अपरिचित लोगों के फोन का आना मेरे लिए बिल्कुल सामान्य बात है । परसों रांची से एक सज्जन ने मेरे मोबाइल पर फोन किया। उन्होने नाम बताया , पर नाम नहीं बता सकती मैं। उन्होने परिचय देते हुए बताया कि 27 वर्ष पूर्व वे मेरे पिताजी से ज्योतिषीय सलाह लेने के सिलसिले में मिल चुके हैं , उनके द्वारा बनाया गया जीवन के उतार चढाव का ग्राफ उन्होने अभी तक संभाल रखा है। इतने दिनों तक परिस्थितियां लगभग उनके ग्राफ के हिसाब से ही सही चलती हुई अब ऋणात्मक हो गयी हैं और कोई उपाय न दिखने से वे पुन: मुझसे सलाह लेना चाहते हैं। मैने बताया कि पापाजी अभी झारखंड में ही हैं और वे उनसे मिल सकते हैं। पर पापाजी के बारे में मुझे उनसे ही नई जानकारी मिली। उन्होने बताया कि उन्हे कहीं से पापाजी का ही नंबर मिला था , उन्होने पहले पापाजी को ही फोन किया था , पर पापाजी धनबाद से राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए निकल चुके हैं , इसलिए उन्होने संपर्क करने के लिए इन्हें मेरा नंबर दिया ।
गजब की बात थी , पापाजी कुछ दिनों से एक काम के सिलसिले में झारखंड के विभिन्न शहरों में रह रहे थे , काम के समाप्त होने के बाद अपने एक मित्र के पुत्र के विवाह के इंतजार में 8 जून तक मेरे यहां ठहरे हुए थे , विवाह हमलोगों ने साथ साथ एटेंड किया , विवाह संपन्न होने के बाद वे सामान सहित धनबाद चले गए थे। मुझे दिल्ली के टिकट बनवाने को कहा , पर दूर दूर तक किसी भी ट्रेन में खाली बर्थ नहीं मिली। मैने कहा कि प्रोग्राम पक्का करने के बाद तत्काल का ही टिकट ले लेना अच्छा होगा। मैं इधर इंतजार ही कर रही थी कि टिकट के लिए पापाजी का कोई आदेश आए और पापाजी राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली के लिए निकल भी पडे थे। वैसे ये कोई नई बात नहीं थी , धनबाद में पापाजी आम नहीं , खास हो जाते हैं , उनके मित्रों ने वी आई पी कोटे में उनके लिए टिकट की व्यवस्था कर दी होगी। आम से याद आया , छोटी बहन , जो धनबाद में ही रहती है , का सुबह फोन आया था कि दिल्ली के लिए पापाजी ने आम मंगवाया है , व्यस्तता की वजह से उसकी इस बात पर मैं ध्यान नहीं दे पायी थी। दरअसल पूरे परिवारवालों के लिए बिहार के आम का स्वाद बहुत मायने रखता है , इसलिए इस मौसम में बिहार से दिल्ली जानेवालों के लिए आम की टोकरी ले जाना अनिवार्य है।
मैने उन्हें ढाढस बंधाते हुए कहा कि वे अपना जन्म विवरण भेज दें , मैं देख लूंगी कि समस्या क्या है ?? उन्होने बताया कि जब वे पापाजी से मिले थे , उनके पास सिर्फ जन्म तिथि थी , उनके जीवन की घटनाओं से जन्मसमय का अंदाजा लगाते हुए पापाजी ने उनके जन्म का संभावित समय निकालकर उनकी जन्मकुंडली बनायी थी और उनके जीवन के उतार चढाव का ग्राफ खींचा था। चूंकि उनके पास जन्मविवरण नहीं था , इसलिए मैने उन्हें अपने ईमेल पर पापाजी के द्वारा बनी उनकी कुंडली और ग्राफ भेजने को कहा। कल उन्होने जो भेजा , उसमें अपने हाथ से लिखी ग्रहों की डिग्री और ग्राफ के वर्ष को देखकर मैं चौंक गयी। उसे आप भी देखिए .....
1981 में पापाजी के द्वारा ग्रहों की गत्यात्मक शक्ति की खोज के बाद ग्राफ खींचे जाने के लिए एक फार्मूले की खोज होने के तुरंत बाद यह पापाजी के सबसे पुराने पैड पर मेरे द्वारा बनायी गयी जन्मकुंडली और ग्राफ था । इसका अर्थ यह है कि मैं खुद को जितने दिन का ज्योतिष का अनुभवी समझती थी , उससे कहीं अधिक हूं। हालांकि पापाजी ने मुझसे यह जन्मकुंडली बनवायी थी , पर विश्लेषण खुद ही किया था। इसलिए रांची वाले उक्त सजजन को मेरी याद नहीं है। जैसा कि आप ग्राफ में देख रहे होंगे , पूरे जीवन की परिस्थितियां + में हैं , जबकि 2000 के बाद , खासकर 2006 के बाद की परिस्थितियां - दिखा रही हैं। 2012 में ग्राफ बिल्कुल नीचे आ गया है , यही कारण है कि इनके सम्मुख भयावह परिस्थितियां उपस्थित हो गयी है। कल इनसे बात करने पर ऐसा महसूस हुआ कि इनका सबकुछ समाप्त होने जा रहा है।
इस वर्ष इनके समक्ष सचमुच बहुत बिगडी हुई परिस्थितियां रह सकती हैं , पर जैसा कि आप देख रहे होंगे , 2012 के बाद पुन: ग्राफ ऊपर की दिशा को प्रवृत्त है , इसलिए क्रमश: सुधारोन्मुख परिस्थितियां बनेंगी। वर्षभर आनेवाली विपरीत परिस्थितियों से इन्हे तनिक भी घबराने की आवश्यकता नहीं , प्रकृति के नियमों पर भरोसा रखना आवश्यक होगा।चूंकि 'गत्यात्मक ज्योतिष' के हिसाब से वृद्धावस्था को संचालित करनेवाला ग्रह बृहस्पति होता है , इसलिए इसके बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए पीले रंग का अधिक से अधिक उपयोग किया जा सकता है। साथ ही 17 जुलाई 2011 को सुबह 7 बजे से 10 बजे के मध्य सोने को पूर्ण तौर पर गलाकर तैयार किया गया छल्ला पहन लें , जिससे मनोवैज्ञानिक तौर पर ये मजबूत होंगे और किसी भी झंझट को झेलने की शक्ति में बढोत्तरी प्राप्त करेंगे। इस दौरान मेरी शुभकामनाएं हर वक्त इनके साथ होंगी।