पिछले आलेख में राज भाटिया जी की टिप्पणी मिली । उन्होने पूछा कि एक बात पुछनी थी कि कुंडली के क्या लाभ ओर क्या हानियां हैं।  इस बारे जरुर लिखे, हमारी बीबी कहती है कि बच्चो की कुंडली बनवा ले ? तो मै कहता हूं कि  क्या लाभ ??  इस का उस के पास कोई जबाब नही, फ़िर कहती है ,  बनवाने मे क्या हानि है??  इस का जबाब मेरे पास नही, शायद आप के पास हो तो जरुर बताये।
मेरे ख्याल से जब प्राचीन काल में ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से  जन्मकुंडली के आधार पर बच्चे के भूत भविष्य और वर्तमान को समझने का  कार्य चल रहा था , तब हमारे देश में लोग बच्चों के जन्मविवरण ही नहीं रखा करते होंगे। इसलिए प्रत्येक गांव में  जन्म लेनेवाले बच्चों की  जन्मकुंडली बनाने का काम पंडितों को सिखला दिया गया होगा , क्यूंकि हर घर  में लोग पढे लिखे नहीं होते थे और बच्चों के जन्मविवरण डायरी में नोट  नहीं किए जाते थे। बच्चों का जन्म भी अस्पताल में नहीं होता था कि उनका  जन्मविवरण कहीं मिल पाए। 
बडे बडे पंडित और ज्ञानी कभी घूमते फिरते हुए हर गांव में जाया करते ही थे , वे उनमें से कुछ  महत्वपूर्ण व्यक्तियों , जिसमें अच्छे और बुरे हर प्रकार के लोग आते थे , की जन्मकुंडली देख लिया करते होंगे। देशभर  में घूमने से और महत्वपूर्ण लोगों की कुंडलियों को उनके अच्छे गुणों और दुगुर्णों से जोडने से उनके अनुभव में जो बढोत्तरी होती होगी , उससे वे ग्रंथ लिखा  करते होंगे। इस तरह ब्राह्मण जन्मकुंडली को तो बनाते ही थे , कालांतर में साथ साथ  विद्वानों द्वारा लिखे गए ग्रंथों में लिखे फल को भी जातक की जन्मकुंडली में उल्लिखित  कर दिया करते होंगे। 
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पर समय के साथ साथ सामाजिक राजनीतिक स्थितियां छिन्न भिन्न हुईं , सबका  जीवन जीने का ढंग बदला। कितनी महत्वपूर्ण पुस्तकें खो गयी , ब्राह्मणों की विद्या  बुद्धि का ह्रास हुआ। बाद में जन्मकुंडली के आधार पर की जानेवाली भविष्यवाणियों के  उतनी सटीक न हो पाने से जन्मकुंडली बनाना या मिलाना एक गैर जरूरी कार्य रह  गया। हाल के वर्षों में तलाक के बढते दर के कारण विवाह पूर्व जन्मकुंडली  मिलाने पर ध्यान जरूर दिया जा रहा है , पर जन्मकुंडली बनवाने या मिलवाने का  काम को या उसके अनुसार अपनी जीवनशैली को बदलने को उतना महत्व नहीं दिया  जाता। यदि कहीं ऐसा हो भी रहा है तो गुणी ज्ञानी से अधिक व्यावसायिक क्षमता वाले ज्योतिषियों के इस क्षेत्र में दखल होने से कोई फायदा नहीं दिख रहा।
पर यदि ज्योतिषी सच्चा और ज्ञानी हो तो बच्चे के जन्म के बाद ही उसकी  जन्मकुंडली बनवाकर बच्चे की चारित्रिक विशेषताएं और उसकी जीवनयात्रा के बारे  में अच्छी तरह जान लेना चाहिए, ताकि उसके जीवन में आनेवाली समस्याओं के  प्रति पहले से तैयार रहा जा सके। पर आज अच्छे ज्योतिषी मिलते ही कहां हैं ?? किसी ज्योतिषी की परीक्षा लेने के लिए  पहले पिता को अपनी जन्मपत्री ज्योतिषी से दिखाकर अपने बीते जीवन के बारे में  पूछ लेना चाहिए। भूत को बतलाने के लिए बहुत सारे तांत्रिक ज्योतिषी बनकर  तंत्र मंत्र का सहारा लेकर भूत की सटीक भविष्यवाणी करते हैं। पर वे न तो  भूत की खास खास घटनाओं का वर्ष बता सकते हैं और न ही भविष्य की घटनाओं का समय । 
मेरे ख्याल से एक ज्योतिषी को समय विशेषज्ञ होना चाहिए , जो आपके भूत को  भी सांकेतिक तौर पर ही देखता है और भविष्य को भी। वह बच्चे की जन्मकुंडली  बनाने के दौरान बच्चे की चारित्रिक विशेषताओं को स्पष्ट कर देता है ,  जिसके कारण आप उसकी एक अलग तरह की बनावट को स्वीकार करते हुए , उसकी तुलना  किसी और बच्चे से न करते हुए उसका सही पालन पोषण करें और उसका मनोवैज्ञानिक विकास  ठीक ढंग से हो पाए। प्रकृति में अलग अलग तरह के इतने बीज हैं , हम उनकी बनावट पर कभी भी मुहं नहीं बिचकाते , पर बच्चों के बनावट की विभिन्नता को स्वीकारने में परहेज करते है , जन्मकुंडली के आधार पर बच्चों का स्वभाव समझ लें , तो ऐसा करने से हम बच सकते हैं। इसके अतिरिक्त एक ज्योतिषी बच्चे के जीवन में आने वाले उतार चढाव के  बारे में पहले ही स्पष्ट कर सकता है , ताकि उसे जीवनयात्रा में किसी  समस्या से जूझने में मदद मिल सके। 
कल एक पत्रकार आरिफ जी ने भी मेल से पूछा था कि  भूत ,भविष्य और  वर्तमान  को  जानने  की  इच्छा   कब  और  किस  आयु  तक  होनी  चाहिए ? आजकल  वास्तु  ,अंक  ज्योतिष ,रेखा   गणित  या  दूसरी  विधा  में  से  कोंन  सी  सटीक  मानी जाती  है ? जिस  की  जन्म  तिथि  सही  नहीं  क्या  उसका  कोई  भविष्य नहीं  है  या  बताया  नहीं  जा  सकता ?
मैं पहले भी लिख चुकी हूं कि 'गत्यात्मक ज्योतिष' ण्क घडी , टार्च और कैलेण्डर की तरह आपको रास्ता दिखाने और कार्यक्रम बनाने में मदद करता है। इनके उपयोग करने की यदि कोई सीमा  है तो वही सीमा भूत ,भविष्य और  वर्तमान  को  जानने  की  आवश्यकता की भी  मानी  जा सकती है। भविष्य को जानने की बहुत सारी विधाएं हो सकती हैं , पर सबका  अध्ययन एक सीमा के अंदर ही हो सकता है। पर भविष्य जानने के लिए एकमात्र  सटीक विधा ज्योतिष है , जिसमें अध्ययन की कोई सीमा नहीं। मनुष्य  का चरित्र , मनुष्य का जीवन , मनोविज्ञान , चिकित्सा , मौसम , राजनीति ,  शेयर बाजार , प्राकृतिक आपदा .... कोई भी क्षेत्र ग्रहों के प्रभाव से अछूता नहीं। हर क्षेत्र में इसका अध्ययन कर इसे बहुत ही व्यापक  स्वरूप दिया जा सकता है, इसके बहाव को सैकडों वर्षों से अवरूद्ध करने की वजह से आज यह काम के लायक नहीं रह गया है। जिसकी जन्म तिथि नहीं लिखी हो , उसका भविष्य नहीं हो सकता , ऐसा कैसे कहा जा सकता है ??  भविष्य को जानने के लिए अन्य संकेतों का सहारा लिया जा सकता है , पर भविष्य की चर्चा के लिए जो बात ज्योतिष में है , वो भला किसी अन्य विधा में कहां ??
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