आधी-अधूरी गत्‍यात्‍मक भृगु संहिता

 Bhrigu Samhita kundli in Hindi

मेरे पिछले पोस्‍ट में आपलोगों ने महर्षि भृगु द्वारा उस युग के अनुरूप लिखी गयी ‘भृगुसंहिता’ ग्रंथ के बारे में जानकारी प्राप्‍त की , भविष्‍यवाणियों के लिए यह एक बहुत ही अच्‍छी पांडुलिपी रही होगी । पर इसे आधुनिक युग की जीवनशैली के सापेक्ष देखा जाए , तो उसमें बहुत सारी खूबियों के साथ ही साथ कुछ कमियां भी दिखाई पडने लगी। इसका मुख्‍य कारण यही था कि इस ग्रंथ में ग्रहों की स्थिति के आधार पर ही फलाफल की चर्चा की गयी थी , जिसकी चर्चा मैं पिछले पोस्‍ट में कर चुकी हूं । वैसे षष्‍ठ , अष्‍टम और द्वादश भाव की नयी व्‍याख्‍या करते हुए मैने एक और लेख लिखा है , जिसे अवश्‍य पढ लें , क्‍यूंकि इसे पढ लेने पर यह बात और स्‍पष्‍ट हो जाएगी कि ज्‍योतिष के प्राचीन सिद्धांतों को आज की कसौटी पर कसना क्‍यूं आवश्‍यक है। गत्यात्मक ज्योतिष यह काम बखूबी क्र रहा है। 

Grah sthiti in kundali

‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के अनुसार भृगु संहिता कुंडली को पढ़ने के लिए ग्रहों की शक्ति के आकलन और खासकर ग्रह जिस राशि में स्थित हों , उसके राशिश के सापेक्षिक शक्ति के आकलन के सूत्र की खोज के बाद 1990 में ही यह स्‍पष्‍ट हो गया था कि एक ही स्थिति में होने के बावजूद सारे ग्रह कब धनात्‍मक प्रभाव दे सकते हैं और कब ऋणात्‍मक। इसलिए इस आधार पर भविष्‍यवाणी किया जाना अधिक उपयुक्‍त हो सकता है , इसे ध्‍यान में रखते हुए श्री विद्यासागर महथा जी के द्वारा एक नई गत्यात्मक भृगुसंहिता कुंडली रचने की दिशा में लेखन शुरू कर दिया गया। 1996 में जब मेरी पुस्‍तक प्रकाशित हुई, तो उसके प्रस्‍तावना में उन्‍होने बहुत जल्‍द निकट भविष्‍य में ही ‘गत्‍यात्‍मक भृगुसंहिता’ को बाजार में उपलब्‍ध कराने का पाठकों से वादा भी किया था।

Bhrigu Samhita kundli in Hindi


Bhrigu samhita in hindi

चूंकि राहू और केतु के प्रभाव को ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ अभी तक स्‍पष्‍टत: नहीं समझ सका है , इसलिए इसकी चर्चा इस पुस्‍तक में नहीं की जा रही थी। पर अन्‍य सातों ग्रहों के बारह राशियों और बारह लग्‍नानुसार ग्रहों के धनात्‍मक और ऋणात्‍मक फलाफल को देखते हुए 7*12*12*2 = 2016 अनुच्‍छेद लिखकर ही इस ग्रंथ को पूरा किया जा सकता था। अपने पूरे जुनून और दृढ इच्‍छा शक्ति के बावजूद बहुत ही सटीक ढंग से वे इसे आधा (कन्‍या लग्‍न तक) यानि 1000 अनुच्‍देद ही पूरा कर सके थे कि कुछ पारिवारिक जबाबदेहियां पुन: उनका रास्‍ता रोककर खडी हो गयी । वैसे इस हालत में भी उस भृगुसंहिता का एक भाग तो प्रकाशित किया ही जा सकता था , पर उसे पूर्ण तौर पर समझने के लिए ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के मूल नियमों को समझना आवश्‍यक था , जिसके लिए एक अन्‍य पुस्‍तक को प्रकाशित करना आवश्‍यक था , जो पहले से ही लिखी जा चुकी थी।

Grah sthiti in kundali

पर आश्‍चर्य की बात है कि बोकारो से भेजी गयी मुझ जैसी अनुभवहीन लेखिका की पहली पुस्‍तक ‘गत्‍यात्‍मक दशा पद्धति : ग्रहों का प्रभाव’ को पहली बार में ही एक प्रकाशक ने प्रकाशित कर दिया , पर 1975 में अपने पांच लेखों के आधार पर पूरे भारतवर्ष के ज्‍योतिषियों के मध्‍य प्रथम पुरस्‍कार जीतनेवाले और 80 के दशक में ही अपनी मौलिकता के लिए सभी वरिष्‍ठ ज्‍योतिषियों के मध्‍य चर्चित रहे श्री विद्यासागर महथा जी की पुस्‍तकों को बिना किसी शर्त के भी प्रकाशित करने में दिल्‍ली के इतने सारे प्रकाशकों में से किसी ने कोई दिलचस्‍पी नहीं ली , जबकि वे उन दिनों दिल्‍ली में ही निवास कर रहे थे। इस पुस्‍तक को प्रकाशित करने में प्रकाशकों के सामने जो समस्‍या आ रही थी , उसका उन्‍होने खुलकर जिक्र किया था , जिसकी चर्चा करना उचित नहीं ।

Bhrigu samhita kundli in hindi

प्रकाशकों की उपेक्षा को देखते हुए उनके कई मित्रों ने इस पुस्‍तक को स्‍वयं प्रकाशित करने की सलाह दी , पर जहां एक ओर उस पुस्‍तक को समझने के लिए ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के सिद्धांतों को समझना आवश्‍यक था , वहीं इस नई पद्धति के लिए प्रचुर प्रचार प्रसार की भी आवश्‍यकता थी। इतनी मेहनत कर पाने में जहां एक ओर दिन ब दिन उनकी उम्र का बढोत्‍तरी और व्‍यावहारिक मामलों की कमी जबाब देता जा रहा था , वहां मैं भी अपनी पारिवारिक जिम्‍मेदारियों यानि दोनो बेटों के पालन पोषण में फंसते चले जाने से समय की कमी महसूस कर रही थी। पुस्‍तकों के प्रकाशित नहीं हो पाने के कारण उनके उत्‍साह में थोडी कमी का आना स्‍वाभाविक था , इस कारण उनके प्रशंसकों के लगातार पत्र आने और मेरे लाख अनुरोध के बावजूद भी वे उस भृगुसंहिता को आगे नहीं बढा सके और उनके हाथो से लिखी आधी-अधूरी भृगुसंहिता ही अभी तक वैसी ही स्थिति में डायरी में सुरक्षित पडी है । इससे आगे क्‍या हुआ , इसकी चर्चा पुन: अगली कडी में हो पाएगी।

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    संगीता पुरी

    Specialist in Gatyatmak Jyotish, latest research in Astrology by Mr Vidya Sagar Mahtha, I write blogs on Astrology. My book published on Gatyatmak Jyotish in a lucid style. I was selected among 100 women achievers in 2016 by the Union Minister of Women and Child Development, Mrs. Menaka Gandhi. In addition, I also had the privilege of being invited by the Hon. President Mr. Pranab Mukherjee for lunch on 22nd January, 2016. I got honoured by the Chief Minister of Uttarakhand Mr. Ramesh Pokhariyal with 'Parikalpana Award' The governor of Jharkhand Mrs. Draupadi Murmu also honoured me with ‘Aparajita Award’ श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा ज्योतिष मे नवीनतम शोध 'गत्यात्मक ज्योतिष' की विशेषज्ञा, इंटरनेट में 15 वर्षों से ब्लॉग लेखन में सक्रिय, सटीक भविष्यवाणियों के लिए पहचान, 'गत्यात्मक ज्योतिष' को परिभाषित करती कई पुस्तकों की लेखिका, 2016 में महिला-बाल-विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी जी और महामहिम राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी द्वारा #100womenachievers में शामिल हो चुकी हैं। उत्तराखंड के मुख्य मंत्री श्री रमेश पोखरियाल जी के द्वारा 'परिकल्पना-सम्मान' तथा झारखण्ड की गवर्नर श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा 'अपराजिता सम्मान' से मुझे सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ। Ph. No. - 8292466723

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