गांव में बोली जाने वाली एक लोकोक्ति की याद आ गयी , पाठकों से निवेदन है कि इसका अर्थ स्पष्ट करें .....
आत न आर्द्रा जो करे , जात न जोडे हस्त।
एतै में दोनो गए , पाहुन और गृहस्थ !!
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