Kundli dekhne ka tarika in hindi
गणित ज्योतिष के अद्भुत सूत्र नामक लेख में सौरमंडल में ग्रहों की विभिन्न गतियों की चर्चा की गयी है और यह भी बताया गया कि ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ किसी प्रकार की भविष्यवाणी करने के लिए ग्रहों की गति पर ही आधारित है। पृथ्वी को स्थिर मान लेने से उसके सापेक्ष ग्रहों की गति में प्रतिदिन भिन्नता देखी जाती है।
पृथ्वी के जड चेतन या अन्य प्रकार की घटनाओं के खास व्यवहार का कारण ग्रहगति की ये विभिन्नता ही है। 40 वर्षों तक विभिन्न ग्रहों की विभिन्न गतियों का पृथ्वी पर पडनेवाले प्रभाव को देखते हुए ‘गत्यात्मक ज्योतिष’ निम्न निष्कर्ष पर पहुंचा है ....
1. अतिशीघ्री गति ... ग्रह जब अतिशीघ्री होते हैं तो उन्हें अत्यधिक गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 80 से 100 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये अनायास सुख और सफलता देनेवाले ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोग निश्चिंत या लापरवाह स्वभाव के हो जाते हैं। जन्मकुंडली में चन्द्रमा सूर्य से सप्तम भाव में स्थित हो तो इसकी गत्यात्मक शक्तिअधिकतम होती है, मंगल, बृहस्पति और शनि सूर्य के साथ हो तो गत्यात्मक शक्ति अधिकतम होती है , बुध और शुक्र सूर्य से निकटतम डिग्री में हो और प्रतिदिन 1 डिग्री से अधिक की गति में हों तो उनकी गत्यात्मक शक्ति अधिकतम होती है। लोगों के जो ग्रह अतिशीघी हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल निश्चिंति भरा होता है।
2. शीघ्री गति ... ग्रह जब शीघ्री होते हैं तो उन्हें भी गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 60 से 80 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये थोडी मेहनत से अधिक सफलता देनेवाले ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोग कम मेहनत हो जाते हैं। जन्मकुंडली में चन्द्रमा सूर्य के त्रिकोण में स्थित हों तो गत्यात्मक शक्ति अच्छी होती है, मंगल, बृहस्पति और शनि सूर्य से अगल बगल की राशि में स्थित हों तो गत्यात्मक शक्ति अच्छी होती है , बुध और शुक्र सूर्य से थोड़ी दुरी पर और 1 डिग्री प्रतिदिन से अधिक की गति में हों तो उनकी गत्यात्मक शक्ति अच्छी होती है। लोगों के जो ग्रह शीघी हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल भी अच्छा ही होता है।
3. सामान्य गति ... ग्रह जब सामान्य होते हैं तो उन्हें सामान्य गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 40 से 60 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये महत्वपूर्ण ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोग समन्वयवादी दृष्टिकोण के हो जाते हैं। जन्मकुंडली में चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और शनि सूर्य से केन्द्रगत हों तो सामान्य शक्ति के होते हैं। बुध और शुक्र सूर्य से अधिकतम दूरी पर सहित हों तो सामान्य शक्ति के माने जाएंगे। लोगों के जो ग्रह सामान्य हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल महत्वपूर्ण होता है।
4. मंद गति ... ग्रह जब मंदगति के होते हैं तो उन्हें कुछ कम गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 30 से 40 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये बहुत मेहनती ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोगों का किसी भी क्षेत्र में बहुत अधिक ध्यान संकेन्द्रण होता है। जन्मकुंडली में चन्द्रमा सूर्य से तीसरे या ग्यारहवें स्थित हो, मंगल, बृहस्पति और शनि सूर्य से त्रिकोण में स्थित हों तो कम गत्यात्मक शक्ति के होते हैं। बुध और शुक्र सूर्य के निकट होते हैं और उनकी गति १ डिग्री प्रतिदिन की होती है। लोगों के जो ग्रह मंद गतिशील हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल बहुत ही दवाबपूर्ण होता है।
5. वक्री गति .... ग्रह जब वक्री गति में होते हैं तो उन्हें कम गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 10 से 30 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये कुछ कठिनाई और असफलता देनेवाले ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोग थोडे चिडचिडे और निराश हो जाते हैं। जन्मकुंडली में चन्द्रमा सूर्य के दूसरे या बारहवें स्थित हो, मंगल , बृहस्पति और शनि सूर्य से छठे या आठवें स्थित हो, तो इन्हे बहुत कम गत्यात्मक शक्ति दी जाती है। बुध और शुक्र सूर्य के साथ हो तथा वक्र गति में हों तो इन्हे बहुत कम गत्यात्मक शक्ति दी जाएगी। जो ग्रह वक्री हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल कठिनाई भरा होता है।
6. अतिवक्री गति ... ग्रह जब अतिवक्री होते हैं तो उन्हें बहुत कम गत्यात्मक शक्ति संपन्न माना जाता है । 'गत्यात्मक ज्योतिष' ऐसे ग्रहों को 0 से 10 प्रतिशत गत्यात्मक शक्ति देता है, क्योंकि ये बहुत अधिक कठिनाई और तनाव देनेवाले ग्रह होते हैं , जिसके कारण लोग किंकर्तब्यविमूढ और अवसाद ग्रस्त हो जाते हैं। जन्मकुंडली में चन्द्रमा सूर्य के साथ हो, मंगल , बृहस्पति और शनि सूर्य से सप्तम हो तो इनकी गत्यात्मक शक्ति शुन्य के आसपास होती है। बुध और शुक्र वक्री गति के साथ सूर्य की डिग्री के आसपास होते हैं। लोगों के जो ग्रह अतिवक्री हो उनसे संबंधित संदर्भ और उनका गत्यात्मक दशाकाल पराधीन और लाचार होता है।
kundli dekhne ka tarika
(Gatyatmak Falit Jyotish ke sutra)
यदि गत्यात्मक शक्ति की दृष्टि से यानि सुख के नजर से देखा जाए तो अतिशीघ्री ग्रह को सर्वाधिक मजबूत और अतिवक्री ग्रह को सर्वाधिक कमजोर माना जा सकता है , पर स्थैतिक शक्ति की दृष्टि से यानि कार्यक्षमता और महत्व की नजर से देखा जाए तो सामान्य और मंद ग्रह को सर्वाधिक मजबूत माना जा सकता है , क्योकि अधिकांश ग्रहों के शीघ्री या अतिशीघ्री होने के समय का माहौल खुशनुमा होता है और उस समय जो भी जातक जन्म लें , जीवनभर खुशनुमा माहौल प्राप्त करते हैं। इसी तरह अधिकांश ग्रहों के वक्री या अतिवक्री होने के समय का माहौल कष्टदायक होता है और उस समय जो भी जातक जन्म लें , जीवनभर कष्टप्रद माहौल प्राप्त करते हैं।
इन दोनो के ही विपरीत , अधिकांश ग्रहों के सामान्य या मंद होने के समय का माहौल महत्वपूर्ण और दवाबपूर्ण होता है और उस समय जो भी जातक जन्म लें , जीवनभर महत्वपूर्ण और दवाबपूर्ण माहौल प्राप्त करते हैं। यही कारण है कि गत्यात्मक ज्योतिष के द्वारा की गई गणना सटीक होती है। हमारे क्लाइंट्स की संतुष्टि का मुख्य कारण है।