केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) ने देशभर की 100 फीमेल अचीवर्स का चुनाव करने के लिए फेसबुक के साथ मिलकर ‘#100वीमेन इनीशिएटिव’ नाम का कैंपेन शुरू किया। एमडब्ल्यूसीडी और फेसबुक का ये साझा प्रयास देश की 100 ऐसी महिलाओं को चुनना था जो अपने-अपने क्षेत्र में कुछ अनूठा कर रही है। लोगों को मंत्रालय के फेसबुक पेज में जाकर महिला के कार्यों से संबंधित एक वीडियो अपलोड करना और बताना था कि उसने जिस महिला का चुनाव किया वह क्यों भारत की 100 सबसे प्रभावशाली महिला के रूप में सम्मानित की जानी चाहिए.”
15 जुलाई 2015 से 30 सितंबर 2015 तक मंत्रालय के फेसबुक पेज (https://www.facebook.com/ministryWCD) पर ऐसी महिलाओं का नामांकन शुरू हुआ जो कुछ हटकर और खास हैं. एक निर्णायक मंडल द्वारा देशभर से भेजी गई सभी प्रविष्टियों में से 200 प्रविष्टियों पर 7 नवंबर 2015 से वोटिंग शुरु हुई, इन 200 महिलाओं में से विजेता चुनी जाने वाली 100 महिलाओं को सम्मानित किया गया। विजेताओं की घोषणा जनवरी 2016 में हुई। 22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में लंच पर आमंत्रित करके महामहिम प्रणव मुखर्जी ने हमें सम्मानित किया।
22 जनवरी को राष्ट्रपति भवन में हमारे बैठने की व्यवस्था पहले से तय थी , राष्ट्रपति महोदय और मेनका गांधी जी के 1 नं के अंडाकार टेबल के चारो ओर 12 टेबल और लगे हुए थे , मेरे बैठने की व्यवस्था 11 नं टेबल पर थी , जिसमें हम पांच वूमेन एचीवर्स के साथ WCD के तीन सदस्य , ईटीवी हिंदी और उर्दु के प्रमुख जगदीश चंद्र जी और दो मेहमान थे, हमारे साथ बैठे रोहतक से आए डॉक्टर जोगिन्द्र पाल चुग जी की पत्नी Renu Chugh , एजुकेशन के क्षेत्र से ही वूमेन एचीवर थी , टेबल नं 6 पर थी। दिल्ली के डीपीएस से रिटायर हो चुकी तमन्ना सपेशल स्कूल की फाउंडर , पेसिडेंट , एजुकेशन के क्षेत्र की ज्यूरी मेम्बर श्रीमती श्यामा कोना हमारे टेबल के बगल में ही टेबल नं 10 पर बैठी हुई थी। इस व्यवस्था के बारे में हमें राष्ट्रपति भवन में जाने से पूर्व ही मालूम हो चुका था। खाने से पहले श्रीमती मेनका गांधी ने हम 100 एचीवर्स की सराहना करते हुए हमें शुभकामनाएं दी। खाना शुरू हुआ, खाने के दौरान नौसेना की विशेष धुन बजती रही। खुद को विशेष अनुभव कराता हुआ आधे पौन घंटे का समय कैसे व्यतीत हो गया, पता भी न चला, सिर्फ यादें ही शेष रह गई।
ज्योतिष के क्षेत्र में जीवन भर काम करती हुई , इस क्षेत्र में मौजूद सभी अंधविवश्वासों पर चोट करती हुई ,अपने पिताजी श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा विकसित की गई ज्योतिष की नई शाखा 'गत्यात्मक ज्योतिष' के बारे में जानकारी प्रदान करती हुई इतने वर्षों से इंटरनेट में नियमित लिखने का पूरा पूरा फायदा मुझे मिल गया, यह पुरस्कार समाज के बीच मुझे एक नई पहचान देने में समर्थ हुआ है , जिसके फलस्वरूप जीवन में एक मोड की संभावना प्रशस्त हुई है , जो समाज से अंधविश्वास का खात्मा कर ज्योतिष को विज्ञान के रूप में स्थापित कर सकता है, इसके लिए भी आप सबों का सहयोग अपेक्षित है।