्न ब्लॉगों में मेरे द्वारा 77,800 टिप्पणियों की पुष्टि हो चकी है। काफी दिनों से बी एस एन एल बोकारो के नेट की गति काफी कम है , इसलिए मैं पोस्टों को पढने के बावजूद टिप्पणियां नहीं कर पा रही , नहीं तो यह आंकडा एक लाख पार कर ही जाता। नेट की गति के बढने का इंतजार कर रही हूं, । सप्ताह भर से लेखन की गति थोडी धीमी चल रही है , इस पोस्ट का मुख्य लक्ष्य आप सभी पाठकों के प्रति आभार व्यक्त करना है। आपके सहयोग का ही असर है कि मैं यहां तक की यात्रा कर सकी हूं और लंबी यात्रा के प्रति आश्वस्त भी हूं !!