गत्यात्मक ज्योतिषीय दृष्टि से कल यानि 3 जुलाई का दिन खास है, क्यूंकि बृहस्पति और चंद्र को केन्द्रगत करते हुए आसमान में बाकी ग्रहों की स्थिति के संयोग से एक खास प्रकार का योग तैयार हो रहा है। यह योग 3 जुलाई को 11 बजे से 12 बजे के लगभग मध्य रात्रि को उपस्थित होगा। इस योग के फलस्वरूप 24 घंटे पूर्व और 24 घंटे पश्चात तक का समय कुछ खास माना जा सकता है। प्राचीन ढंग से गणना किए जानेवाले पंचांग पर विश्वास करें , तो लांगिच्यूड के हिसाब से इस योग का सर्वाधिक प्रभाव भारतवर्ष से ठीक पश्चिम में सटे हुए देशों में होना चाहिए। भारत के पश्चिमी भागों में भी इसके प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता।
चूंकि बृहस्पति और चंद्र को केन्द्र में रखने से इस योग की उत्पत्ति हो रही है , इस कारण इस योग का प्रभाव विश्व के अधिकांश हिस्सों में सुखद ही रहना चाहिए , इस कारण भीषण गर्मी वाले क्षेत्रों में दो दिनों तक घने बादल बने रहने और यत्र तत्र बारिश होते रहने की संभावना है , इस प्रकार यहां मौसम सामान्य बना रहेगा। ठंड वाले क्षेत्रों में उतनी बारिश नहीं भी हो सकती है , पर बारिश के मौसम वाले जगहों पर अति बारिश हो सकती है। पृथ्वी के जिस क्षेत्र में यह योग अधिक प्रभावी होगा , वहां कुछ अनिष्ट की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता, खासकर बाढ , तूफान या भूकम्प की। लेकिन फिर भी बृहस्पति चंद्र जैसे शुभ ग्रहों के कारण विकरालता कुछ कम रहेगी।
वैसे तो इस ग्रहयोग का सर्वाधिक अच्छा प्रभाव 1934 , 1946 , 1958 , 1970 , 1982 ,1993 और 2005 के सितंबर माह तक जन्म लेने वाले पर पडेगा, जबकि 1932 , 1944 , 1956 , 1968 , 1980 ,1992 और 2004 में सितंबर तक जन्म लेनेवाले इसके बुरे प्रभाव में आ सकते हैं। इसी प्रकार तुला राशिवालों पर इस ग्रहयोग का अच्छा तथा सिंह राशिवालों पर इस ग्रहयोग का बुरा प्रभाव देखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त अक्तूबर और नवंबर माह में जन्म लेनेवालों पर कुछ अच्छा और अगस्त तथा सितंबर माह में जन्म लेने वालों पर कुछ बुरा प्रभाव पडेगा। बाकी लोगों के जीवन में इस ग्रह का प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में बिल्कुल हल्के रूप में दिख सकता है। लग्न में विभिन्नता के कारण ग्रहों के प्रभाव के संदर्भो में अंतर पड सकता है , बृहस्पति जिन भावों का स्वामी होगा , इस योग के कारण उससे संबंधित संदर्भों की खुशी या कष्ट मिलनी चाहिए।
यहां भारतवर्ष में 3 जुलाई को सूर्योदय 5 बजकर 13 मिनट में होगा , जबकि सूर्यास्त 6 बजकर 30 मिनट पर। इलाहाबाद से पूर्व या पश्चिम होने से आपके शहर में सूर्योदय और सूर्यास्त के समय में थोडा अंतर हो सकता है। इस योग के फलाफल को समझने के लिए आप अपने शहर के सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की जानकारी रखें। इस ग्रह का सर्वाधिक अच्छा प्रभाव सूर्यास्त से 6 घंटे पहले से साढे तीन घंटे पहले तक होगा , इसलिए यह समय आपके लिए आनंददायक बना रहेगा, इस तरह के किसी न किसी कार्यक्रम से आप संयुक्त हो जाएंगे। जबकि सूर्यास्त से 4 घंटे बाद से 5 घंटे 32 मिनट बाद तक का समय इस योग के कारण बहुत ही महत्वपूर्ण बना रहेगा , इस कारण इस समय महत्वपूर्ण कार्यक्रम में व्यस्तता बनी रह सकती है। इस ग्रहयोग का सर्वाधिक बुरा प्रभाव सूर्योदय के 3 घंटे 19 मिनट बाद से लेकर 5 घंटे 33 मिनट बाद तक बनने की आशंका है , इस कारण आप कुछ तनावपूर्ण वातावरण से गुजर सकते हैं।