Jyotish yogas
Janam kundli yog
पुस्तकें पढने की परंपरा कितनी भी कम होती क्यूं न दिखाई पडे , पढनेवाले लोगों के हाथ में कभी कभी फुर्सत के क्षणों में पुस्तकें आ ही जाती हैं। बहुत दिनों बाद इधर काफी दिनों पहले खरीदी गयी एक पुस्तक 'ज्योतिष के विभिन्न योग' को पढने का मौका मिला। कुंडली में दिखाई देनेवाले कुल 125 योगों की इसमें चर्चा है। गजकेशरी योग से लेकर दरिद्र योग तक , दत्तक पुत्र योग से लेकर मातृत्यक्त योग तक , पूर्णायु या शताधिक आयुर्योग से लेकर अमितमायु योग तक , सर्पदंशयोग से दुर्मरण योग तक , महालक्ष्मी और सरस्वती योग से लेकर दरिद्र योग तक तथा सुरपति योग से लेकर भिक्षुक योग तक। एक नजर देखने पर पुस्तक बडी ही रोचक लगी , मुझे लगा कि इसके अध्ययन कर लेने से मेरी भविष्यवाणियों में एक नया आयाम जुड जाएगा, पर ज्यों ज्यों मैं गंभीरता से आगे बढती गयी, निराशा ही हाथ आयी।
Bhagya yog in kundli
तब मुझे उन दिनों की याद आ गयी , जब पिताजी के द्वारा ज्योतिष की जानकारी के बाद इसमें मेरी रूचि इतनी बढ गयी थी कि इस विषय पर दिन रात कुछ न कुछ पढने का मन होता , लेकिन मेरे लिए घर पर ज्योतिष के ढेर सारी पुस्तकों में से एक का चयन कर पाना कठिन होता। इस विषय में पिताजी से राय लेना चाहती , तो वे कहते कि ज्योतिष की किसी भी पुस्तक में कुछ बातें तो ज्ञानवर्द्धक होती है , पर कुछ बातें बिल्कुल गुमराह करनेवाली होती हैं।
गत्यात्मक ज्योतिष के बारे में
उनका कहना था कि ज्योतिष की पुस्तकों में वर्णित योगों को ढूंढने के लिए मैने बडे बडे महापुरूषों की कितनी कुंडलियों को देखने में दिन रात एक कर डाला , पर वे योग वहां नहीं मिले , जबकि हमारे मुहल्ले में जीवन भर एक छोटी सी दुकान चलाने वाले हिसाब किताब भर पढाई करने वाले व्यक्ति की कुंडली में एक बडा राजयोग दिखाई पड गया। उनका कहना था कि उन्होने पंद्रह वर्षों तक मेहनत करके किसी फसलवाले खेत से एक एक घास को चुनकर अलग कर दिया है और वे ज्योतिष की बिल्कुल स्वच्छ फसल मुझे प्रदान कर रहे हैं , फिर मुझे पुन: फसल और घास के मध्य भटकने की क्या आवश्यकता ?
Gajkesari yog
योग वाली जिस पुस्तक की आज मैं बात कर रही हूं , उसमें पहले ही स्थान पर गजकेशरी योग के बारे में लिखा है। चंद्रमा से केन्द्र में बृहस्पति स्थित हो , तो गजकेशरी योग होता है। वैसे यह ज्योतिष का एक बहुत ही महत्वपूर्ण येग माना जाता है , पर हम जैसे गणित को जाननेवालों की यही दिक्कत है , किसी बात को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं कर पाते। किसी भी कुंडली में किसी भी ग्रह को बैठने के लिए चंद्रमा से आगे ग्यारह भाव होते हैं , ऐसा ही बृहस्पति के लिए भी है। केन्द्र में होने का मतलब है कि उसमें से चार स्थानों में बैठकर यह जातक के लिए गजकेशरी योग उपस्थित कर सकता है। संभाब्यता के नियम के अनुसार किसी कुडली में इस योग के बनने की संभावना 4/11 हो जाती है। अब इस योग पर मेरा विश्वास करना नामुमकिन है , क्यूंकि कुल जनसंख्या का 4/11 भाग इस योग में कैसे आ सकता है , जैसा कि इस पुस्तक में इस योग के फल के बारे में लिखा है ......
Raj yog
इस योग में जन्म लेनेवाला जातक अनेक मित्रों , प्रशंसकों और संबंधियों से घिरा रहता है और उनके द्वारा सराहा जाता है। स्वभाव से नम्र , विवेकवाण और सद्गुणी होता है। कृषि कार्यों से इसे विशेष लाभ होता है तथा वह नगरपालिकाध्यक्ष या मेयर बन जाता है। तेजस्वी, मेधावी, गुणज्ञ तथा राज्य पक्ष में यह प्रबल उन्नति करने वाला होता है। स्पष्टत: गजकेशरी योग में जन्म लेनेवाला जातक जीवन में उच्च स्थिति प्राप्त कर पूर्ण सुख भोगता है तथा मृत्यु के बाद भी उसकी यशगाथा अक्षुण्ण रहती है।