हिंदी ब्लॉग जगत से जुडने के बाद प्रतिवर्ष भाइयों के पास दिल्ली यानि नांगलोई जाना हुआ , पर इच्छा होने के बावजूद ब्लोगर भाइयों और बहनों से मिलने का कोई बहाना न मिल सका। इस बार दिल्ली के लिए प्रस्थान करने के पूर्व ही ललित शर्मा जी और अविनाश वाचस्पति जी के द्वारा मुझे जानकारी मिल गयी थी कि हमारे दिल्ली यात्रा के दौरान एक ब्लॉगर मीट रखी जाएगी। रविवार का दिन होने से 23 मई ब्लागर मीट के लिए उपयुक्त था , यह काफी पहले तय हो चुका था , पर स्थान के बारे में मुझे कोई जानकारी न थी। आभासी दुनिया के लोगों को प्रत्यक्ष देखने और उनके विचारों से रू ब रू होने की कल्पना ही मन को आह्लादित कर रही थी। पर 20 तारीख तक यानि दिल्ली जाने के पंद्रह दिनों बाद तक मुझे ऐसी कोई सूचना नहीं मिल पायी थी, ब्लॉग मीट की बात कैंसिल तो नहीं हो गयी , यह सोंचकर मैं थोडी अनिश्चितता में थी।
23 मई को ही भाइयों को नांगलोई के जाट धर्मशाला में आयोजित एक कार्यक्रम के बारे में चर्चा करते सुना, तो वहां एक ब्लोगर मीट को आयोजित करने की मेरी भी इच्छा हो गयी। मेरे भाई ने इसमें पूर्ण तौर पर सहयोग देने का वादा किया। कार्यक्रम के बारे में जानने के लिए मैने अविनाश वाचस्पति जी को फोन लगाया , तो बातचीत में मालूम हुआ कि एम वर्मा जी के यहां 23 मई को ब्लॉगर मीट होना तय हुआ है , जिसमे कुछ ब्लोगरों का मिलना जुलना होगा। चूंकि राजीव तनेजा जी हमारे इलाके में थे , इसलिए मुझे वहां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी राजीव तनेजा जी को दी गयी थी। कार्यक्रम के बारे में जानकर मेरी अनिश्चितता तो दूर हुई , पर जाट धर्मशाला के बडे हाल में अधिक से अधिक ब्लोगरों को बुलाया जाना और उनसे मिलना जुलना हो पाएगा , यह सोचते हुए मैने इस स्थल के बारे में अविनाश जी को जानकारी दे दी। अविनाश जी काफी खुश हुए , दूसरे ही दिन उन्होने इस हॉल में ब्लॉगर सम्मेलन होने की घोषणा अपने ब्लॉग में कर दी।
22 मई की शाम मैं भाई के साथ इस स्थल के निरीक्षण के लिए गयी , तो फोन कर राजीव तनेजा जी को बुलाया, थोडी ही देर में वहां एम वर्माजी भी पहुंचे। हम तीन ब्लॉगरों की मीटिंग 22 मई को ही हो गयी, पर हम तीन तिगाडा ने काम बिल्कुल भी नहीं बिगाडा। हमारे द्वारा तय किए गए ऊपर का हाल छोटा लगा , तो भाई ने नीचे के हाल में ब्लॉगर मीट की व्यवस्था कर दी। वैसे तो इस ब्लॉगर मीट में थोडी जिम्मेदारी लेने की मेरी भी इच्छा थी , पर अविनाश वाचस्पतिजी और राजीव तनेजा जी ने इस ब्लॉग मीट को सफल बनाने की पूरी जिम्मेदारी संभाल ली और हमें हर प्रकार के इल्जाम से बचा लिया। दिल्ली में हिंदी ब्लोगरों की भारी संख्या और ब्लॉगर मीट पर पोस्ट लिखे जाने के बाद अधिक लोगों के उपस्थित होने की उम्मीद में थी मैं , लेकिन जितने उपस्थित हुए , वो कम भी नहीं थी , क्यूंकि उन्हें समय काफी कम मिला। पर जूनियर हों या सीनियर , महिला हों या पुरूष , हिंदी ब्लॉगिंग के प्रति प्रेम से सराबोर सभी लोगों ने ब्लॉगिंग के विभिन्न पहलुओं पर अपने कुछ न कुछ विचार अवश्य रखा।
मैने भी ब्लॉगिंग के मुद्दे पर अपना विचार रखा , चूंकि प्रत्येक व्यक्ति ऊपर से देखने में एक होते हुए भी अंदर से बिल्कुल अलग होते हैं , इसलिए इस दुनिया में घटने वाली सारी घटनाओं को विभिन्न कोणों से देखते हैं , जाहिर है , हम अलग कोण से लिखेंगे ही। भले ही कोई 'वाद' देश , काल और परिस्थिति के अनुसार सटीक होता हो , पर कालांतर में उसमें सिर्फ अच्छाइयां ही नहीं रह जाती है। इसलिए ही समय समय पर हमारे मध्य विचारों का बडा टकराव होता है , उससे दोनो ही पक्ष में शामिल पाठकों या आनेवाली पीढी के समक्ष एक नया रास्ता खुलता है। ऐसा भी होता ही आया है कि भीड में भी समान विचारों वाले लोग छोटे छोटे गुट बना लेते हैं , कक्षा में भी विद्यार्थियों के कई ग्रुप होते हैं , इसका अर्थ ये नहीं कि वे एक दूसरे पर पत्थर फेके। हमें समझना चाहिए कि जहां हमारे विचारों की विभिन्नता और वाद विवाद हिंदी ब्लॉगजगत को व्यापक बनाने में समर्थ है , वहीं एक दूसरे के प्रति मन की खिन्नता और आपस में गाली गलौज हिंदी ब्लॉग जगत का नुकसान कर रही है। मेरा अपना दृष्टिकोण है कि यदि हम संगठित नहीं हों तो हमारे ऊपर कभी भी आपत्ति आ सकती है और हमें विचारों की अभिव्यक्ति से संबंधित अपनी इस स्वतंत्रता को खोना पड सकता है। इसलिए संगठित बने रहने के प्रयास तो होने ही चाहिए !!