पिछले लेख में गोचर के शनि यानि आज के आकाश में तुला राशि में शनि की ग्रह स्थिति को बताते हुए लिखा ही जा चुका है कि भले ही अपने जन्मकालीन ग्रहों के हिसाब से ही लोग जीवन में सुख या दुख प्राप्त कर पाते हैं , पर उस सुख या दुख को अनुभव करने में देर सबेर करने की भूमिका आसमान में समय समय पर बन रही ग्रहों की स्थिति की ही होती हैं। जिस प्रकार शनि की तुला राशि में स्थिति ढाई वर्षों तक कुछ को सुख तो कुछ को दुख प्रदान करनेवाली होगी , उसी तरह अन्य ग्रहों की स्थिति भी कुछ कम अंतराल के लिए किसी को सुख तो किसी को कष्ट प्रदान करनेवाली होती है। जहां एक वर्ष के लिए बृहस्पति , चार छह महीने के लिए मंगल , चार महीने के लिए शुक्र लोगों के समक्ष खास परिस्थितियां उपस्थित करने में जिम्मेदार होता है , वहीं दो महीने के लिए बुध का प्रभाव भी देखा गया है।
आसमान में अभी 29 अकतूबर 2011 से ही वृश्चिक राशि में बुध ग्रह की ऐसी ही खास स्थिति चल रही है , जो बहुतों को सुखद तो कुछ को कष्टकर वातावरण प्रदान करने वाली है। इसकी क्रियाशीलता धीरे धीरे बढती जा रही है , जिसके कारण किसी खास कार्यक्रम में लोगों का ध्यान संकेन्द्रण बनता जाएगा। 25 और 26 नवंबर के आसपास किसी प्रकार की घटना के प्रभाव से इस कार्यक्रम में कोई बाधा उपस्थित हो सकती है , जिसके कारण 4 दिसंबर तक इस कार्यक्रम की सफलता में कुछ संशय बन सकता है। पर 12 या 13 दिसंबर के आसपास ही संशय के बादल छंटेंगे और कार्यक्रम अपने उसी रूप या दूसरे रूप में रफ्तार पकड लेगा। 22 , 23 और 24 दिसंबर के आसपास कार्यक्रम निर्णायक मोड में रहेगा , जरूरी नहीं , सभी को सफलता ही मिले , कुछ को असफलता भी हाथ लगेगी, यानि उनके हिस्से कष्ट भी आ सकता है। 4 जनवरी को बुध के वृश्चिक राशि से निकलते ही इस कार्यक्रम की चर्चा परिचर्चा भी समाप्त हो जाएगी।
बुध ग्रह विद्यार्थियों के लिए बहुत प्रभावी होता है , खासकर 12 वर्ष की उम्र से 18 वर्ष की उम्र के बालक बुध ग्रह के पूरे प्रभाव में होते हैं , जिन किशोरों का 12 वर्ष की उम्र के बाद किशोरावस्था का समय आराम दायक परिस्थितियों में कट रहा है , वे इस समय अपने सुख में और बढोत्तरी प्राप्त करेंगे। इसके विपरीत जिन किशोरों का 12 वर्ष की उम्र के बाद का समय कुछ कष्टवाला बना हुआ है , वे अपने कष्ट में और बढोत्तरी प्राप्त करेंगे। 4 जनवरी 2012 को बुध के वृश्चिक राशि से निकलते ही उन्हें थोडी राहत मिल जाएगी।
निम्न समयांतराल में जन्म लेनेवाले बुध ग्रह की इस स्थिति के अच्छे प्रभाव में आएंगे ........
1, 1994 में 25 दिसंबर से 15 जनवरी , 3 अगस्त से 23 अगस्त , 6 दिसंबर से 26 दिसंबर , 1995 में 20 जुलाई से 10 अगस्त , 11 नवंबर से 30 नवंबर , 1996 में 18 मार्च से 8 अप्रैल , 1 जुलाई से 21 जुलाई , 21 अक्तूबर से 11 नवंबर , 1997 में 1 मार्च से 21 मार्च , 16 जून से 6 जुलाई , 2 अक्तूबर से 22 अक्तूबर , 1998 में 12 फरवरी से 2 मार्च , 29 मई से 19 जून , 17 सितंबर से 7 अक्तूबर , 1999 में 24 जनवरी से 14 फरवरी , 15 मई से 5 जून , 27 अगस्त से 17 सितंबर के मध्य जन्म लेने वाले सारे किशोर किशोरियां।
2, जून जुलाई में खासकर 1916 , 1922, 1929 , 1935 , 1942, 1948 , 1955 , 1961 , 1968 , 1975 , 1981 , 1987 , 1994 , 2000 के जून जुलाई में जन्म लेनेवाले हर उम्र के लोग ,
3, मिथुन लग्न में जन्म लेने वाले हर उम्र के लोग ,
निम्न समयांतराल में जन्म लेनेवाले बुध ग्रह की इस स्थिति के बुरे प्रभाव में आएंगे ....
1, 1994 में 14 फरवरी से 4 मार्च , 16 जून से 6 जुलाई , 10 अक्तूबर से 30 अक्तूबर , 1995 में 27 जनवरी से 17 फरवरी , 27 मई से 17 जून , 24 सितंबर से 14 अक्तूबर , 1996 में 11 जनवरी से 31 जनवरी , 7 मई से 27 मई , 7 अक्तूबर से 27 अक्तूबर , 1997 में 1 जनवरी से 14 जनवरी , 18 अप्रैल से 8 मई , 20 अगस्त से 10 सितंबर , 9 दिसंबर से 29 दिसंबर , 1998 में 1 अप्रैल से 20 अप्रैल , 3 अगस्त से 23 अगस्त , 22 नवंबर से 12 दिसंबर , 1999 में 13 मार्च से 3 अप्रैल , 16 जुलाई से 6 अगस्त , 6 नवंबर से 26 नवंबर के मध्य जन्म लेनेवाले ,
2, अप्रैल मई , खासकर 1925 , 1932 , 1938 , 1945 , 1951 , 1958 , 1965 , 1971 , 1977 , 1984 , 1990 1996 , 2004 के अप्रैल मई में जन्म लेनेवाले,
3, मेष राशि में जन्म लेनेवाले ,
चूंकि बुध ग्रह मिथुन और कन्या राशि का स्वामी है और इसकी स्थिति वृश्चिक राशि में बनेगी , इसलिए अपने अपने ग्रहों के हिसाब से इन तीनों राशियों से संबंधित भावों का सुख या कष्ट जातको को मिलेगा , इसलिए मेष लग्नवाले भाई बहन , बंधु बांधव के कारण जीवन शैली को , वृष लग्नवाले धन , कोष , बुद्धि या संतान पक्ष की स्थिति के कारण घर गृहस्थी के वातावरण को , मिथुन लग्नवाले शरीर , व्यक्तित्व , माता पक्ष , किसी प्रकार की संपत्ति से संबंधित मामले के झंझट को , कर्क लग्नवाले भाई बहन , बंधु बांधव , खर्च या बाहरी संदर्भों के कारण मानसिक स्थिति को , सिंह लग्न वाले धन , कोष और लाभ की मजबूत स्थिति के कारण स्थायित्व या हर प्रकार की संपत्ति की स्थिति को कमजोर या मजबूत पाएंगे।
इसी प्रकार कन्या लग्नवाले शरीर , व्यक्तित्व , पिता , पद प्रतिष्ठा , कर्मक्षेत्र के वातावरण के कारण अपनी शक्ति को , तुला लग्नवाले भाग्य , बाहरी संदर्भ और खर्च शक्ति की मजबूती के कारण आर्थिक स्थिति को , वृश्चिक लग्नवाले लाभ और जीवनशैली की मजबूती के कारण अपने व्यक्तित्व और आत्मविश्वास को , धनु लग्नवाले घर गृहस्थी , पिता पक्ष , पद प्रतिष्ठा , कर्मक्षेत्र के कारण बाहरी संदर्भों की , मकर लग्नवाले भाग्य , प्रभाव और झंझट सुलझाने की क्षमता के कारण लाभ की स्थिति को , कुंभ लग्नवाले बुद्धि , ज्ञान , संतान , जीवन शैली के कारण पद प्रतिष्ठा की स्थिति, सामाजिक महत्व को , मीन लग्न वाले माता पक्ष , हर प्रकार की संपत्ति , घर गृहस्थी के कारण भाग्य को कमजोर या मजबूत पाएंगे।
आनेवाले लेख में गोचर के मंगल , जो आनेवाले पांच छह महीनों तक सिंह राशि में मौजूद रहेगा और युवा वर्ग के सुख या दुख का कारण बनेगा , के जातकों पर अच्छे या बुरे प्रभाव की चर्चा की जाएगी।
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