Jyotish ke achuk upay
Gold silver copper ring astrology in hindi
गत्यात्मक ज्योतिष’ मानता है कि मनुष्य के समक्ष उपस्थित होनेवाली शारीरिक, मानसिक या अन्य प्रकार की कमजोरी का एक कारण उसके जन्मकाल के कमजोर ग्रह हैं और उस ग्रह के प्रभाव को मानव पर पड़ने से रोककर ही उस समस्या को कम किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में नए ढंग से कुंडली देखने का तरीका ईजाद करने के बाद गत्यात्मक ज्योतिष ने बुरे ग्रहों के अचूक उपाय के लिए निम्न रास्ते सुझाये हैं -
1. समय-नियोजन – अंधेरे में चलनेवाले लगभग सभी राहगीर अपने गंतब्य पर पहुंच ही जाते हैं। बिना घड़ी पहने परीक्षार्थी परीक्षा दे ही सकते हैं। बिना कैलेण्डर के लोग वर्ष पूरा कर ही लेते हैं। किन्तु टॉर्च, घड़ी और कैलेण्डर के साथ चलनेवाले लोगों को ही यह अहसास हो सकता है कि उनका रास्ता कितना आसान रहा। वे पूरी अवधि में चिंतामुक्त रहें। इसी प्रकार का सहयोग ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ आपको प्रदान करता है। ग्रहों के बुरे प्रभाव को परिवर्तित कर पाना यानि बुरे को अच्छे में तथा अच्छे को बुरे में बदल पाना असंभव है, किन्तु ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए या अच्छे प्रभाव को और बढ़ा पाने के लिए परामर्श अवश्य दी जा सकती है।
2. प्रभावी अंगूठी या लॉकेट – अमावस्या के दिन बिल्कुल कमजोर रहने वाला चंद्रमा पूर्णिमा के दिन अपनी पूरी शक्ति में आ जाता है। आप अपनी मन:स्थिति को अच्छी तरह गौर करें, पूर्णिमा और अमावस्या के वक्त आपको अवश्य अंतर दिखाई देगा। पूर्णिमा के दिन चांदी को पूर्ण तौर पर गलाकर एक छल्ला या लॉकेट तैयार कर पहनने से उनमे चंद्रमा की सकारात्मक शक्ति आती है, जिसका पहननेवाले पर अच्छा प्रभाव पडता है, जिससे व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक क्षमता में वृद्धि होती है । हमारे यहाँ ये अंगूठियॉ उस मुहूर्त्त में बनवायी जाती हैं, जब कई ग्रहों का शुभ प्रभाव पृथ्वी के उस स्थान पर पड़ रहा हो, जिस स्थान पर वह अंगूठी बनवायी जा रही हो। दो घंटे के उस विशेष लग्न का चुनाव कर अंगूठी को अधिक प्रभावशाली बनाया जाता है।
3. रंगो का चुनाव – ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ ग्रहों के प्रभाव को कम या अधिक करने के लिए कलर थेरेपी के महत्व को स्वीकार करता है। यह तथ्य सर्वविदित है कि विभिन्न पदार्थों में रंगों की विभिन्नता का कारण किरणों को अवशोषित और उत्सर्जित करने की शक्ति है। इस आधार पर सफेद रंग की वस्तुओं का चंद्र, हरे रंग की वस्तुओं का बुध, लाल रंग की वस्तुओं का मंगल, चमकीले सफेद रंग की वस्तुओं का शुक्र, तप्त लाल रंग की वस्तुओं का सूर्य, पीले रंग की वस्तुओं का बृहस्पति और काले रंग की वस्तुओं का शनि के साथ संबंध होने से इंकार नहीं किया जा सकता। रंगो का उपयोग आप विभिन्न रंग के रत्न के साथ ही साथ वस्त्र धारण से लेकर अपने सामानों और घरों की पुताई तक और विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों को लगाकर प्राप्त कर सकते हैं।
4. संगति का प्रभाव – हम संगति के महत्व के बारे में हमेशा ही कुछ न कुछ पढ़ते आ रहें हैं। यहॉ तक कहा गया है -----`संगत से गुण होत हैं, संगत से गुण जात´। गत्यात्मक ज्योतिष भी संगति के महत्व को स्वीकार करता है। एक कमजोर ग्रह या कमजोर भाववाले व्यक्ति को मित्रता, संगति, व्यापार या विवाह वैसे लोगों से करनी चाहिए, जिनका वह ग्रह या वह भाव मजबूत हो। यदि एक बालक का जन्म अमावस्या के दिन हुआ हो, तो उन कमजोरियों के कारण, जिनका चंद्रमा स्वामी है, बचपन में बालक का मनोवैज्ञानिक विकास सही ढंग से नहीं हो पाता है और बच्चे का स्वभाव कुछ दब्बू किस्म का हो जाता है, उसकी इस स्थिति को ठीक करने के लिए बालक की संगति पर ध्यान देना होगा। पूर्णिमा के आसपास जन्म लेने वाले बच्चों की उच्छृंखलता को देखकर उनके बाल मन का मनोवैज्ञानिक विकास भी कुछ अच्छा हो जाएगा। ऐसा ही अन्य ग्रहों और भावों के साथ भी होता है।
5. दान का महत्व – इसके अलावे ग्रहों के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए हमारे धर्मशास्त्रों में हर तिथि पर्व पर स्नानादि के पश्चात् दान करने के बारे में बताया गया है। अपनी कुंडली के अनुसार ही उसमें जो ग्रह कमजोर हो, उसको मजबूत बनाने के लिए दान करना चाहिए। जातक का चंद्रमा कमजोर हो, तो अनाथाश्रम को दान करना चाहिए, खासकर 12 वर्ष से कम उम्र के अभावग्रस्त और जरुरतमंद बच्चों को दिए जानेवाले दान से उनका काफी भला होगा। जातक का बुध कमजोर हो तो उन्हें विद्यार्थियों को या किसी प्रकार के रिसर्च कार्य में लगे व्यक्ति को सहयोग देना चाहिए। जातक का मंगल कमजोर हो, तो उन्हें युवाओं की मदद और कल्याण के लिए कार्यक्रम बनाने चाहिए। जातक का शुक्र कमजोर हो तो उनके लिए कन्याओं के विवाह में सहयोग करना अच्छा रहेगा। सूर्य कमजोर हो तो प्राकृतिक आपदाओं में पड़नेवालों की मदद की जा सकती है। बृहस्पति कमजोर हो तो अपने माता पिता और गुरुजनों की सेवा से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। शनि कमजोर हो तो वृद्धाश्रम को दान करें या अपने आसपास के जरुरतमंद अतिवृद्ध की जरुरतों को पूरा करने की कोशिश करें।
6. पेड़-पौधों की भूमिका – प्राचीनकाल से ही पेड़-पौधें का मानव विकास के साथ गहरा संबंध रहा है। यदि जातक का चंद्रमा कमजोर हो, तो उन्हें तुलसी या अन्य छोटे-छोटे औषधीय पौधे, बुध कमजोर हो तो उसे बिना फल फूलवाले या छोटे छोटे हरे फलवाले पौधे, मंगल कमजोर हो तो उन्हें लाल फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़, शुक्र कमजोर हो तो उन्हें सफेद फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़, सूर्य कमजोर हो तो उन्हें तप्त लाल रंग के फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़, बृहस्पति कमजोर हो तो उन्हें पीले फल-फूलवाले बड़े-बड़े पेड़, शनि कमजोर हो तो उन्हें सार्वजनिक स्थलों पर पीपल और बरगद के पेड़ लगाने चाहिए।
7. प्रार्थना – कभी कभी हमारे सामने ऐसी समस्याएं आ जाती है, जिसे हम न तो खुद और न ही दूसरों से हल करवा पाते हैं, उस समय एक सर्वशक्तिमान की याद अवश्य आ जाती है, जिसके सामने हम प्रार्थना करने लगते हैं। ऐसा माना जाता है कि प्रार्थना में अद्भुत शक्ति होती है और इसके जरिए हम प्रभु या प्रकृति से संबंध बना लेते हैं। जहां धार्मिक और आध्यात्मिक रूचि रखने वाले व्यक्ति प्रतिदिन प्रार्थना करते हैं, वहीं सांसारिक या व्यस्त रहने वाले व्यक्ति विपत्ति के उपस्थित होने पर अवश्य ईश्वर की प्रार्थना किया करते हैं। प्रार्थना के सफल होने के लिए ईश्वर के प्रति समर्पित होने के साथ साथ अपने अहंकार का त्याग और मन की निश्छलता की आवश्यकता होती है। अपने या अपनों के लिए की गयी प्रार्थना भी ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक होती है।